शुक्रवार, 21 जनवरी 2022

एससी की बिल्डिंग के सामने 'आत्मदाह' की कोशिश

एससी की बिल्डिंग के सामने 'आत्मदाह' की कोशिश       

अकांशु उपाध्याय         नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की नई बिल्डिंग के गेट नम्बर 1 के सामने एक व्यक्ति ने आत्मदाह की कोशिश की है। पीसीआर वैन घायल व्यक्ति को आरएमएल अस्पताल लेकर गई है। फिलहाल मामले की तलाश में जुटी है। व्यक्ति ने आत्मदाह की कोशिश क्यों की फिलहाल इसका खुलासा नहीं हो पाया है। 

सुप्रीम कोर्ट की नई बिल्डिंग के गेट पर हुई इस घटना के बाद वहां हड़कंप मच गया। लोगों में इस घटना को लेकर काफी चर्चा है। पुलिस अधिकारियों ने इस मामले में अभी कुछ खास जानकारी नहीं दी है। बुजुर्ग से पुलिस की पूछताछ जारी है, आखिर उसने आत्मदाह का प्रयास क्यों किया है ? क्या कारण रहा की वह सुप्रीम कोर्ट के नए गेट पर खुद का दहन करने पहुंच गया ?

नेता कोश्यारी की धमक 'भाजपा' में अब भी बरकरार

कविता गर्ग         मुंबई। पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राज्य के कद्दावर नेता भगत सिंह कोश्यारी भले ही महाराष्ट्र के राज्यपाल बनने के बाद सक्रिय सियासत से दूर हों। लेकिन राज्य भाजपा में उनकी धमक अब भी बरकरार है। भाजपा के टिकट वितरण में कोश्यारी की छाप साफ दिखाई दे रही है। कुमाऊं के अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र विधानसभा क्षेत्रों में कोश्यारी के करीबियों पर दाव लगाकर भाजपा ने साफ कर दिया है कि कोश्यारी उनके लिए कितने जरूरी हैं। राज्य बनने से पहले उत्तरांचल इकाई के भाजपा अध्यक्ष रहे कोश्यारी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी से निकटता की वजह से राज्य के पहले मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी से पिछड़ गए लेकिन अंतरिम सरकार में ही उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया गया। 2002 में कोश्यारी के नेतृत्व में भाजपा ने चुनाव लड़ा लेकिन सरकार नहीं बनी। दिग्गज नेता एनडी तिवारी मुख्यमंत्री बने तो कोश्यारी नेता प्रतिपक्ष।

2007 में भाजपा ने फिर सत्ता हासिल की लेकिन खंडूरी जरूरी के नारे को सार्थक करार देते हुए भुवन चंद्र खंडूरी को मुख्यमंत्री बनाया। फिर असंतोष उभरा तो डॉ निशंक को कमान सौंप दी गई। 2012 के चुनाव में फिर से कांग्रेस सत्ता में आ गई । 2014 में कोश्यारी को नैनीताल सीट से लोकसभा चुनाव लड़ाया। कोश्यारी ने जीत दर्ज की। 2017 में भाजपा 57 सीट के प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई तो कोश्यारी की पसंद त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया।चुनाव से ठीक पहले भाजपा हाईकमान ने कोश्यारी के कभी पीआरओ, भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दी। अब शिष्य पर फिर से सरकार लाने की जिम्मेदारी है तो गुरु की पसंद का रास्ता तैयार कर दिया गया है। भाजपा सूत्रों के अनुसार अल्मोड़ा में द्वाराहाट से अनिल शाही, कपकोट से सुरेश गड़िया, धारचूला से धन सिंह धामी, गंगोलीहाट से फकीर राम टम्टा, अल्मोड़ा से कैलाश शर्मा, लोहाघाट से पूरन सिंह फर्त्याल, चम्पावत से कैलाश गहतोड़ी पर कोश्यारी की पसंद की वजह से दांव खेला गया है। अनिल शाही व सुरेश गड़िया कोश्यारी के भरोसेमंद रहे हैं।

