लाइसेंस के बिना मवेशी रखने की इजाजत नहीं होगी
राणा ओबरॉय
चंडीगढ़। हरियाणा सरकार, शहरी क्षेत्रों में मवेशी रखने वालों के लिए छह महीने की जेल की सजा का प्रावधान करने की योजना बना रही है। नागरिक निकायों से जुड़े गांवों और छोटे कस्बों पर भी यह नियम लगेंगे। संबंधित नागरिक निकाय द्वारा जारी लाइसेंस के बिना मवेशी रखने की इजाजत नहीं होगी। विधानसभा में कांग्रेस ने इसका जमकर विरोध किया। हरियाणा नगरपालिका (संशोधन) विधेयक और हरियाणा नगर निगम (संशोधन) विधेयक को विधानसभा के बजट सत्र के दौरान पेश करते हुए हरियाणा के शहरी स्थानीय निकाय मंत्री कमल गुप्ता ने कहा कि राज्य के सभी नगर निकायों में व्यापार लाइसेंस शुल्क में एकरूपता की आवश्यकता है और यह कि कानून नगरपालिका को विनियमित करने वाली शक्तियों को समाप्त करके शहरी क्षेत्रों में व्यापार को आसान बनाएगा।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक मंत्री ने कहा, "1911 के दौरान किए जा रहे व्यापार के तौर तरीकों की तुलना में अब की जा रही व्यावसायिक गतिविधियों में भारी परिवर्तन आया है। उस समय नगरपालिका एकमात्र नियामक प्राधिकरण थी लेकिन अब कई नियामक प्राधिकरण हैं जैसे- प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, औद्योगिक सुरक्षा और स्वास्थ्य कारखाने अधिनियम 1948 आदि। ऐसे में नगर पालिकाओं द्वारा ऐसे व्यवसायों के लिए लाइसेंस देने का कोई औचित्य नहीं है जो अन्य वैधानिक प्राधिकरणों द्वारा रेगुलेट किए जाते हैं।
कानून के अनुसार, कोई भी व्यक्ति बिना लाइसेंस के घोड़ों, मवेशियों या अन्य चौपाए जानवरों या पक्षियों का परिवहन, बिक्री के लिए या उन्हें किसी स्थान पर बिना लाइसेंस के नहीं रख सकेगा। कानून का उल्लंघन करने पर छह महीने तक की कैद या जुर्माना हो सकता है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में मवेशियों के कारण कुप्रबंधन और व्यापार लाइसेंस शुल्क के संबंध में कई शिकायतें हैं।
कांग्रेस विधायक वरुण चौधरी ने कहा कि जमीनी हकीकत को समझे बिना कई अलग-अलग चीजों को विधेयक में मिला दिया गया है। उन्होंने कहा, "जब भी कोई नगर निकाय बनाया जाता है, तो आस-पास के गांवों को भी ऐसे निकाय के लिए विशिष्ट संख्या में व्यक्तियों की। आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए नागरिक निकाय में जोड़ा जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर लोग गायों सहित अन्य जानवरों को अपनी दूध की जरूरतों के पालते हैं। कई गरीब परिवार अपनी आजीविका के लिए भी इन मवेशियों पर निर्भर हैं। अब अचानक सिर्फ गाय को घर में रखने के लिए छह महीने की जेल की सजा का प्रावधान किया गया है। अगर आप कहते हैं कि मवेशी प्रदूषण पैदा कर रहे हैं और अर्ध-शहरी इलाकों में इनके कारण नालियां बंद हो जाती हैं तो लाइसेंस मिलने से भला इस पर क्या फर्क पड़ेगा। शहरी क्षेत्रों में मवेशियों पर पहले से ही प्रतिबंध है और हमें इस पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन नागरिक निकायों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले पूरे क्षेत्र पर इस तरह का प्रतिबंध उचित नहीं है।
कांग्रेस विधायक जगबीर मलिक ने कहा कि इस तरह के कानून से कस्बों में इंस्पेक्टर राज बढ़ सकता है और पुलिस गरीबों को अपने घरों में मवेशी रखने के लिए रिश्वत मांगेगी। हरियाणा पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा पशुधन की गणना राज्य में मवेशियों की संख्या में लगातार वृद्धि दर्शाती है। 2003 में यह संख्या 15.40 लाख, 2012 में 18.08 लाख और 2019 में बढ़ कर 19.32 लाख तक पहुंच गई।
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