अमेरिकी कांग्रेस के 28 सांसदों ने अपने पत्र में लिखा कि भारत की सरकार अपने किसानों को अधिक सब्सिडी दे रही है जिसका नुकसान अमेरिका के उत्पादकों को हो रहा है। सांसदों का कहना है कि भारत की नीति से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नीति बर्बाद हो रही है।
'भ्रष्टाचार' के विरोध में चैंपियन की जिंदगी पर खतरा
सुनील श्रीवास्तव तेहरान। ईरान में जारी आर्थिक भ्रष्टाचार का विरोध करने पर चैंपियन बॉक्सर की जिंदगी पर संकट मंडराने लगा है। इस बॉक्सिंग चैंपियन का नाम मोहम्मद जवाद (26) है। नवंबर 2019 में विरोध प्रदर्शनों के लिए मौत की सजा दी जा सकती है। इससे पहले सितंबर 2020 में एक पहलवान नाविद अफकारी को फांसी की सजा दे दी गई थी। एक खबर के मुताबिक नाविद को बचाने के लिए अभियान चलाने वाली पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता मसीह अलीनेजाद ने मोहम्मद जवाद को मिली सजा के बारे में दुनिया को बताया है। मसीह ने ट्वीट करके कहा, 'ईरान में एक और एथलीट को नवंबर 2019 में प्रदर्शन करने के लिए मौत की सजा का ऐलान किया गया है। मोहम्मद जवाद एक बॉक्सिंग चैंपियन हैं। उन्हें धरती पर भ्रष्टाचार फैलाने के आरोप में मौत की सजा दी गई है।'
मसीह ने दुनिया से अपील की, 'हम ईरानी पहलवान नाविद अफकारी को नहीं बचा पाए थे। दुनियाभर के एथलीट इस बार हमारी मदद कर सकते हैं। इस बार मोहम्मद जावेद वफाइई ईरान में देशव्यापी प्रदर्शनों में हिस्सा लेने के आरोप में मौत की सजा का सामना कर रहे हैं।' नाविद अफकारी के बाद ईरान में दो और एथलीटों को फांसी की सजा दी गई थी। बॉक्सर अली मुतैरी को जेल के अंदर बहुत ज्यादा प्रताड़ित किया गया था। इसके अलावा चैंपियन रेसलर मेहदी अली हुसैनी को भी पिछले साल फांसी की सजा दी गई थी।
अखिलेश पांडेय अनापोलिस। मैरीलैंड के एक रेडियोलॉजिस्ट ने चौंकाने वाले एक्स-रे का खुलासा किया। कोरोना मरीजों की छाती के इन एक्स-रे में वैक्सीन लगा चुके और बिना वैक्सीन वाले कोविड पॉजिटिव रोगियों में अंतर साफ दिख रहा है। एक्स-रे की तस्वीरें बताती हैं कि कोराना वैक्सीन आपके शरीर की रक्षा करने में कितना बड़ा कारगर है। डॉ ओमर अवान ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि एक्स-रे की ये तस्वीरें लोगों को कोरोना वैक्सीन लेने के लिए प्रेरित करेगी।
यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन के डायग्नोस्टिक विभाग में एसोसिएट वाइस चेयरमैन डॉ ओमर अवान ने बताया कि उन्होंने वैक्सीन नहीं लगाने वाले और वैक्सीन के दोनों डोज ले चुके कोरोना मरीजों की छाती का एक्स-रे निकाला। उन्होंने कहा कि कोरोना वैक्सीन ले चुके मरीज के एक्स-रे में फेफड़े का अधिकांश भाग काला है। यह एक अच्छी बात है। क्योंकि काला रंग हवा को प्रदर्शित करता है। इससे साफ है कि वैक्सीन लेने वाले मरीज को कोरोना संक्रमण कम प्रभावित कर पाया है।
डॉ. ओमर अवान ने ये भी कहा कि कोरोना वैक्सीन नहीं लेने वाले मरीज में संक्रमण की मात्रा ज्यादा है जो एक्स-रे स्पष्ट हो रहा है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन ले चुके मरीज के लक्षण किसी बिना टीका वाले मरीज की तुलना में हल्के होते हैं। अक्सर जिन लोगों का टीकाकरण नहीं होता है, उनमें सांस की पूरी तरह से कमी होती है। उन्हें ऑक्सीजन थेरेपी की आवश्यकता हो सकती है। उन्हें आईसीयू में जाने की जरूरत पड़ सकती है।
बीते साल अक्टूबर में फीनिक्स के डियर वैली मेडिकल सेंटर के एक डॉक्टर ने इसी तरह के स्कैन रिपोर्ट शेयर किए थे। उस रिपोर्ट में भी कोरोना रोगियों के फेफड़ों पर वायरस के प्रभाव को तुलनात्मक रूप से दिखाया गया था। डियर वैली मेडिकल सेंटर के चीफ ऑफ स्टाफ डॉ सैम दुर्रानी ने कहा था कि केवल वही लोग वास्तव में बीमार हो रहे हैं, जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है। डॉ दुर्रानी ने बताया था कि कोविड के टीकाकरण वाले रोगियों के स्कैन से अधिक हवा का प्रवाह होता है, जिसमें फेफड़ों का बड़ा हिस्सा काले रंग का होता है, जिसका अर्थ है कि कोई नुकसान नहीं है। इसके विपरीत, एक बिना टीकाकरण वाले व्यक्ति के स्कैन की छवि से पता चलता है कि फेफड़े पूरे शरीर में ऑक्सीजन के प्रवाह को सीमित कर रहे हैं।
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