30 सालों में 5,000 से अधिक बाहरी ग्रहों को खोजा
अखिलेश पांडेय
वाशिंगटन डीसी। ब्रह्मांड के रहस्यों को जानने के लिए वैज्ञानिक लगातार शोध कर रहे हैं। इस दौरान वैज्ञानिकों ने कई खोजें की हैं। जो दुनिया को हैरत में डालती हैं। अब इस बीच नासा के वैज्ञानिकों ने सबसे बड़ी खोज की है। उन्होंने ऐसे ग्रहों का पता लगाया है, जो सूर्य की प्रक्रिमा करते हैं। यह ग्रह अरबों किमी की दूरी पर स्थित हैं। सौर मंडल का निर्माण ये ग्रह मिलकर करते हैं।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने पता लगाया है कि सौर मंडल के बाहर भी कई ग्रह मौजूद हैं। नासा की तरफ से 21 मार्च 2022 तक 65 नए एक्सोप्लैनट्स का पता लगाया गया है। नासा ने बताया कि एजेंसी ने इसके साथ ही 30 सालों में 5,000 से अधिक बाहरी ग्रहों को खोजा है। नासा एक्सोप्लैनेट आर्काइव में इसकी जानकारी को रखा गया है। इसके बाद यहीं पर एक्सोप्लैनेट्स के बारे में पीयर रिव्यू होता है। कई तरह की जांच की जाती है।
अंतरिक्ष की खोज में नासा के लिए यह एक मील का पत्थर है। नासा ने जिन एक्सोप्लैनेट्स की खोज की है उनमें से कुछ छोटे और पथरीले हैं। इनमें से कुछ धरती, बड़े गैसे के गोले, बृहस्पति और कुछ सूरज की तरह बेहद गर्म हैं। इनमें कुछ धरती से कई गुना बड़े हैं जहां जीवन की संभावना हो सकती है जबकि कुछ बेहद छोटे हैं। नासा ने जिन 65 नए ग्रहों को रिसर्च के लिए खोजा है उन पर पानी, सूक्ष्मजीव या जीवना की संभावना हो सकती है। नासा की इस खोज को बहुत बड़ी खोज माना जा रहा है। नासा का कहना है कि यह सिर्फ संख्या नहीं है, बल्कि ये सभी एक नई दुनिया हैं और नए ग्रह हैं। हम लोगों को हर नए ग्रह के बारे में जानकर खुशी होती है, लेकिन हम इन ग्रहों के बारे में कुछ नहीं जानते। इन पर शोध किया जा रहा है। नासा का कहना है कि 5000 एक्सोप्लैनेट की संरचना और विशेषताएं अलग-अलग तरह की हैं। नासा के वैज्ञानिक का कहना है कि हम जानते हैं कि आकाशगंगा में ग्रहों की संख्या करोड़ों में है। साल 1992 में इनकी खोज शुरू हुई थी। इसकी खोज तब शुरू की गई जब एक नए तारे का पता लगा। इसके साथ एक न्यूट्रॉन स्टार मिला जिसे पल्सर कहा जाता है। यह तेजी से घूमते हैं और तरंगे छोड़ते नजर आते हैं फिर अचानक गायब हो जाते हैं। सेकेंड्स के अंतर पर दिखने वाली रोशनी की गणना करने के बाद ग्रहों की तलाश शुरू हुई थी। नासा ने साल 2018 में द ट्रांजिटिंग एक्सोप्लैनेट सर्वे सैटेलाइट (TESS) को लॉन्च किया था जिसने एक्सोप्लैनेट खोजने में सहायता की। जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप (JWST) भविष्य में अंतरिक्ष में मौजूद ग्रहों और तारों की खोज करेगा। यह भी पता लगाएगा कि उन पर जीवन संभव है या नहीं।
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