29 को होगा फायरमैन भर्ती परीक्षा का आयोजन: बोर्ड    
नरेश राघानी       
जयपुर। राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच 629 पदों के लिए 29 जनवरी को फायरमैन भर्ती परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। जिसमें प्रदेश के 1 लाख 50 हजार अभ्यर्थी शामिल होंगे। एग्जाम में अभ्यर्थियों को सवालों के साथ ही कड़ाके की सर्दी का भी सामना करना पड़ेगा। इसकी वजह है सरकारी ओर से जारी गाइडलाइन। गाइडलाइन के अनुसार अभ्यर्थी कोट, टाई, मफलर, जैकेट, जरकिन, ब्लेजर, पहनकर परीक्षा नहीं दे सकेंगे।
ऐसे में अभ्यर्थी सर्दी से बचने के लिए सिर्फ शर्ट, बिना जेब वाली स्वेटर जिनमें बड़े बटन नहीं लगे हो वहीं पहन सकेंगे। इसके साथ ही महिला अभ्यर्थी भी हेट, स्टॉल, शॉल, मफलर पहनकर परीक्षा में शामिल नहीं हो सकेंगी।अभ्यर्थियों के लिए ये गाइडलाइनड्रेस कोड का पालन नहीं करने वाले अभ्यर्थियों को परीक्षा केन्द्र में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। परीक्षा के दौरान पानी की बोतल, पर्स, बैग, ज्योमैट्री, पेंसिल बॉक्स, प्लास्टिक पाउच, कैल्कुलेटर, तख्ती, पैड, गत्ता, पैन ड्राइव, रबर, टेबल स्कैनर, किताबें, नोटबुक, पर्चियां, व्हाइटनर लाने पर रोक रहेगी।
इसके साथ ही डेढ़ घंटे पहले अभ्यर्थियों को परीक्षा केन्द्रों पर रिपोर्टिंग करने के साथ ही परीक्षा समय के बाद प्रवेश नहीं दिया जाएगा। 29 जनवरी को दो पारी में आयोजित होने वाली भर्ती परीक्षा में फायरमैन परीक्षा सुबह पहली पारी 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक आयोजित होगी। जबकि एएफओ (असिस्टेंट फायर ऑफिसर) परीक्षा दूसरी पारी में दोपहर 2:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक आयोजित होगी। एडमिट कार्ड 21 जनवरी के बाद अपलोड किए जाएंगे। भर्ती परीक्षा में नेगेटिव मार्किंग नहीं होगी। ऐसे में कट ऑफ हाई रहने की संभावना है। 33% अंक लाना अनिवार्य फायरमैन और असिस्टेंट फायर ऑफिसर की भर्ती में लिखित और प्रैक्टिकल परीक्षा होगी।
लिखित परीक्षा में न्यूनतम 33 फीसदी नंबर लाने वाले परीक्षार्थियों को ही फिजिकल और प्रैक्टिकल के लिए क्वालिफाइड माना जाएगा। वहीं, अनुसूचित जाति और जनजाति के परीक्षार्थियों के लिए 28 प्रतिशत अंक लाने अनिवार्य होंगे। फिजिकल और प्रैक्टिकल के लिए कैटेगरी वाइज कट ऑफ लिस्ट जारी की जाएगी।

अभ्यर्थियों को निर्धारित अंक प्राप्त करने पर शारीरिक और प्रायोगिक परीक्षा में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी। जबकि लिखित परीक्षा के बाद 1 पद के मुकाबले 10 अभ्यर्थियों को फिजिकल टेस्ट के लिए बुलाया जाएगा। परीक्षा में नेगेटिव मार्किंग नहीं होगी।लिखित परीक्षा 70 अंकों की होगी। शारीरिक परीक्षा 60 अंकों की होगी। प्रायोगिक परीक्षा 90 अंकों की होगी। इस तरह से तीनों प्रकार की परीक्षाओं के अधिकतम अंक 220 होंगे। तीनों के अंकों के आधार पर मेरिट बनेगी।

