बंदी रोजेदारों को ये मिलता है इफ्तार व सहरी
रोजदार बंदियों को ब्रेड, दो केला, नींबू, दो खजूर, 45 ग्राम चीनी, शर्बत, सौ ग्राम दही, दो बिस्कुट व एक समय का पूरा खाना दिया जा रहा है।
हाफिज आसिम 14 वर्षों से कैदियों को पढ़ा रहे हैं नमाज़
लखीमपुर मोहल्ला राजापुर के निवासी हाफिज आसिम 14 बरसो से जेल जेल के कैदियों की इमामत कर रहे हैं 2008 में इनके वालिद क़ासिम हाशमी का देहांत होने के बाद से उनके बड़े बेटे हाफ़िज़ आसिम हाशमी क़ैदियों की इमामत कर रहे हैं। उन्होंने ने बताया कि अलविदा की नमाज़,ईद उल फितर की नमाज़,और ईद उल अज़हा की नमाज़ की इमामत वो ज़िला कारागार में बन्द मुस्लिम क़ैदियों की इमामत करते हैं और उनको ऐसे अहम मौके पर कुछ दीनी बात भी बताते हैं।
उन्होंने बताया कि पिछले 2 वर्षों में कोरोना की बीमारी की वजह से बाहरी लोगों का आना जाना बंद था जिसकी वजह से 2 वर्षों से वह नमाज पढ़ाने के लिए नहीं गए हैं लेकिन इंतजा मियां का अगर कोई निमंत्रण पत्र आता है तो वह नमाज पढ़ाने के लिए जरूर जाएंगे। मालूम हो कि इनके वालिद हाफिज कासिम को सुन्नी अंजुमन इस्लमियाँ ने रखा था जिन्होंने लगभग 17 साल इमामत करते रहे 2008 में उनका इंतक़ाल हो जाने की वजह से उनके बड़े बेटे हाफिज आसिम हाशमी लगातार 14बरसो से अलविदा ,ईद उल फितर,ईद उल अजहा की नमाज़ की इमामत कर रहे हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thank you, for a message universal express.