गुरुवार, 6 जनवरी 2022

ओमिक्रोन के बीच 'ग्रैमी अवार्ड्स' समारोह स्थगित

ओमिक्रोन के बीच 'ग्रैमी अवार्ड्स' समारोह स्थगित 

सुनील श्रीवास्तव       सैक्रामेंटो। कैलिफोर्निया ने कोरोना वायरस के नए स्वरूप ‘ओमिक्रोन’ के बढ़ते मामलों के बीच लॉस एंजिलिस में आयोजित होने वाले ‘ग्रैमी अवार्ड्स’ समारोह को बुधवार को स्थगित कर दिया गया। यह समारोह 31 जनवरी को लॉस एंजिलिस के ‘क्रिप्टो डॉट कॉम एरिना’ में आयोजित किया जाना था। समारोह के लिए नई तारीख की घोषणा अभी नहीं की गई है। ‘रिकॉर्डिंग एकेडमी’ ने कहा कि ” शहर और राज्य के अधिकारियों, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विशेषज्ञों, कलाकार समुदाय और हमारे कई सहयोगियों के साथ गहन विचार-विमर्श के बाद” कार्यक्रम स्थगित करने का निर्णय किया गया। ‘रिकॉर्डिंग एकेडमी’ ने एक बयान में कहा, ” ‘ओमीक्रोन’ के कारण, 31 जनवरी को कार्यक्रम आयोजित करने में बहुत अधिक खतरा था।”

पिछले साल भी कोविड-19 संबंधी चिंताओं के कारण इस कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया था। 2021 में, जनवरी में इसे स्थगित कर मध्य मार्च में लॉस एंजिलिस के ‘कन्वेंशन सेंटर’ में आयोजित किया गया था। ग्रैमी के अलावा पिछले वर्ष कई बड़े पुरस्कार समारोह भी स्थगित किए गए थे।

चीन के साथ विवाद में लिथुआनिया का समर्थन किया

अखिलेश पांडेय        वाशिंगटन डीसी। अमेरिका और जर्मनी ने चीन के साथ विवाद में लिथुआनिया का समर्थन किया और कहा कि बीजिंग द्वारा इस छोटे से बाल्टिक देश पर दबाव डालना अनुचित है। दरअसल लिथुआनिया ने पिछले साल विलनियस में ताइवान को ताइपे नाम के बजाए अपने ही नाम पर कार्यालय खोलने की मंजूरी दी थी। यह एक ऐसा कदम है, जिसे उठाने से दुनिया के ज्यादातर देश बचते हैं क्योंकि इससे उन्हें चीन की नाराजगी मोल लेनी पड़ सकती है। चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और उसे कोई राजनयिक पहचान नहीं देता है। लिथुआनिया के इस कदम से चीन नाराज हो गया और उसने विलनियस से अपने राजदूत को बुला लिया और बीजिंग से लिथुआनिया के राजदूत को देश से जाने के लिए कह दिया।

अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने जर्मनी की अपनी समकक्ष के साथ हुई बैठक के बाद बुधवार को कहा कि लिथुआनिया पर दबाव डालने के चीन की सरकार के कदम से वे चिंतिंत हैं। इस देश की आबादी 30 लाख से भी कम है। जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेरबोक ने कहा,” यूरोपीय होने के नाते हम लुथिआनिया के प्रति एकजुटता व्यक्त करते हैं।” ब्लिंकन ने कहा कि चीन यूरोपीय और अमेरिकी कंपनियों पर दबाव डाल रहा है कि वे लिथुआनिया में बने घटकों से उत्पाद बनाना बंद करें या चीनी बाजार में पहुंच समाप्त होने के खतरे का सामना करें।

संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षकों के समूह पर हमला: लेबनान

अखिलेश पांडेय            बेरूत। अज्ञात हमलावरों ने दक्षिणी लेबनान में संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षकों के एक समूह पर हमला किया, उनके वाहनों में तोड़-फोड़ की और उनके सामान छीन लिए। संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। यूनान में संयुक्त राष्ट्र के अंतरिम बल (यूएनआईएफआईएल) ने लेबनान के अधिकारियों से मामले की त्वरित जांच करने और हमले के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।