गुड रिटर्न्स वेबसाइट ने सोने-चांदी की कीमतें जारी की
मनोज सिंह ठाकुर       
भोपाल। सोने चांदी की कीमतों में जारी उतार चढ़ाव के बीच शुक्रवार को गुड रिटर्न्स वेबसाइट ने सोने-चांदी की कीमतें जारी की। वेबसाइट के मुताबिक शुक्रवार सुबह सोना महंगी कीमत पर खुला। सोने की कीमत  10 रुपये प्रति दस ग्राम महंगे भाव पर ट्रेंड कर रही है। वहीं चांदी की कीमत  में उछाल देखा गया। चांदी 800 रुपये प्रति किलोग्राम महंगे भाव पर ट्रेंड कर रही है। गौरतलब है कि गुरूवार को सोना 450 रुपये प्रति दस ग्राम महंगे भाव पर खुला था वहीँ चांदी 1400 रुपये महँगी थी।कैरेट, सोने की शुद्धता मापने का अधिकृत पैमाना होता है। जितना ज्यादा कैरेट होगा सोने की शुद्धता उतनी अधिक होगी। यानि बोलचाल की भाषा में सोना उतना ही खरा होगा। सोने की कीमत भी उसकी शुद्धता के हिसाब से ही तय होती है।  24 कैरेट सोना 100 प्रतिशत शुद्ध होता है, ये बहुत नाजुक और नरम होता है इसकी ज्वलेरी बनना मुश्किल होता है इसलिए आमतौर पर ज्वेलरी 18 कैरेट और 22 कैरेट में बनाई जाती है।

गौरतलब है कि सोने चांदी की कीमतों में बदलाव के आधार पर भारत में लोग खरीदारी का मूड बनाते हैं। जब सोना चांदी सस्ते होते हैं तो निवेशक और खरीदार मार्केट पहुँचते हैं लेकिन यदि शादी के लिए या अन्य कोई मांगलिक काम के लिए सोने चांदी की खरीद की जाती है तो फिर बहुत कम लोग रेट देखते हैं।


इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष की मूर्ति लगेगीं: पीएम      
अकांशु उपाध्याय       नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया है कि इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति लगाई जाएगी। पीएम मोदी ने ट्वीट कर ये जानकारी दी। पीएम मोदी ने ये ऐलान ऐसे वक्त पर किया, जब भारत सरकार ने इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति पर जलने वाली लौ को नेशनल वॉर मेमोरियल की लौ के साथ मर्ज (विलय) करने का फैसला किया है। इस फैसले पर कांग्रेस समेत विपक्षी दल केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं। पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, ऐसे समय में जब पूरा देश नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मना रहा है, मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि नेताजी की ग्रेनाइट से बनी भव्य प्रतिमा इंडिया गेट पर स्थापित की जाएगी। यह उनके प्रति भारत की कृतज्ञता का प्रतीक होगा। जब तक नेताजी बोस की भव्य प्रतिमा बनकर तैयार नहीं हो जाती, तब तक उनकी होलोग्राम प्रतिमा उसी स्थान पर मौजूद रहेगी। 

मैं 23 जनवरी को नेताजी की जयंती पर होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण करूंगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हमेशा जलती रहने वाली मशाल अब 50 साल बाद हमेशा के लिए बंद हो रही है। अब यह मशाल राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की मशाल के साथ मिला दी जाएगी। यानी अब नेशनल वॉर मेमोरियल में ही ज्वाला जलेगी। केंद्र सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस पार्टी सवाल उठा रही है और तरह-तरह के आरोप लगा रही है।

