भारत-चीन सीमा पर तनाव, बीजिंग को आगाह किया
अखिलेश पांडेय नई दिल्ली/ बीजिंग/ वाशिंगटन डीसी। भारत-चीन सीमा पर बने तनाव के बीच अमेरिका ने बीजिंग को आगाह किया है कि पड़ोसी देशों को 'धमकी देने' की उसकी कोशिशें फिक्र बढ़ाने वाली हैं। अमेरिका ने ये भी कहा है कि वो अपने 'साझेदार देशों के साथ खड़ा रहेगा। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में बीते करीब डेढ़ साल से ज़्यादा वक़्त से तनाव की स्थिति बनी हुई है। दिक्कतों को दूर करने के लिए दोनों देशों के बीच सैन्य स्तर की बातचीत के कई दौर हो चुके है। लेकिन अब तक समाधान हासिल नहीं हुआ है। अमेरिका का ताज़ा बयान ऐसे वक्त आया है जब भारत और चीन के बीच सैन्य स्तर की बातचीत का 14वां दौर शुरू होने को है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक कोर कमांडर स्तर की ये बातचीत बुधवार (12 जनवरी) को हो सकती है। वहीं, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने बताया है, दोनों पक्षों में बनी सहमति के मुताबिक चीन और भारत के कोर कमांडरों की बैठक 12 जनवरी को चीनी पक्ष की ओर मोल्डो मीटिंग प्वाइंट पर होगी।
अमेरिका: 24 घंटे में 13.5 लाख नए मामलें मिलें
सुनील श्रीवास्तव वाशिंगटन डीसी। अमेरिका में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार तेजी से बढ़ रहे हैं। सोमवार को मिली जानकारी के अनुसार, एक दिन में 13.5 लाख नए मामले सामने आए। किसी देश में एक दिन में इतनी बड़ी संख्या में मामले सामने आने का यह सबसे बड़ा मामला है। इससे पहले अमेरिका में ही इसी साल तीन जनवरी को दस लाख तीस हजार मामले सामने आए थे। अमेरिकी चिकित्सा एजेंसियों से मिली जानकारी के अनुसार सोमवार 10 जनवरी को 1,36,604 लोग भर्ती कराए गए। वहीं पिछले साल जनवरी में एक दिन में सबसे ज्यादा 1,32,051 लोग अस्पताल में भर्ती कराए गए थे। अमेरिका में हर दिन बड़ी तादाद में मामले आने से चिकित्सा सुविधाएं चरमरा गई हैं। अस्पतालों में बेड की कमी हो गई है। सरकार को मरीजों को उचित सुविधाएं मुहैया कराने के लिए हाथपांव मारने पड़ रहे हैं।
कोरोना के प्रकोप के चलते चीन ने अब अपने एक शहर में शहर में लाकडाउन लगा दिया है। फिलहाल चीन के तीन शहरों में लाकडाउन है। इसके चलते देश की करीब दो करोड़ आबादी घरों के अंदर कैद हो गई है। अभी यह साफ नहीं है कि अनयांग शहर में लाकडाउन कितने दिन तक प्रभावी रहेगा क्योंकि एक नोटिस में कहा गया है कि यह बड़े पैमाने पर जांच के लिए लगाया गया है। नोटिस में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि जांच प्रक्रिया कब तक पूरी हो सकती है। इस शहर की आबादी 55 लाख है। इसके अलावा शियान में 1.3 करोड़ लोग और युझोउ में 11 लाख लोग लाकडाउन की पाबंदियों के बीच रहेंगे।
जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा ने मंगलवार को कहा कि बुजुगरें को कोरोनारोधी टीके की 'बूस्टर' खुराक देने के कार्यक्रम को तेज करने और कोरोना के नए स्वरूप 'ओमिक्रोन' के प्रसार को रोकने के मद्देनजर फरवरी में अधिकतर विदेशी नागरिकों के लिए देश की सीमाएं बंद रहेंगी। कोरोना के मामले कम होने के बाद जापान ने नवंबर में सीमाएं खोल दी थीं, लेकिन अब नए वैरिएंट के कारण संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे है। इसके मद्देनजर अधिकतर विदेशी नागरिकों के लिए एक बार फिर सीमाएं बंद करने का फैसला किया गया है। जापान में दिसंबर में संक्त्रमण के काफी कम मामले थे, लेकिन नए स्वरूप के सामने आने के बाद अचानक मामलों में काफी वृद्धि देखी गई। किशिदा ने पिछले हफ्ते तीन प्रांतों ओकिनावा, यामागुची और हिरोशिमा में पूर्व-आपात स्थिति की घोषणा की थी, जिसके तहत भोजनालयों से सेवा के घंटों को कम करने का अनुरोध किया गया था।कोरोना से एक लाख से अधिक मौतों वाले देशों की सूची पोलैंड भी शामिल हो गया है। कोरोना में इन मौतों में से लगभग एक चौथाई यानी 24 हजार मौतें हालिया लहर में हुई। पोलैंड के स्वास्थ्य मंत्री एडम नीदजिएल्स्की ने मंगलवार को कहा कि पिछले दिनों कोरोना से 493 लोगों की मौत दर्ज की गई थी। करीब तीन करोड़ 80 लाख आबादी वाले देश में मृतक संख्या बढ़कर 100,254 हो गई है।
अनोखा,.पिता ने पुत्र का नाम एसआईसी ऑफिस रखा
सुनील श्रीवास्तव जकार्ता। इंडोनेशिया में एक पिता ने भी अपने बच्चे का नाम इतना अनोखा रख दिया है कि इसे साबित करने के लिए उन्हें हर बार बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र दिखाना पड़ता है। इंडोनेशिया में रहने वाले 38 साल के समेट वाहुदी स्टैटिस्टिकल इंफॉर्मेशन कम्युनिकेशन ऑफिस में काम करते हैं। उन्हें अपने काम और दफ्तर से काफी प्यार है। ये बात तो उनकी पार्टनर को भी पता थी, लेकिन उन्हें ये नहीं पता था कि पति का ये दफ्तर प्रेम उनके बेटे के नाम पर भी दिखाई देने लगेगा।
समेट वाहुदी को अपनी नौकरी और ऑफिस से इतना ज्यादा प्यार था कि उन्होंने अपने बच्चे का नाम ही दफ्तर के नाम पर रख दिया। अपनी मंगेतर से शादी ही उन्होंने इसी शर्त पर की थी कि उनके बच्चे का नाम उनके दफ्तर के नाम पर होगा। उन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता था कि बच्चा लड़का होगा या लड़की। बस उन्होंने ये तय कर लिया था कि नाम तो ही होगा। जब उनका बेटा हुआ तो उन्होंने उसका नाम स्टैटिस्टिकल इंफॉर्मेशन कम्युनिकेशन ऑफिस रखा। अब हालत ये है कि हर बार उन्हें बच्चे का नाम साबित करने के लिए उसका जन्म प्रमाण पत्र दिखाना पड़ता है।
समेट वाहुदी को साल 2003 में ब्रेब्स शहर में एक सरकारी नौकरी मिली। उन्हें अपने दफ्तर से इतना प्यार था कि वे इसे अपना सेकेंड होम मानते थे। वे हमेशा से सोचते थे कि वे अपने बेटे का नाम ऑफिस के ही नाम पर रखेंगे और डिंको उसका उपनाम दिया गया है।
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