मंगलवार, 8 मार्च 2022

1,000 साल पुरानी ममी के पास से कुछ अवशेष मिले

1,000 साल पुरानी ममी के पास से कुछ अवशेष मिले  

अखिलेश पांडेय        

लीमा। पेरू में 1000 साल पुरानी ममी के पास से कुछ ऐसे अवशेष मिले हैं। जिनसे पता चलता है कि उस समय वहां पर बच्चों की बलि दी जाती थी। यह ममी पिछले साल मिली था। तब से उसके आसपास खोजबीन जारी थी। यह ममी एक पुरुष की है, जो राजधानी लीमा से बाहर मौजूद प्राचीन शहर काजारमारकिला  में मिली थी। यह ममी घुटने को मोड़कर लेटी हुई थी। इस ममी के मिलने की खबर पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गई थी।

जब यह ममी मिली तब यह माना जा रहा था कि मौत के समय इस पुरुष की उम्र करीब 18 से 22 साल के बीच रही होगी। लेकिन बाद में जांच करने पर पता चला कि जब इसकी ममी बनाई गई, तब यह करीब 35 साल का था। आर्कियोलॉजिस्ट ने इस ममी का नाम चबेलो  रखा है।
चबेलो के आसपास खनन का काम जारी था. इस बीच आठ बच्चों के अवशेष मिले जो अंतिम संस्कार की विधियों के तहत बोरे और रस्सियों में लिपटे हुए थे। इनके अलावा 12 बच्चों के कंकाल भी मिले हैं। पुरातत्वविदों ने बताया कि इनमें से कुछ बच्चों के अवशेषों को देखकर लगता है कि उन्हें मारने से पहले या बलि देने से पहले प्रताड़ित किया गया था। उनकी हड्डियां टूटी हुई थीं।
नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सैन मार्कोस में आर्कियोलॉजी के प्रोफेसर पीटर वैन डालेन लूना ने बताया कि हम जानते हैं कि एंडियन समुदायों में अंतिम संस्कारों को लेकर कई विधाएं थी। वो दुनिया को अलग तरह से देखते थे। उनके यहां पर मृत्यु को लेकर जो मान्यताएं थीं, वो उनके लिए बेहद महत्वपूर्ण थीं। यह एक समानांतर दुनिया थी। वो मृत लोगों के सम्मान के लिए कई ऐसे काम करते थे, जो बाकी दुनिया के लिए विचित्र और हैरान करने वाली हो सकती हैं।
प्रो. पीटर वैन ने बताया कि उनकी टीम ने इन अवशेषों का डीएनए एनालिसिस और रेडियोकार्बन डेटिंग की। ताकि उस समय के लोगों के बारे में ज्यादा जानकारी मिल सके। काजारमारकिला शहर में चार पिरामिड मिले थे, जो करीब 1000 साल पुराने थे। उस समय यह शहर पेरू के तटों और पहाड़ों पर रहने वाले लोगों के बीच व्यापार का मुख्य मार्ग हुआ करता था। हालांकि अभी तक सिर्फ इस इलाके के एक फीसदी जगह को ही खनन कार्य में शामिल किया गया है।
प्रो. पीटर ने बताया कि हमें उस समय पेरू में किसी तरह के लिखित दस्तावेज, पांडुलिपियां, पत्थरों पर लिखावट आदि नहीं मिले हैं। इसलिए पुरातत्वविदों को उस समय के इतिहास और संस्कृति को समझने के लिए प्राचीन अवशेषों की अलग तरह से स्टडी करनी पड़ रही है।

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