सीएम खट्टर ने 138 साहित्यकारों को सम्मानित किया
राणा ओबरॉय
चंडीगढ़। हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि सभी भाषाओं के साहित्यकार समान होते हैं। ऐसे में सरकार द्वारा दी जाने वाली पुरस्कार राशि भी समान होनी चाहिए। हरियाणा की साहित्य अकादमियों को पुरस्कार राशि को लेकर एक समान फॉर्मूला बनाया जाए। अभी तक हरियाणा की चारों साहित्य अकादमियां साहित्य के क्षेत्र में अलग-अलग पुरस्कार राशि दे रही हैं। मुख्यमंत्री गुरुवार को टैगोर थियेटर में हरियाणा साहित्य पर्व के अवसर पर बोल रहे थे। मुख्यमंत्री ने हरियाणा संस्कृत अकादमी और पंजाबी साहित्य अकादमी की वेबसाइट व मोबाइल एप्लीकेशन लॉन्च किए।इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर ने संस्कृत, हिंदी, पंजाबी व उर्दू भाषा के 138 साहित्यकारों को सम्मानित किया। यह सम्मान हरियाणा संस्कृत अकादमी, हरियाणा ग्रंथ अकादमी, हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी, हरियाणा उर्दू अकादमी के अंतर्गत दिए गए।
मुख्यमंत्री चारों अकादमियों के अध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा साहित्यकारों की भूमि रही है, यहां बाबू बालमुकंद गुप्त, हाली पानीपती, दादा लख्मीचंद और बाबा फरीद जैसे साहित्यकार जन्में हैं। इन साहित्यकारों की जन्मभूमि पर साहित्य की दृष्टि से काम करने की जरुरत है। इसी कड़ी में बाबू बालमुकंद गुप्त के पैतृक गांव रेवाड़ी के गुड़ियानी में उनकी हवेली पर एक सरकारी ई-लाइब्रेरी बनाई जाएगी। इससे युवाओं को साहित्य पढ़ने का मौका मिलेगा। मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि साहित्यकार होना अपने आप में सम्मान है। हरियाणा सरकार द्वारा दिए जाने वाले साहित्य सम्मान कोरोना की वजह से नहीं दिए जा सके थे। इस वर्ष साहित्य पर्व मनाकर यह सम्मान दिए गए हैं। साहित्य व संगीत का हर जीवन में महत्व है। हरियाणा में वैदिक मनिषियों ने वेदों, उपनिषदों, गीता और महाभारत की रचना की थी। हमारा साहित्य पुरातन है। साहित्य को मन से स्मरण करना चाहिए, वाणी से बोलना चाहिए।
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि देश की आजादी में अलग-अलग वर्ग के बहुत से लोगों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई लेकिन साहित्यकारो, कवियों, लेखकों, रचनाकारों व पत्रकारों ने समाज को जागरूक करने में अहम योगदान दिया। इससे देशभक्ति आंदोलन को बल मिला और राष्ट्रप्रेम व जनजागरण की भावना आई। मुख्यमंत्री ने नेपोलियन बोनापार्ट का उदाहरण देते हुए कहा कि दो ही ताकतें हैं या तो तलवार की या फिर कलम की।
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि आज इंटरनेट के दौर में युवाओं की साहित्य के प्रति रूचि कम हो रही है, उन्हें जागरूक करने की आवश्यकता है। साहित्य अकादमियों के माध्यम से गांव-गांव जाकर लोगों को प्रेरित किया जा रहा है। साहित्य के क्षेत्र में योगदान कम न हो इसलिए सभी साहित्य अकादमियां महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने कहा कि साहित्यकार और साहित्य देश व समाज की सीमाओं में नहीं बंधे होते। वे कहीं भी अपने साहित्य से समाज को जागरूक कर सकते हैं। साहित्य में कही गई बात कई बार लोगों का पूरा जीवन सुधार देती है। संतों की वाणी सुनकर बुराई से ग्रसित लोगों के जीवन में भी बदलाव आ जाता है।
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा सरकार साहित्य के सृजन को बढ़ावा दे रही है। अकादमियों द्वारा पुस्तकों के प्रकाशन के लिए अनुदान दिया जा रहा है। इसके अलावा अच्छी रचनाओं को पाठ्यक्रमों में भी शामिल किया जाता है। उन्होंने साहित्यकारों का आह्वान करते हुए कहा कि साहित्य की लौ धीमी नहीं होनी चाहिए। ज्ञान, शब्दकोष, रचनाओं से समाज में जनजागरण करें और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाएं।