शेयर बाजार पर रूस-यूक्रेन संकट का असर रहेगा
कविता गर्ग
मुंबई। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम और कच्चे तेल की कीमत में आई नरमी से उत्साहित निवेशकों को लिवाली की बदौलत दो प्रतिशत से अधिक की छलांग लगाकर पिछले चार सप्ताह की गिरावट से उबरे शेयर बाजार पर अगले सप्ताह रूस-यूक्रेन संकट, महंगाई और औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों का असर रहेगा।
बीते सप्ताह बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 1216.49 अंक यानी 2.24 प्रतिशत की छलांग लगाकर 55 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर के पार 55550.30 अंक और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 385.1 अंक अर्थात 2.37 प्रतिशत उछलकर 16630.45 अंक पर पहुंच गया। समीक्षाधीन सप्ताह में दिग्गज कंपनियों की तरह छोटी और मझौली कंपनियों में भी लिवाली का जोर रहा।बीएसई का मिडकैप 691.37 की तेजी के साथ 23309.95 अंक और स्मॉलकैप 854.77 अंक चढ़कर 27141.43 अंक हो गया। विश्लेषकों के अनुसार, अगले सप्ताह वैश्विक बाजार की दिशा निर्धारित करने में फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक और रूस-यूक्रेन मुद्दा की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। हालांकि पांच में से चार राज्यों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट से घरेलू शेयर बाजार पिछले लगातार चार सप्ताह की गिरावट से उबरने में कामयाब रहा है।
उन्होंने कहा कि वैश्विक कारकों के अलावा स्थानीय स्तर पर 14 जनवरी को जारी होने वाले खुदरा और थोक महंगाई के आंकड़ों का बाजार पर असर रहेगा। इसके अलावा अगले सप्ताह औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) के आंकड़े जारी होने की संभावना है। बाजार पर इसका प्रभाव भी देखा जा सकेगा।
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