अमेरिका-चीन के बीच टकराव, युद्ध के हालात बनें
वाशिंगटन डीसी/ बीजिंग। नए साल में ताइवान और तिब्बत को लेकर अमेरिका और चीन के बीच टकराव बढ़ सकता है। ताइवान और तिब्बत को लेकर एक शीत युद्ध जैसे हालात बन सकते हैं। नए वर्ष के ठीक पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने तिब्बत मामले के लिए भारतीय मूल की राजनयिक अजरा जिया को अपना स्पेशल को-आर्डिनेटर नियुक्त करके चीन को उकसा दिया है। अमेरिका के इस कदम से चीन पूरी तरह से तिलमिलाया है। एक तो मामला तिब्बत में अमेरिकी हस्तक्षेप और दूसरा भारतीय मूल के राजनयिक की नियुक्ति से चीन पूरी तरह से बौखला गया है।
बाइडन प्रशासन के इस कदम से यह आशंका प्रबल हो गई है कि नए साल में भी अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ना तय है।
अपनी 'आजादी' व लोकतंत्र की रक्षा का संकल्प
सुनील श्रीवास्तव
ताइपे/ बीजिंग। ताइवान की राष्ट्रपति साइ इंग-वेन ने शनिवार को नए साल पर चीन को चेताया कि वह सैन्य संघर्ष के दुस्साहस की न सोचे। उन्होंने चीन की ओर से लगातार बढ़ते सैन्य व कूटनीतिक दबाव के बीच अपने आजादी व लोकतंत्र बनाए रखने की चुनौतियों का जवाब इस चेतावनी के साथ दिया कि यदि ताइवान पर चीन ने किसी भी लाल रेखा को पार किया तो यह गंभीर तबाही का कारण बनेगा।
चीन लोकतांत्रिक रूप से शासित ताइवान को अपने क्षेत्र के रूप में दावा करता है और नए साल की पूर्व संध्या पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एक बार फिर ताइवान के एकीकरण की बात कही। इस पर साइ ने कहा, ताइवान एक स्वतंत्र देश है और उसने अपनी आजादी व लोकतंत्र की रक्षा का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा, लोकतंत्र और स्वतंत्रता कोई अपराध नहीं है। हांगकांग के समर्थन में भी ताइवान की स्थिति नहीं बदलेगी।
साइ ने कहा, हम ताइवान को और भी बेहतर बनाएंगे और दुनिया को दिखाएंगे कि लोकतांत्रिक ताइवान में सत्तावादी चीन की छाया से बाहर निकलने का साहस है और हम दबाव में नहीं झुकेंगे। साइ के भाषण के बाद बीजिंग में ताइवान मामलों के कार्यालयीन प्रवक्ता झू फेंग्लियन ने कहा, हम शांतिपूर्ण एकीकरण के लिए तैयार हैं। लेकिन यदि उसे अलगाववादी ताकतें उकसाती हैं तो हमें निर्णायक कदम उठाने होंगे।
एक मीडिया सूत्र के अनुसार, ताइवान में हांगकांग से आव्रजन में वृद्धि देखी जा रही है, जहां चीन ने विवादित राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत अपनी कार्रवाई कड़ी कर दी है। जैसे-जैसे चीन विपक्ष पर अपना हमला तेज करता है, ताइवान हांगकांग से प्रवासियों की संख्या में वृद्धि देखता है। रेडियो फ्री एशिया के अनुसार, ताइवान में प्रवास करने वाले हांगकांग वासियों की संख्या 2021 में एक नई ऊंचाई पर पहुंच गई है।
चीन ने वर्ष 1990 के बाद से पहली बार निकारागुआ में दूतावास खोला है। चीन ने यह कदम निकारागुआ के राष्ट्रपति डेनियल ओर्टेगा की सरकार के ताइवान से संबंध समाप्त करने के बाद उठाया है। विदेश मंत्री डेनिस मोनकाडा ने कहा कि दोनों देशों के बीच एक प्रकार की वैचारिक आत्मीयता है। मोनकाडा ने कोरोना रोधी टीके सिनोफार्म की दस लाख खुराक देने के लिए चीन का आभार भी जताया।
दरअसल ओर्टेगा की सरकार ने चीन के साथ 1985 में संबंध स्थापित किए थे, लेकिन 1990 में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हार जाने के बाद देश के नए राष्ट्रपति विलेटा कामारो की सरकार ने ताइवान को मान्यता दे दी। निकारागुआ की सरकार ने ताइवान के साथ नौ दिसंबर को संबंध समाप्त कर लिए थे और पिछले सप्ताह उसने ताइवान के दूतावास कार्यालय बंद कर दिया था।
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