चीन ने अपनी सैन्य ताकत में इजाफा किया, बदलाव
सुनील श्रीवास्तव बीजिंग। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के सत्ता में रहते हुए चीनी सेना के अंदर बड़ा बदलाव आया है। यह दुनिया की अधिक सक्षम और विश्व स्तरीय आधुनिक सेना बनी है। चीन ने अपनी सैन्य ताकत में इतना इजाफा कर लिशया है कि वह अमेरिका की भी नहीं सुन रहा है। वह अमेरिका को एक तरह से खुली चुनौती दे रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर अपने किन हथियारों के बल पर चीन इतराता है। क्या उसकी सैन्य क्षमता इतनी बढ़ गई है कि वह अमेरिका जैसे महाशक्तिशाली देश को चुनौती दे सके। आइए जानते हैं कि आखिर चीन के पास कौन-कौन से खतरनाक हथियार हैं, जिससे अमेरिका भी घबड़ाता है।हाल में चीनी राष्ट्रपति चिनफिंग ने कहा था कि उन्होंने सेना को आधुनिक बनाया है। चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि युद्ध लड़ने और जीतने के लिए उन्होंने एक ताकतवर सेना तैयार की है। सात वर्ष पूर्व चीनी सेना में पीएलए राकेट फोर्स की स्थापना हुई थी। इस सेना ने पहली बार वर्ष 2015 सैन्य परेड में प्रदर्शन किया था। इस सेना ने पांच माडल प्रदर्शित किए थे, जिनमें नए और पुराने दोनों तरह के माडल थे।
इसमें परंपरागत राकेट से लेकर परमाणु मिसाइल तक शामिल थे।इसमें नई जनरेशन की डागफेंग डीएफ-31एजी इंटरकांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल शामिल है। इसकी मारक क्षमता 10,000 किलोमीटर तक है। इसके अलावा मध्यम दूरी की मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल डीएफ-21डी भी है। इस मिसाइल को कैरियर किलर भी कहा जाता है। गत वर्ष चीनी सेना की परेड के दौरान करीब 16 डीएफ-31एजी मिसाइल को दिखाया था। इस मिसाइल को डीएफ-31ए का विकसित रूप माना जाता है।इस दौरान चीन ने अपने नए डिफेंस मिसाइल का भी प्रदर्शन किया था। इसमें एचक्यू-9बी और एक्यू-22 मिसाइल शामिल थीं। एचक्यू-9बी जमीन से हवा में मार करने में सक्षम है। एचक्यू-22 विमान और क्रूज मिसाइलों को रोकने में काम आता है। एचक्यू-9बी मोबाइल एयर डिफेंस सिस्टम एचक्यू-9 का विकसित रूप है। चीन ने इसे विवादित दक्षिण चीन सागर में तैनात किया गया है।
चीन अपने जे-16 विमान पर भी इतराता है। पिछले वर्ष जे-16 फाइटर जेट को पहली बार पेश किया था। यह जे-11बी तकनीक पर विकसित किया गया है। यह कहा जाता है कि यह सुखोई-30 एमकेके का ही संशोधित रूप है। जे-16 दो सीटों वाला फाइटर विमान है। इस विमान में दो इंजन हैं। यह हवा से हवा में और हवा से पानी पर भी मार करने में सक्षम हैं। इस विमान को नौसेना के लिए तैयार किया गया है। जंग के दौरान जे-16 की जबरदस्त क्षमता है। इसमें लगा रडार दुनिया का सबसे बेहतरीन रडार है। चीन का फाइटर जेट जे-20 चौथी जेनरेशन का फाइटर है। जे-20 फाइटर विमान लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम है।पिछले वर्ष चीन ने अपने अत्याधुनिक इलैक्ट्रानिक युद्ध उपकरणों को दुनिया के सामने दिखाया था। चीन ने पहली बार अपनी सूचना तंत्र की क्षमता को सार्वजनिक तौर पर प्रदर्शित किया। इस दौरान जंग के मैदान में दुश्मनों के रडार को नकाम करने वाले 16 इलेक्ट्रानिक उपकरणों को प्रदर्शित किया गया था। इसके अलावा दो इलेक्ट्रानिक टोही वाहन भी प्रदर्शित किए गए थे। ये दोनों ही दुश्मनों के सिस्टम को पहले ही रोकने और उसे अक्षम बनाने की क्षमता रखते हैं।
