हमेशा के लिए नहीं चल सकतीं महामारी: वैज्ञानिक
अखिलेश पांडेय वाशिंगटन डीसी। करोना वायरस के नए वैारिएंट ओमिक्रॉन ने पूरी दुनिया में कोहराम मचा रखा है। भारत समेत दुनियाभर के कई देश इस संक्रमण से जूझ रहे है। कोरोना वायरस का यह नया वैरिएंट तेजी से लोगों को संक्रमित कर रहा है. इसी बीच, एक राहत की खबर सामने आई है। हाल ही में वॉशिंगटन के वैज्ञानिक और वायरोलॉजिस्ट डॉ. कुतुब महमूद ने कहा कि, यह महामारी हमेशा के लिए नहीं चल सकती और इसका अंत बहुत पास है। डॉ. कुतुब ने यह भी कहा कि शतरंज के इस खेल में कोई विजेता नहीं है, यह एक ड्रॉ मैच की तरह है, जहां वायरस छिप जाएगा और हम वास्तव में जीतेंगे और जल्द ही फेसमास्क से छुटकारा मिल सकेगा। तो, उम्मीद है कि हम फिर से आगे बढ़ेंगे।
इस पर डॉ. कुतुब ने कहा कि कोरोना से लड़ने के लिए वैक्सीन ही सबसे शक्तिशाली हथियार है। उन्होंने कहा, हमारे पास वैक्सीन, एंटीवायरल और एंटीबॉडी जैसे हथियार हैं जिनका इस्तेमाल हमने वायरस के खिलाफ किया है। वायरोलॉजिस्ट डॉ कुतुब महमूद ने शतरंज के खेल का एक उदाहरण देते हुए कहा कि वायरस अपनी चालें चल रहा है और हम इंसान भी अपनी चालों से उसे हराने की कोशश कर रहे हैं। हमारी चालें काफी छोटी हैं जैसे फेस मास्क पहनना, हैंड सैनिटाइजर इस्तेमाल और सोशल डिस्टेंसिंग। इन चालों से ही हमें कोरोना को मात देनी है। उन्होंने आगे कहा कि अगर आगे भी कोई म्यूटेंट आते हैं तो हमें उनसे घबराने की कोई जरूरत नहीं है। अगर पूरी आबादी का टीकाकरण किया जाता है तो हम सभी आने वाले किसी भी तरह के वायरस से सुरक्षित रह सकते हैं। डॉ. कुतुब ने भारत बायोटेक की कोवैक्सिन की सराहना करते हुए कहा कि, यह एक अच्छा डोमेस्टिक प्रोडक्ट है, जिसके लिए मैं भारत की सरकार और भारतीय कंपनी को बधाई देना चाहता हूं. यह एक बेहतरीन वैक्सीन है और क्लिनिकल डाटा में हमने देखा कि 2 साल की उम्र तक के बच्चों में इसके बेहतरीन रिजल्ट देखने को मिले हैं।
8.1% की दर से बढ़ीं चीन की अर्थव्यवस्था: महामारी
सुनील श्रीवास्तव बीजिंग। कोरोना महामारी की चुनौतियों के बीच चीन की अर्थव्यवस्था 2021 में 8.1% की दर से बढ़ी। चीनी अर्थव्यवस्था अब करीब 18,000 अरब अमेरिकी डॉलर (18 ट्रिलियन डॉलर) की हो गई। राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (एनबीएस) के अनुसार चीन की अर्थव्यवस्था में पिछले साल की चौथी तिमाही में 4% की वृद्धि हुई, जो तीसरी तिमाही के मुकाबले कम है। तीसरी तिमाही में वृद्धि दर 4.9% थी। सरकार ने 2021 के लिए 6% वृद्धि दर का लक्ष्य रखा था, हालांकि इस दौरान चीन ने 8.1% की दर से वृद्धि हासिल की।
चीन की सरकारी संवाद एजेंसी शिन्हुआ ने कहा कि ये वृद्धि महामारी से लड़ाई और जटिल विदेश व्यापार दशाओं के बीच हासिल की गई। एनबीएस ने सोमवार को कहा कि चीन की जीडीपी सालाना आधार पर 8.1% बढ़कर 1,14,370 अरब युआन (करीब 18,000 अरब अमेरिकी डॉलर) हो गई है। एनबीएस के आंकड़ों से पता चलता है कि वृद्धि दर 6% के सरकारी लक्ष्य से काफी अधिक है। चीन में इससे पिछले दो साल की औसत वृद्धि दर 5.1% थी।नागरिकों की प्रति व्यक्ति डिस्पोजेबल आय पिछले साल 9.1% बढ़कर 35,128 युआन हो गई। रिपोर्ट के मुताबिक, कमजोर खपत के आंकड़ों से आउटलुक प्रभावित हुआ। दिसंबर में खुदरा बिक्री में एक साल पहले की तुलना में केवल 1.7% की वृद्धि दर्ज हुई। अगस्त 2020 के बाद यह सबसे धीमी गति रही। विश्लेषकों ने नवंबर में इसके 3.9% बढ़ने के बाद 3.7% की बढ़ोतरी की उम्मीद की थी।नागरिकों की प्रति व्यक्ति डिस्पोजेबल आय पिछले साल 9.1% बढ़कर 35,128 युआन हो गई। रिपोर्ट के मुताबिक, कमजोर खपत के आंकड़ों से आउटलुक प्रभावित हुआ। दिसंबर में खुदरा बिक्री में एक साल पहले की तुलना में केवल 1.7% की वृद्धि दर्ज हुई।
अगस्त 2020 के बाद यह सबसे धीमी गति रही। विश्लेषकों ने नवंबर में इसके 3.9% बढ़ने के बाद 3.7% की बढ़ोतरी की उम्मीद की थी।एनबीएस के मुताबिक, सामान्य तौर पर 2021 में चीन ने राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की निरंतर और स्थिर रिकवरी को बनाए रखा। साथ ही दुनिया में आर्थिक विकास और महामारी की रोकथाम व नियंत्रण में आगे रहा। इस तरह चीन आर्थिक विकास को लेकर तय टारगेट को हासिल करने सफल रहा। एनबीएस ने चेतावनी जारी करते हुए कहा, "हमें यह पता होना चाहिए कि बाहरी वातावरण अधिक जटिल और अनिश्चित है। साथ ही घरेलू अर्थव्यवस्था मांग में कमी, सप्लाई शॉक और कमजोर उम्मीदों का ट्रिपल दबाव है।
यह चीन की मदद से विकसित किए गए पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से महज 100 किलोमीटर दूर है। चाबहार को ग्वादर का जवाब माना जा रहा है। ऐसे में चीन की मौजूदगी, भारतीय निवेश के लिए मुश्किलें पैदा करेंगी। भारत को भी अमेरिका, सऊदी अरब, इजरायल बनाम ईरान में से किसी एक देश को चुनना पड़ सकता है। एक वक्त था जब ईरान भारत का मुख्य तेल आपूर्तिकर्ता था, लेकिन अमेरिका के दबावों की वजह से नई दिल्ली को तेहरान से तेल आयात को तकरीबन खत्म करना पड़ा। चीन की ईरान में उपस्थिति से भारतीय निवेश के लिए संकट पैदा हो गया है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thank you, for a message universal express.