हथियारों के जखीरे को विनाशकारी बनाएंंगा 'रूस'
अखिलेश पांडेय मास्को। रूस का विवाद यूक्रेन के साथ है। लेकिन यह बात क्रेमलिन को अच्छे से पता है कि आगे बढ़ने पर उसकी टक्कर अमेरिका और नाटो सैन्य बल से हो सकती है। लिहाजा रूस अपने हथियारों के जखीरे को और ज्यादा विनाशकारी बनाने में जुटा है। रूस के नीति विशेषज्ञ क्लिंट एर्लिच ने दावा किया है कि यूक्रेन पर तनावपूर्ण स्थिति के बीच पुतिन की सेना 'सुपरवेपन्स' को लेकर एक सीक्रेट कार्यक्रम चला रही है। जो अमेरिका का मुकाबला करने में सक्षम होंगे।
एर्लिच की चेतावनी ऐसे समय पर आई है जब क्रेमलिन यूक्रेन के पास बड़े पैमाने पर सैनिकों को इकट्ठा कर रहा है। जिसने पश्चिम में हमले की आशंका को बढ़ा दिया है। एर्लिच ने कहा कि वे कई एडिश्नल सुपरवेपन्स विकसित कर रहे हैं, जिसमें परमाणु ऊर्जा से चलने वाली क्रूज मिसाइलें भी शामिल हैं। यह ठीक वैसा ही है जैसा अमेरिका ने शीत-युद्ध के दौरान देखा था और यह बहुत खतरनाक है। उन्होंने कहा कि डर यह है कि अगर मिसाइल के नीचे लगा परमाणु रिएक्टर खराब हो जाता है तो आपके यह सिर्फ बार-बार पृथ्वी के चक्कर लगाएगी और हर जगह परमाणु कचरा फैलाएगी। रूस इसे एक संभावित हथियार के रूप में विकसित कर रहा है। एर्लिच ने बताया कि ऐसा माना जाता है कि इनमें से एक मिसाइल खराब हो गई थी और यह समुद्र के तल में गिरकर नष्ट हो गई। एक टीम ने उस मिसाइल को दोबारा हासिल करने की कोशिश की लेकिन एक परमाणु दुर्घटना में कई वैज्ञानिकों सहित टीम के सदस्यों की मौत हो गई।
एर्लिच ने कहा, 'लेकिन उन्होंने उस तकनीक को विकसित करना नहीं छोड़ा है। क्योंकि रूस एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल संधि की खत्म होने के बाद पश्चिम पर परमाणु श्रेष्ठता बनाए रखने के लिए बेहद दृढ़ है।' यूक्रेन विवाद को लेकर पुतिन ने कहा है कि अमेरिका और नाटो देशों ने यूक्रेन के साथ चल रहे गतिरोध पर रूस की मुख्य सुरक्षा मांगों का निपटारा नहीं किया है। यूक्रेन संकट शुरू होने के कई सप्ताह बाद पहली बार पुतिन ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रां के साथ फोन पर बातचीत के दौरान अपनी अपनी मांग दोहराई।
सुनील श्रीवास्तव नई दिल्ली/ काबूल। अन्न का संकट झेल रहे अफगानिस्तान की मदद के लिए भारत आगे आया है। भारत पाकिस्तान के रास्ते फरवरी के माह में गेहूं की खेप की आपूर्ति की शुरुआत कर सकता है। मीडिया में शनिवार को आई खबर के मुताबिक भारत और पाकिस्तान ने महीनों की चर्चा के बाद अफगानिस्तान के लिये गेहूं की आपूर्ति के तौर-तरीकों पर सहमति व्यक्त की है।
अफगानिस्तान में सामने आ रहे मानवीय संकट से निपटने के लिए अफगानिस्तान को भारत अबाधित मानवीय सहायता प्रदान करने की वकालत करता रहा है। वह पाकिस्तान के रास्ते सड़क परिवहन के जरिए 50,000 टन गेहूं और दवाएं अफगानिस्तान भेजने की पहले ही घोषणा कर चुका है।
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