देश लौटने के बाद छात्रों ने अपने अनुभव साझा किए
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। रूस के आक्रमण के बाद यूक्रेन के पश्चिमी हिस्सों में फंसें भारतीय छात्रों ने देश लौटने के बाद अपने अनुभव साझा किए और पूर्वी यूक्रेन में फंसे छात्रों की मदद की गुहार लगाई। इनमें से एक निशी मल्कानी ने मुंबई हवाई अड्डे पर पत्रकारों से कहा कि वह पश्चिम यूक्रेन स्थित एक विश्वविद्यालय की छात्रा हैं। जहां स्थिति तुलनात्मक रूप से बेहतर है।
उन्होंने कहा कि, हम कई दिन तक अपने छात्रावास में छुपे थे और फिर पश्चिमी सीमा पर पहुंचे। यूक्रेन के पूर्वी हिस्सों में शैक्षणिक संस्थानों में हजारों छात्रों को गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि वहां से सड़क पर निकलना बेहद मुश्किल है। उन्होंने कहा कि, उन छात्रों की सुरक्षित वापसी के लिए और प्रयास किए जाने चाहिए। यूक्रेन में पिछले कुछ दिनों का अनुभव पूछने पर उन्होंने कहा कि, मैंने कभी नहीं सोचा था कि जीवन में कभी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ेगा। विश्वविद्यालय प्रशासन ने हमसे चार दिन तक छात्रावास में रहने को कहा था। मल्कानी ने कहा कि, हम पश्चिमी सीमा के करीब थे। इसलिए पड़ोसी देश रोमानिया पहुंच पाए। भारतीय दूतावास अधिकारियों ने बाकी मदद की और हम घर वापस लौट पाए। उन्होंने दावा किया कि पिछले कुछ दिनों से उनके विश्वविद्यालय परिसर में ”कुछ आतंकवादी” थे, लेकिन उन्होंने छात्रों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया। यूक्रेन से मंगलवार को लौटी एक अन्य छात्रा पूर्वा पाटिल ने सुरक्षित वापसी के बाद भगवान का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि वह पश्चिमी यूक्रेन के एक संस्थान में पढ़ाई कर रही थीं।
उन्होंने कहा कि, मैं बहुत डर गई थी, भगवान की दया से मैं सुरक्षित घर लौट पाई। यह मेरे लिए बड़ी बात है। उन्होंने बताया कि सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने में भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने उनकी काफी मदद की। पाटिल ने कहा कि, पहले हमें छात्रावास में रहने को कहा गया फिर बंकर में हमने पनाह ली। वहां काफी ठंड थी तापमान दो डिग्री सेल्सियस के आसपास था। रोमानिया सीमा तक पहुंचने के लिए हमें लगभग 10 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री नारायण राणे ने मुंबई हवाई अड्डे पर छात्रों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि, 182 छात्र आज मुंबई लौटे हैं। केन्द्र सरकार के ‘ऑपरेशन गंगा’ के तहत संचालित यह पांचवीं उड़ान थी। रूस के यूक्रेन पर हमला करने के बाद भारत युद्धग्रस्त देश में फंसे अपने नागरिकों को 27 फरवरी से रोमानिया और हंगरी के रास्ते स्वदेश ला रहा है। रोमानिया और हंगरी यूक्रेन के पड़ोसी देश हैं।
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