चीनी सेना के आधुनिकीकरण के साथ ही ड्रैगन इस मामले में अमरीका के करीब पहुंचता जा रहा है। इन हथियारों को देखकर लगता है कि पीएलए ने 1927 में नानचांग में अपने उदय से लेकर अब तक में काफी दूरी तय कर ली है। हालांकि यह सत्य है कि ज्यादातर हथियारों की वास्तविक लड़ाई में आजमाया जाना बाकी है।
जनरल मोटर्स का 90 साल से चला रहा दबदबा खत्म
अखिलेश पांडेय वाशिंगटन डीसी। अमेरिकी की दिग्गज ऑटो कंपनी जनरल मोटर्स का 90 साल से चला आ रहा दबदबा अब खत्म हो गया है। जनरल मोटर्स अब अमेरिका की सबसे ज्यादा कारें बेचने वाली कंपनी नहीं रह गई है। जापान की कंपनी टोयोटा ने उससे यह ताज छीन लिया है। टोयोटा ने पिछले साल अमेरिकी बाजार में 23 लाख से ज्यादा गाड़ियां बेची। उसने पिछले साल जनरल मोटर्स से पांच फीसदी यानी 114,000 ज्यादा गाड़ियां बेची।जनरल मोटर्स ने पिछले साल करीब 22 लाख गाड़ियां बेची जबकि 2020 में कंपनी ने 25 लाख गाड़ियां बेची थी। कंपनी का कहना है कि उसकी बिक्री में 13 फीसदी कमी आई है।
सेमीकंडक्टर चिप की कमी से उसका उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। जनरल मोटर्स का मुख्यालय डेट्रायट में है और अमेरिकी बाजार में सबसे ज्यादा कारें बेचना का तमगा 1931 से इसी कंपनी के पास था। हालांकि कंपनी का कहना है कि वह अपना ताज वापस पाने के लिए हरसंभव कोशिश करेगी।
एनालिस्ट्स का कहना है कि 2020 की तुलना में 2021 में अमेरिकी बाजार में नई कारों की बिक्री में दो फीसदी की बढ़ोतरी हुई। लेकिन यह प्री-कोविड लेवल से काफी कम है। कंपनियों को सप्लाई चेन की समस्याओं से गुजरना पड़ा रहा है। इससे कीमतों में भी तेजी आई है। लेकिन दूसरी ऑटो कंपनियों की तुलना में टोयोटा पर चिप की कमी का ज्यादा असर नहीं हुआ। इसकी वजह यह थी कि कंपनी ने 2011 में आए भूकंप और सूनामी के बाद चिप का भंडार बनाने का फैसला किया था।लेकिन महामारी शुरू होने से पहले ही अमेरिकी की टॉप कार कंपनियां बिक्री के मामले में इंटरनेशनल कंपनियों से पिछड़ने लगी थीं। कभी अमेरिकी में कारों की कुल बिक्री में फोर्ड, जनरल मोटर्स और क्रिसलर की 90 फीसदी हिस्सेदारी थी। 2008 तक देश में बिकने वाली आधी कारें इन्हीं कंपनियों की होती थी लेकिन अब यह स्थिति बदल गई है। टोयोटा की कैमरी पिछले 20 साल से अमेरिका में सबसे ज्यादा बिकने वाली पैसेंजर कार बनी हुई है जबकि बेस्ट सेलिंग एसयूवी का तमगा पिछले पांच साल से उसकी गाड़ी Rav4 के पास है। 2005 तक टोयोटा अमेरिकी बाजार में चौथे नंबर पर थी। लेकिन 2021 आते-आते यह स्थिति बदल गई। अब जीएम, फोर्ड और क्रिसलर की हिस्सेदारी घटकर 38 फीसदी रह गई है। अगर इसमें टेस्ला को भी शामिल कर लिया जाए तो यह 40 फीसदी पहुंचती है।
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