वैज्ञानिकों ने मेंढक के नए पैर उगाएं, रिसर्च किया
अखिलेश पांंडेेय मैसाचुसेट्स। अब वो मेंढक वापस चल या तैर सकेंगे, जिनके पैर नहीं है। वैज्ञानिकों ने हाल ही में पांच दवाओं के कॉकटेल और एक वियरेबल बायोरिएक्टर की मदद से मेंढक के नए पैर उगा दिए। यह सफल भी रहा है। हालांकि यह प्रयोग अभी बेहद प्रारंभिक स्तर पर है। लेकिन वैज्ञानिक इस प्रयोग से बेहद खुश हैं, क्योंकि यह भविष्य में अन्य विकलांग जीवों के लिए भी काम आ सकता है। हो सकता है कि दिव्यांग इंसानों के भी काम आ जाए।
इस प्रयोग से संबंधित स्टडी हाल ही में साइंस एडवांसेस में प्रकाशित हुई है। इस स्टडी में अफ्रीकन क्लॉड मेंढक को चुना गया था।
ये मेंढक ऐसी प्रजाति के हैं जो प्राकृतिक तौर पर अपने पैरों को वापस से पैदा नहीं कर सकते। टफ्ट्स यूनिवर्सिटी और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पैर उगाने के लिए अनोखा तरीका अख्तियार किया।
वैज्ञानिकों ने कटे हुए पैर के हिस्से का छोटा सी टुकड़ा सर्जरी करने एक सिलिकॉन कैप में डाला। उसके बाद उसे पांच प्रो-रीजेनेरेटिव कंपाउंड कॉकटेल में मिलाया। इसमें हर दवा अलग मकसद के लिए थी। कोई दवा सूजन कम करने के लिए थी, तो कोई कोलैजन पैदा कर रही थी। कोई घाव भरने के लिए थी। कोई नए नर्व फाइबर, खून की नसें और मांसपेशियों को विकसित करने के लिए थी।
मेंढक को दवा फैलाने वाले बायोरिएक्टर पहना दिया जाता है। उसका पिछला पैर कटा हुआ था। उसी जगह पर यह बायोरिएक्टर पहना दिया जाता है। अगले 18 महीनों तक हर दिन बेहद निगरानी में रखा जाता है। जहां पर बायोरिएक्टर लगा था, उस जगह पर खास ध्यान रहता है। डेढ़ साल के दौरान मेंढक के शरीर में हड्डियां बढ़ती दिखती है। मांसपेशियां फैलने लगती है। न्यूरोमस्क्यूलर रिपेयर होता है।
टफ्ट्स यूनिवर्सिटी में बायोलॉजिस्ट और इस स्टडी में शामिल प्रोफेसर माइक लेविन कहते हैं कि मेंढक के नया पैर निकल रहा होता है, जो एकदम दूसरे पैर जैसा ही है। उसकी हड्डियां, मांसपेशियां, बेहतरीन ऊतक। यहां तक कि न्यूरॉन्स भी सही से विकसित होते हैं। यहां तक पैर के पिछले हिस्से की उंगलियां तक विकसित होती हैं। मेंढक आमतौर पर पानी के अंदर ही रहते हैं। वो चलने के बजाय तैरते ज्यादा हैं। पैर निकलने के बाद इस मेंढक का व्यवहार आम मेंढकों की तरह हो जाता है।
इससे पहले इन्हीं वैज्ञानिकों की टीम ने एक दवा, प्रोजेस्टेरॉन और बायोडोम की मदद से मेंढक का एक पैर का विकास करवाया था। उसका आकार छोटा था। हालांकि किसी भी दवा से विकसित हाथ-पैर एकदम प्राकृतिक ढांचा या कार्यप्रणाली हासिल नहीं कर पाते लेकिन वो इस लायक बना देते हैं कि आप अपने रोजमर्रा के काम कर सको। जिस मेंढक को पांच दवाओं के कॉकटेल का बायोरिएक्टर पहनाया गया था, वह अब तैरता भी है, उछलता भी है। लेकिन उतनी ताकत से नहीं जितनी होनी चाहिए।
