गर्मी में मौसमी बीमारियों के अटैक से करें बचाव
हरिओम उपाध्याय
जैसे-जैसे मौसम बदलता है बीमारियां भी अपना रूप बदलने लगती हैं और मौसम के बदलने के साथ ही अपने पैर पसारने लगती हैं। ऐसी ही कुछ बीमारियां होती हैं, जो गर्मियों में लोगों पर ज्यादा तेजी से अटैक करती हैं। वैसे तो ये बीमारियां काफी सामान्य होती हैं, लेकिन अगर समय पर सही इलाज न किया जाए तो यह काफी घातक भी साबित हो सकती हैं। हालांकि इन बीमारियों का घर में भी इलाज संभव है, लेकिन बस जरूरत है सही जानकारी की। तो आइए, आपको बताते हैं कुछ ऐसी बीमारियों के बारे में जो गर्मियों में लोगों पर ज्यादा तेजी से अटैक करती हैं और इनसे बचने के कुछ घरेलू उपायों के बारे में।हीट स्ट्रोक या कहें लू, गर्मियों की सबसे कॉमन बीमारी है, जो शरीर में पानी की कमी की वजह से इसे अपनी चपेट में ले लेती है। वैसे तो गर्मियों में लू लगना काफी कॉमन माना जाता है, लेकिन अगर सही समय पर इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकती है। हीट स्ट्रोक में फूड प्वॉइजनिंग, बुखार, पेट दर्द और उल्टी आने की समस्याएं होने लगती हैं, ऐसे में जरूरी है इसका उचित इलाज।
हीट स्ट्रोक से बचने का सबसे आसान तरीका है खान-पान का ध्यान रखना। जी हां, गर्मियों के दौरान शरीर में पानी की कमी इसे कमजोर बना देता है। ऐसे में बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए जरूरी है कि गर्मियों के दौरान आप बॉडी को हाईड्रेट रखें। इसके लिए आप ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं और हरी सब्जियों, सलाद और फलों का सेवन जरूर करें। इससे शरीर में पानी की कमी नहीं होगी, जिससे लू का खतरा भी कम हो जाएगा।
एसिडिटी गर्मियों में होने वाली सबसे बड़ी समस्या है और यात्रा के दौरान अगर एसिडिटी की प्रॉब्लम हो जाए तब तो बस लगता है जान ही निकल गई। एसिडिटी में सीने में जलन और दर्द, उल्टी जैसा महसूस होना जैसी और भी समस्याएं होने लगती हैं। ऐसे में जब यह तकलीफ बार-बार होने लगती है तो यह गंभीर समस्या का रूप ले लेती है और कई बार तो यह लोगों को हॉस्पिटल तक पहुंचा देती है। ऐसे में जरूरी है कि इससे बचने के लिए पहले से ही सतर्क हो जाएं और खान पान पर कंट्रोल करें।
एसिडिटी से बचने का सबसे आसान तरीका है तले-भुने और मसालेदार खाने को बाय-बाय कह दें, क्योंकि यह एसिडिटी की सबसे बड़ी वजह होती है। इसके साथ ही खाने का समय निर्धारित कर लें और रोजाना उसी समय पर खाना खाएं। इसके अलावा मुलेठी का चूर्ण या काढ़ा बनाकर उसका सेवन करनें। इससे एसिडिटी में फायदा होता है।गर्मियों के मौसम में बच्चे हों या बड़े उनमें पीलिया का खतरा बढ़ जाता है। पीलिया को हेपेटाइटिस ए भी कहा जाता है। पीलिया होने का सबसे बड़ा कारण है दूषित पानी और दूषित खाना। पीलिया में रोगी की आंखे व नाखून पीले हो जाते हैं और पेशाब भी पीले रंग की होती है। सही इलाज न मिलने पर यह काफी गंभीर रूप ले सकता है, इसलिए जरूरी है इसकी जद में आने से पहले ही सावधान हो जाएं।
पीलिया हो जाने पर दूषित खाना खाने से बचें। इसके अलावा तला-भुना खाना बिल्कुल भी न खाएं, हो सके तो सिर्फ उबला हुआ हल्का खाना ही खाएं और उबला हुआ या छना हुआ ही पानी पीएं।गर्मियों की शुरुआत मतलब चेचक की दस्तक। चेचक के होने से शरीर में लाल दाग पड़ जाते हैं। इसके साथ ही सिरदर्द, बुखार और गले में खराश भी चेचक के ही लक्षण हैं, चेचक में खांसी या जुखाम होना भी आम बात है, जिससे आस-पास के लोगों में भी यह संक्रमण होने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में सावधानी ही इसका सबसे पहला इलाज है।बच्चों और युवाओं को इस बीमारी का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। चेचक से बचने के लिए वैसे तो टीके लगाए जाते हैं, जो इससे बचाव का सबसे सही तरीका माना जाता है, लेकिन इसके अलावा कुछ सावधानियों के जरिए भी चेचक से बचा जा सकता है। जैसे बाहर से घर आने पर अपने हाथों को धोएं और चेचक से पीड़ित को अलग कमरे में रखें।
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