मांस की खुली बिक्री, इजाजत नहीं देने का निर्देश
इकबाल अंसारी
अगरतला। त्रिपुरा हाईकोर्ट ने अगरतला नगर निगम को सड़कों या सार्वजनिक स्थानों पर मांस की खुली बिक्री की इजाजत नहीं देने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने नगर निगम से यह भी कहा है कि राज्य में बूचड़खाने की स्थापना की जाए और इसकी स्थापना के लिए एक योजना भी तैयार की जाए। मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती और न्यायमूर्ति एसजी चट्टोपाध्याय की अगुवाई वाली हाईकोर्ट की बेंच अधिवक्ता अंकन तिलक पॉल द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
निगम के आयुक्त ने बेंच को सूचित किया कि बूचड़खाने के निर्माण के लिए एक टेंडर जारी किया जा रहा है। बूचड़खाने का निर्माण टेंडर को अंतिम रूप देने के 18 महीने बाद किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 139 व्यक्तियों को अब तक मांस बिक्री के लिए लाइसेंस दिए गए हैं। एचसी के आदेश में कहा गया है कि इस बात पर खास ध्यान दिया जाना चाहिए कि लाइसेंस प्राप्त परिसर के अंदर स्वच्छता को बनाए रखा जा रहा है या नहीं। कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों या गलियों-सड़कों पर मांस की बिक्री की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि मांस को बूचड़खानों में बेचा जाना चाहिए। जब तक बूचड़खाने की स्थापना नहीं हो जाती।
तब तक नगरपालिका द्वारा उपलब्ध कराए गए स्थानों पर मीट बेचा जा सकता है। अदालत ने एएमसी को विलुप्त होती प्रजातियों की हत्या के मामले में वन विभाग को सूचना देने के लिए भी कहा है ताकि विभाग आवश्यक कानूनी कार्रवाई कर सके। एएमसी नगर आयुक्त डॉ. शैलेश कुमार यादव ने अदालत को बताया कि बूचड़खाने के निर्माण के लिए 21 फरवरी को टेंडर निकाला गया था। अगर टेंडर को अंतिम रूप दिया जाता है, तो बूचड़खाने का निर्माण 18 महीने के भीतर पूरा होने की उम्मीद है।
इस बीच, कुल 139 लोगों को मांस बेचने के लिए एएमसी द्वारा ट्रेड लाइसेंस दिए गए थे। हाईकोर्ट ने एएमसी से कहा कि वह बूचड़खाने को स्थापित करने के लिए एक दीर्घकालिक योजना तैयार करे। जब तक योजना तैयार नहीं हो जाती तब तक जानवरों को मीट में तब्दील करने के लिए एक अलग स्थान उपलब्ध कराने पर विचार करे। अदालत ने एएमसी को मांस की गुणवत्ता प्रमाणित करने के लिए कुछ अधिकारियों को तैनात करने को भी कहा है। इस काम के लिए तैनात होने वाले अधिकारी राज्य के पशु चिकित्सा विभाग की सहायता ले सकते हैं।
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