प्रो. माइक लेविन कहते हैं कि वापस से किसी अंग को पैदा करने की प्रक्रिया जानवरों में करना आसान है। क्योंकि कई जीव ऐसा प्राकृतिक तौर पर करत हैं, कुछ नहीं कर पाते। इसके लिए हम जीनोमिक एडिटिंग या स्टेम सेल इंप्लांट का भी उपयोग कर सकते हैं। लेकिन हमनें दवाओं का कॉकटेल बनाया, जो पहले कभी उपयोग में नहीं लाया गया था। इसे शरीर में डिलीवर करने के लिए पहनने लायक बायोरिएक्टर की मदद ली। कोई स्टेम सेल इंप्लांट या जीन एडिटिंग की जरूरत नहीं पड़ी।
रीढ़ की हड्डी वाले सिर्फ कुछ ही जीव ऐसे होते हैं, जिनके पास अपने अंगों को दोबारा विकसित करने की क्षमता होती है। खासतौर से हाथ-पैर। जैसे सैलामैंडर्स और छिपकलियां अभी तक ऐसा कोई स्तनधारी जीव नहीं पता चला है जिसमें अपने कटे-पिटे अंगों को दोबारा विकसित करने की क्षमता हो। पूरी तरह से तो एकदम नहीं। सिर्फ इंसान ही ऐसा है जो एक बेहतर स्तर तक अपना लिवर फिर से पैदा कर सकता है।
मेंढक के शरीर में नया पैर विकसित करने वाले वैज्ञानिक अब इस तकनीक का प्रयोग कुछ स्तनधारी जीवों पर करना चाहते हैं। ताकि भविष्य में इंसानों के लिए भी यह प्रयोग सफलतापूर्वक किया जा सके। इससे दिव्यांग इंसानों के लिए काफी ज्यादा फायदा होगा। अगर इंसानों के हाथ-पैर जल्दी विकसित करने की यह तकनीक अगर सफल हो गई, तो लाखों दिव्यांगों को इसका लाभ मिलेगा।
माइक लेविन ने कहा कि अन्य किसी तरीके के बदले यह तकनीक ज्यादा बेहतर है। यह बेहद सूक्ष्म स्तर पर जाकर काम करता है। दवाओं से भरे बायोरिएक्टर को लगाने के 24 घंटे में प्रक्रिया शुरू हो जाती है। सालभर के अंदर ही शरीर से खोया हुआ अंग फिर से विकसित होने लगता है। वह शरीर के अंदर बेहद जटिल प्राकृतिक प्रक्रियाओं को करते हुए अंग को विकसित करता है। अभी इस प्रयोग को और विकसित करने की जरूरत है।
रूस पर प्रतिबंध, विधेयक तैयार कर रहा अमेरिका
अखिलेश पांडेय
वाशिंगटन डीसी/ मास्को। अमेरिका के आठ रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक सीनेटर (सभासद) रूस पर अनिवार्य आर्थिक प्रतिबंध लगाने के लिए एक नया विधेयक तैयार कर रहे हैं और अगर रूस यूक्रेन पर हमला करता है तो उसके कथित प्रचार और साइबर हमले का मुकाबला करने के लिए नए उपाय किए जा रहे हैं। एक राजनीतिज्ञ ने यह जानकारी दी।
गुरुवार को जारी रिपोर्ट में कहा है कि ऐसा माना जा रहा है कि प्रस्तावित कानून का पहले से ही अमेरिकी सीनेट के 100 सदस्यों में से 67 से अधिक के समर्थन प्राप्त है, जो यह सुनिश्चित करता है कि यह विधेयक पारित होगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि नए विधेयक को अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है और यह निश्चित नहीं है कि राष्ट्रपति जो बाइडेन इसका खुलकर समर्थन करने का फैसला करेंगे या नहीं।
इस विधेयक को हालांकि लाने का मुख्य उद्देश्य रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से निपटने में श्री बाइडेन के हाथ मजबूत करना है।
अमेरिकी सीनेटर यूक्रेन को अतिरिक्त रूप से अमेरिकी सैन्य सहायता और उसका समर्थन बढ़ाने के तरीकों को तलाश रहे हैं, जिसमें पहले से ही जेवलिन एंटी टैंक मिसाइल जैसे घातक हथियारों का प्रावधान शामिल है।
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