मंगलवार, 1 फ़रवरी 2022

संगम व गंगा में डेढ़ करोड़ श्रद्धालुओं ने स्नान किया

संगम व गंगा में डेढ़ करोड़ श्रद्धालुओं ने स्नान किया   
बृजेश केसरवानी          
प्रयागराज। संगम तट पर मौनी अमावस्या पर्व के महत्व के अनुरूप ''मौन धारण करके बच्चे, युवा व वृद्धों ने त्रिविधि ताप-पाप नाशिनी त्रिवेणी (संगम) के आंचल (जल) में कुछ पलों की पनाह लिया। पवित्र जल डुबकी लगते ही श्रद्धालुओं को हृदय धड़कन, उच्छवास मौन की गूंज से 33 कोटि देवी-देवताओं से आत्मीय मिलन का आभास हुआ। माघ मास की अमावस्या तिथि सोमवार की दोपहर 1.27 बजे लग गई थी। इसी कारण स्नान का सिलसिला सोमवार की दोपहर से शुरू हो गया था। मंगलवार को दिन में 11.29 बजे तक अमावस्या तिथि थी, इसी कारण कोहरा व ठंड के बावजूद मध्यरात्रि से स्नान-दान का सिलसिला आरंभ हो गया। माघ मेला के प्रमुख स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर संगम तीरे भक्ति की अद्भुत बयार बही। 
श्रद्धालुओं पर पुण्य की वर्षा करने के लिए ग्रह भी एकाकार हो गए। धनु राशि में सूर्य, मंगल व शुक्र और मकर राशि में चंद्रमा, शनि व सूर्य का संचरण होने से स्नान पर्व का महत्व बढ़ गया। पुण्य बेला में आम श्रद्धालुओं के साथ शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती, महामंडलेश्वर संतोष दास ''सतुआ बाबा", जगद्गुरु स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती, जगद्गुरु स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ, जगद्गुरु स्वामी महेशाश्रम, स्वामी ब्रह्माश्रम, स्वामी विमलदेव आश्रम आदि ने संगम व गंगा में डुबकी लगाई। मंगलवार की शाम तक डेढ़ करोड़ श्रद्धालुओं ने स्नान किया। संगम के अलावा रामघाट, अक्षयवट घाट, दारागंज व दशाश्वमेध घाट पर भी स्नान-दान का सिलसिला दोपहर बाद तक चलता रहा। संगम के अलावा अरैल, दारागंज, अक्षयवट, दशाश्वमेध, फाफामऊ, रामघाट, गंगोली शिवालय आदि घाटों पर स्नान हुआ।

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