ऑस्ट्रेलिया: वैज्ञानिकों ने 'सुपरमाउंटेन' की खोज की
अखिलेश पांडेय
सिडनी। दुनियाभर के वैज्ञानिक धरती के रहस्यों को जानने की कोशिश कर रहे हैं। धरती के रहस्यों को जानने में जुटे वैज्ञानिक आए दिन नए-नए खुलासे करते हैं। अब इस बीच ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने सुपरमाउंटेन की खोज की है। यह सुपरमाउंटेन हिमालय से भी 3 गुना बड़े थे। वैज्ञानिकों ने धरती के इतिहास में प्राचीन सुपरमाउंटेन के निर्माण की जांच की है। ऑस्ट्रेलिया के नेशनल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता जियी झू और उनके साथियों ने यह जांच की है।
वैज्ञानिकों ने जिरकॉन्स के अवशेषों के जरिए इसकी जांच की है। कम ल्यूटेशियम वाला यह खनिज पदार्थ मिनरल और रेअर अर्थ मिलकर बनकर बनता है। विशाल पहाड़ों के नीचे दबाव वाले स्थान पर पाया जाता है। शोधकर्ताओं को रिसर्च के दौरान पता चला है कि सबसे पहले 2 से 1.8 अरब साल पहले तब सुपरमाउंटेन का निर्माण हुआ था जब नूना महाद्वीप जम रहा था। दूसरी बार 65 करोड़ से 50 करोड़ साल पहले सुपरमाउंटेन बना बना जब गोंडवाना महाद्वीप का निर्माण हुआ था। ऑस्ट्रेलिया के नेशनल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता जियी झू ने बताया है कि सुपरमाउंटेन के निर्माण और धरती के विकास में दो अहम काल के बीच संबंध है। हालांकि वर्तमान समय में ऐसे सुपरमाउंटेन धरती पर नहीं हैं। उनका कहना है कि हिमालय सिर्फ 2400 किलोमीटर मे फैला है, लेकिन प्राचीन सुपरमाउंटेंस की रेंज कई गुना अधिक थी।
शोधकर्ताओं ने बताया है कि सुपरमाउंटेंस कैसे खत्म हुए और समुद्र में समा गए। इसकी वजह से समुद्र में पोषक तत्व भरे पड़े हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसकी वजह से जीवन की उत्पत्ति बहुत तेजी से हुई। समुद्र में ही सबसे पहले जीवन का विकास हुआ। टेक्टोनिक प्लेट्स के जमीनी इलाकों में आपस में मिलने की वजह से आमतौर पर पहाड़ों का निर्माण होता है। जिई झू का कहना है कि लाखों-करोड़ों साल तक पहाड़ों के निर्माण की प्रक्रिया चलती है और पहाड़ अपने तय समय पर खत्म हो जाते हैं। क्योंकि पहाड़ों के निर्माण के साथ ही उनके खत्म होने की तारीख भी तय होती है।वैज्ञानिको कहना है कि सुपरमाउंटेंस की तरह हिमालय के नीचे भी जिरकॉन्स हो सकता है।झू का कहना है कि महाद्वीपों के निर्माण के दौरान सुपरमाउंटेन ऊपर उठे। उनका कहना है कि सुपरमाउंटेन के क्षरण का माइक्रोस्कोपिक और विशाल जीवधारियों से संबंध हो सकता है।
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