7 फरवरी को होगीं आरबीआई की बैठक: गवर्नर
अकांशु उपाध्याय नई दिल्ली। 7 फरवरी को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की अहम बैठक होने वाली है। 9 फरवरी को गवर्नर शक्तिकांत दास एमपीसी की बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देंगे। ब्रिटिश ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया इस बार रिवर्स रेपो रेट में बढ़ोतरी का ऐलान कर सकता है। उसने कहा कि सिस्टम से एक्सेस लिक्विडिटी को कम करने के लिए आरबीआई यह फैसला उठा सकता है। वर्तमान में रेपो रेट 4 फीसदी है। जबकि रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी है। बार्कलेज के मुताबिक, रिवर्स रेपो रेट 0.20-0.25 बेसिस प्वाइंट्स से बढ़ाया जा सकता है।
बार्कलेज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सरकार ने बजट 2022 पेश करते हुए कैपिटल एक्सपेंडिचर पर फोकस किया है। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए कैपिटल एक्सपेंडिचर को 35 फीसदी से बढ़ाया गया है।इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल का भाव लगातार बढ़ रहा है। इसका सीधा असर पेट्रोल-डीजल की रेट पर होता है। हालांकि, 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव के कारण मार्च तक पेट्रोल-डीजल की कीमत में बढ़ोतरी की संभावना नहीं है। उसके बाद ऑयल मार्केटिंग कंपनियां इसे ग्राहकों को पास करेंगी और महंगाई में तेजी से उछाल आएगा। ऐनालिस्ट्स का ये भी कहना है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट का इकोनॉमी पर असर बहुत ज्यादा असर नहीं दिख रहा है।ऐसे में रिजर्व बैंक रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट की खाई को कम करने की दिशा में काम करेगा। अभी रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट के बीच 0.65 फीसदी की खाई है।माना जा रहा है कि इस साल रिजर्व बैंक सबसे पहले इस खाई को घटाकर 0.25 फीसदी पर लाएगा। चालू वित्त वर्ष में अगस्त दिसंबर के बीच आरबीआई रेपो रेट 4 फीसदी से बढ़ाकर 4.75 फीसदी तक कर सकता है।
बजट 2022 में निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2020-23 के लिए फिस्कल डेफिसिट का टार्गेट जीडीपी का 6.4 फीसदी रखा है। चालू वित्त वर्ष यानी 2021-22 के लिए डेफिसिट के पहले के 6.8 फीसदी लक्ष्य को बढ़ाकर 6.9 फीसदी कर दिया गया है। रेटिंग एजेंसी फिच ने फिस्कल डेफिसिट के टार्गेट पर सवाल उठाया है। उसने कहा कि फिस्कल डेफिसिट का लक्ष्य 6.1 फीसदी से ज्यादा नहीं रखना चाहिए था। नवंबर में रेटिंग के दौरान उसने अगले वित्त वर्ष के लिए डेफिसिट का अनुमान 6.1 फीसदी रखा था। ऐनालिस्ट्स का कहना था कि अगर फिस्कल डेफिसिट का लक्ष्य ज्यादा रखा जाता है तो आरबीआई को मॉनिटरी पॉलिसी में बदलाव करना होगा। फिच ने कहा कि इमर्जिंग इकोनॉमी में भारत पर सबसे ज्यादा कर्ज का बोझ है। नवंबर 2021 में फिच रेटिंग्स ने भारत की सॉवरिन रेटिंग बीबीबी- के साथ नेगेटिव आउटलुक रखा था। ताजा बयान के मुताबिक, भारत पर कर्ज का बोझ जीडीपी का 90 फीसदी के करीब है।इमर्जिंग इकोनॉमी में जिन देशों की रेटिंग ‘बीबीबी-‘ है, भारत पर सबसे ज्यादा कर्ज का बोझ है। मई 2020 से रेपो रेट 4 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी पर बरकरार है। रेपो रेट वह इंट्रेस्ट रेट होता है। जिसपर आरबीआई बैंकों को लोन बांटता है।रिवर्स रेपो रेट वह इंट्रेस्ट रेट होता जब वह बैंकों से कर्ज लेने पर उन्हें इंट्रेस्ट ऑफर करता है।
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