भारत-बांग्लादेश जैसे देशों के लिए परिवर्तन का मौका
नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की ताज़ा रिपोर्ट रिलीज़ हो चुकी है और यह रिपोर्ट बेहद खास है। ख़ास इसलिए क्योंकि इसमें साफ़ तौर पर वैश्विक स्तर पर बढ़ते कार्बन एमिशन और उसकी वजह से बदलती जलवायु का मानवता पर हो रहे असर का ज़िक्र है।
रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत के कुछ शहर, जैसे सूरत, भुवनेश्वर और इंदौर शहरी स्तर पर एडाप्टेशन योजना बना चुके हैं। लेकिन उनका एडाप्टेशन प्लान एक ही खतरे पर केंद्रित हैं। उदाहरण के लिए इंदौर केवल पानी की कमी को देखता है। उन्हें हाइब्रिड और मल्टी सेक्टोरिअल यानी एक नहीं अनेक पहलूओं पर केन्द्रित करने की ज़रूरत है। रिपोर्ट के लेखकों में से एक, डॉ अरोमर रेवी के अनुसार भारत और बांग्लादेश जैसे देशों के लिए इस दिशा में परिवर्तन लाने के लिए एक छोटा-सा मौका है। जिसका अगर वक़्त रहते फायदा नहीं उठाया तो दोनों ही देशों कि जलवायु समस्या बढ़ेगी।
उदाहरण के लिए वो कहते हैं कि हमें उड़ीसा में तूफानों के प्रति प्रतिरोधी साफ़ बिजली प्रणालियों की आवश्यकता है। जो तूफ़ान आने पर घंटो बिजली बंद रहने के बजे तूफ़ान के फौरन बाद बिजली की सप्लाई चालू कर दें।
रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत के कुछ शहर, जैसे सूरत, भुवनेश्वर और इंदौर शहरी स्तर पर एडाप्टेशन योजना बना चुके हैं। लेकिन उनका एडाप्टेशन प्लान एक ही खतरे पर केंद्रित हैं। उदाहरण के लिए इंदौर केवल पानी की कमी को देखता है। उन्हें हाइब्रिड और मल्टी सेक्टोरिअल यानी एक नहीं अनेक पहलूओं पर केन्द्रित करने की ज़रूरत है। रिपोर्ट के लेखकों में से एक, डॉ अरोमर रेवी के अनुसार भारत और बांग्लादेश जैसे देशों के लिए इस दिशा में परिवर्तन लाने के लिए एक छोटा-सा मौका है। जिसका अगर वक़्त रहते फायदा नहीं उठाया तो दोनों ही देशों कि जलवायु समस्या बढ़ेगी।
उदाहरण के लिए वो कहते हैं कि हमें उड़ीसा में तूफानों के प्रति प्रतिरोधी साफ़ बिजली प्रणालियों की आवश्यकता है। जो तूफ़ान आने पर घंटो बिजली बंद रहने के बजे तूफ़ान के फौरन बाद बिजली की सप्लाई चालू कर दें।
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