यह जानकारी यूएनआईएफआईएल की प्रेस अधिकारी कनडाइस आर्डिल ने दी। उन्होंने बताया कि घटना मंगलवार रात की है। वहीं स्थानीय मीडिया ने अपनी खबर में कहा कि दक्षिणी कस्बे बिंट जबील के लोग आयरलैंड के शांतिरक्षकों से भिड़ गए क्योंकि वे घरों की तस्वीरें ले रहे थे। खबर में कहा गया कि संयुक्त राष्ट्र बल के साथ लेबनान के सैनिक नहीं थे। संयुक्त राष्ट्र ने इन खबरों से इनकार किया कि शांतिरक्षक घरों की तस्वीरें ले रहे थे। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने न्यूयॉर्क में कहा कि वे नियमित गश्त के लिए लेबनान सशस्त्र बलों के अपने सहयोगियों के पास जा रहे थे। दुजारिक ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षकों की आवाजाही की स्वतंत्रता का सम्मान करने की मांग करता है, जो संयुक्त राष्ट्र और लेबनान की सरकार के बीच बलों के समझौते के तहत अनिवार्य है और जो 2006 के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव के तहत भी आता है।

गौरतलब है कि बिंट जबील हिजबुल्ला का गढ़ है और 2006के युद्ध के दौरान इसका अधिकतर हिस्सा तबाह हो गया था। आर्डिल ने कहा कि जो अफवाह फैलाई जा रही है उससे ठीक विपरीत शांतिरक्षक नियमित गश्त के लिए लेबनान के सैनिकों के पास जा रहे थे। उन्होंने कहा कि यूएनआईएफआईएल हमले की निंदा करता है। यूएनआईएफआईएल का गठन 1978 के हमले के बाद इजराइली सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए किया गया था। इजराइल और हिजबुल्ला के बीच 2006 में एक माह तक चले युद्ध के बाद मिशन को बढ़ा दिया गया था।

श्रीलंका ने 12 'भारतीय' मछुआरों को रिहा किया

कोलंबो। श्रीलंका की एक अदालत ने 12 भारतीय मछुआरों को रिहा कर दिया है। जिन्हें देश के जलक्षेत्र में मछली पकड़ने के आरोप में हिरासत में लिया गया था। यहां भारतीय उच्चायोग इन मछुआरों को तमिलनाडु भेजने के लिए कदम उठा रहा है। मन्नार की अदालत द्वारा रिहा किए गए मछुआरों को श्रीलंका की नौसेना ने 19 दिसंबर, 2021 को मन्नार में हिरासत में लिया था। जाफना में भारत के वाणिज्य दूतावास ने ट्विटर पर कहा कि हिरासत में लिए गए इन 12 मछुआरों को बृहस्पतिवार को मन्नार अदालत ने रिहा कर दिया। जाफना में महावाणिज्य दूतावास (सीजी जाफना) ने अदालत में मछुआरों के मामलों का प्रतिनिधित्व कर उन्हें कानूनी सहायता प्रदान की और उनकी शीघ्र रिहाई में मदद की।

इससे पहले, यहां भारतीय उच्चायोग ने ट्विटर पर कहा कि मन्नार में अपने वकील से यह जानकर खुशी हुई कि तमिलनाडु के 13 भारतीय मछुआरों को रिहा किया जा रहा है। भारतीय उच्चायोग ने कहा कि अदालत के फैसले के तुरंत बाद हमारे अधिकारी ने भारतीय मछुआरों से मुलाकात की और उन्हें मिठाई दी। हम उनकी जल्द वापसी के लिए कदम उठा रहे हैं। पिछले महीने भारत ने श्रीलंका के अधिकारियों द्वारा तमिलनाडु के 68 मछुआरों को हिरासत में लिए जाने पर चिंता व्यक्त की थी और कहा था कि मछुआरों की ‘जल्द रिहाई’ का मुद्दा श्रीलंका के समक्ष उठाया गया है। मछुआरों का मुद्दा भारत और श्रीलंका के संबंधों में अड़चनों में से एक बना हुआ है।

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