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव डॉ. अमित अग्रवाल ने कहा कि राज्य की सभी अकादमी उत्कृष्ट काम कर रही हैं। समाज के लिए प्रकाश स्तम्भ का काम करने वाले साहित्यकारों को सम्मानित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि साहित्यकारों के प्रति मुख्यमंत्री का अगाध प्रेम है। मुख्यमंत्री ने हरियाणा साहित्य पर्व के सफल आयोजन पर डॉ. अमित अग्रवाल व हरियाणा उर्दू अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ. चंद्र त्रिखा को बधाई दी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री वी उमाशंकर, हरियाणा संस्कृत अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ. दिनेश शास्त्री, हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र चौहान, हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष श्री गुरविंदर सिंह धमीजा व प्रदेशभर से आए सभी साहित्यकार, उनके परिजन व वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि देश की आजादी में अलग-अलग वर्ग के बहुत से लोगों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई लेकिन साहित्यकारो, कवियों, लेखकों, रचनाकारों व पत्रकारों ने समाज को जागरूक करने में अहम योगदान दिया। इससे देशभक्ति आंदोलन को बल मिला और राष्ट्रप्रेम व जनजागरण की भावना आई। मुख्यमंत्री ने नेपोलियन बोनापार्ट का उदाहरण देते हुए कहा कि दो ही ताकतें हैं या तो तलवार की या फिर कलम की।
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि आज इंटरनेट के दौर में युवाओं की साहित्य के प्रति रूचि कम हो रही है, उन्हें जागरूक करने की आवश्यकता है। साहित्य अकादमियों के माध्यम से गांव-गांव जाकर लोगों को प्रेरित किया जा रहा है। साहित्य के क्षेत्र में योगदान कम न हो इसलिए सभी साहित्य अकादमियां महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने कहा कि साहित्यकार और साहित्य देश व समाज की सीमाओं में नहीं बंधे होते। वे कहीं भी अपने साहित्य से समाज को जागरूक कर सकते हैं। साहित्य में कही गई बात कई बार लोगों का पूरा जीवन सुधार देती है। संतों की वाणी सुनकर बुराई से ग्रसित लोगों के जीवन में भी बदलाव आ जाता है।
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा सरकार साहित्य के सृजन को बढ़ावा दे रही है। अकादमियों द्वारा पुस्तकों के प्रकाशन के लिए अनुदान दिया जा रहा है। इसके अलावा अच्छी रचनाओं को पाठ्यक्रमों में भी शामिल किया जाता है। उन्होंने साहित्यकारों का आह्वान करते हुए कहा कि साहित्य की लौ धीमी नहीं होनी चाहिए। ज्ञान, शब्दकोष, रचनाओं से समाज में जनजागरण करें और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाएं।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव डॉ. अमित अग्रवाल ने कहा कि राज्य की सभी अकादमी उत्कृष्ट काम कर रही हैं। समाज के लिए प्रकाश स्तम्भ का काम करने वाले साहित्यकारों को सम्मानित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि साहित्यकारों के प्रति मुख्यमंत्री का अगाध प्रेम है। मुख्यमंत्री ने हरियाणा साहित्य पर्व के सफल आयोजन पर डॉ. अमित अग्रवाल व हरियाणा उर्दू अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ. चंद्र त्रिखा को बधाई दी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री वी उमाशंकर, हरियाणा संस्कृत अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ. दिनेश शास्त्री, हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र चौहान, हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष श्री गुरविंदर सिंह धमीजा व प्रदेशभर से आए सभी साहित्यकार, उनके परिजन व वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
आजीवन साहित्य साधना सम्मान वर्ष 2017 के लिए डॉ. कमल कशोर गोयनका व वर्ष 2018 के लिए डॉ. सुरेश गौतम, 2019 के लिए श्री माधव कौशिक और 2020 के लिए श्री ज्ञानप्रकाश विवेक को 7-7 लाख रुपये की पुरस्कार राशि व प्रशस्ति पत्र दिया गया। फख्रे हरियाणा सम्मान वर्ष 2019 के लिए डॉ. हिम्मत सिंह सिन्हां नाजिम, वर्ष 2020 के लिए डॉ. कुमार पानीपती को 5-5 लाख रुपये की राशि व प्रशस्ति पत्र दिया गया। इसी प्रकार महाकवि सूरदास आजीवन साहित्य सम्मान वर्ष 2017 के लिए डॉ. पूर्ण चंद शर्मा, 2018 के लिए श्री मधुकांत, डॉ. संतराम देशवाल, वर्ष 2019 के लिए डॉ. सुदर्शन रत्नाकर व श्रीमति चंद्रकांता, वर्ष 2020 के लिए डॉ. सुभाष रस्तोगी को 5-5 लाख रुपये की राशि व प्रशस्ति पत्र दिए गए। इसके अलावा अलग-अलग श्रेणियों में कुल 138 साहित्यकार सम्मानित हुए।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thank you, for a message universal express.