संगीत विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन, हस्ताक्षर 

दुष्यंत टीकम        रायपुर। राज्यपाल अनुसुईया उइके ने इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन के लिए प्रस्तुत विधेयक पर हस्ताक्षर कियें है। इस अधिनियम की धारा 12 में संशोधन किया गया है कि ‘‘इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय अधिनियम 1956 (क्र. 19 सन 1956) की धारा 12-क की उपधारा (2) के परंतुक में, अंक ‘‘65’’ के स्थान पर, अंक ‘‘70’’ प्रतिस्थापित किया जाए।’’ अर्थात इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के कुलपति की आयु सीमा 65 वर्ष के स्थान पर 70 वर्ष होगी। यह अधिनियम इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम, 2021 कहलाएगा। इसका विस्तार सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ राज्य में होगा। यह राजपत्र में इसके प्रकाशन की तारीख से प्रवृत्त होगा। राजनांदगांव जिले के खैरागढ़ में स्थित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के इतिहास के अनुसार खैरागढ़ रियासत की राजकुमारी को संगीत का बड़ा शौक था। राजकुमार की बाल्याकाल में ही असमय मृत्‍यु के बाद राजा साहब और रानी साहिबा ने स्‍वर्गवासी राजकुमारी के शौक को शिक्षा का रूप देकर अमर कर दिया।

इस संस्था की शुरुआत इन्दिरा संगीत महाविद्यालय के नाम से मात्र दो कमरों के एक भवन में हुई थी। जिसमें 4-6 विद्यार्थी और तीन गुरु हुआ करते थे। इस संस्‍था के बढ़ते प्रभाव और लगातार छात्रों की वृद्धि से रानी साहिबा ने इसे अकादमी में बदलने का निर्णय लिया और फिर यह संस्‍था इन्दिरा संगीत अकादमी के नाम से जानी जाने लगी। बाद में इसके लिए बड़े भवन की भी व्‍यवस्‍था की गई। जिसमें कमरों की संख्‍या ज्‍यादा थी। समय के साथ धीरे-धीरे संगीत के इस मंदिर का प्रभाव और बढ़ता गया। इसी बीच राजा साहब और रानी साहिबा मध्‍य प्रदेश राज्‍य के मंत्री बनाये गए। तब उन्‍होंने इसे विश्‍वविद्यालय के रूप में स्‍थापित किए जाने का प्रस्‍ताव तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री पं.रविशंकर शुक्‍ल के सामने रखा। जिसे उन्‍होंने स्‍वीकार कर लिया।

सारी औपचारिकताओं को पूरा कर राजकुमारी इन्दिरा के जन्‍म दिवस 14 अक्‍टूबर 1956 को इन्दिरा कला संगीत विश्‍वविद्यालय की विधिवत स्‍थापना कर दी गई थी। इसका उद्घाटन प्रियदर्शिनी इन्दिरा गांधी द्वारा स्‍वयं खैरागढ़ आकर किया गया और श्री कृष्ण नारायण रातन्जनकर विश्‍वविद्यालय के प्रथम कुलपति के रूप में नियुक्त किए गए थे। वर्तमान में ललित कला के क्षेत्र में यह एक अनोखा प्रयास था। इस विश्‍वविद्यालय के लिए राजा साहब और रानी साहिबा ने अपना महल ‘कमल विलास पैलेस दान कर दिया। यह विश्‍वविद्यालय आज भी इसी भवन से संचालित हो रहा है।

बिहार में शराबबंदी को लेकर बहस, मसौदा तैयार किया

अविनाश श्रीवास्तव          पटना। बिहार में शराबबंदी कानून को लेकर बहस छिड़ी हुई है। विपक्ष सरकार से इसमें ढील देने की बात कह रहा है तो सरकार के अंदर से भी विरोध के स्वर सुने जा रहे हैं। ऐसे में सरकार ने कानून में कुछ संशोधन करने का मन बनाया है। बिहार मद्यनिषेध एवं उत्पाद शुल्क अधिनियम, 2016 में संशोधन के लिए सरकार ने एक मसौदा तैयार किया है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में अब पहली बार शराब पीने वालों को गिरफ्तार करने के बजाय जुर्माना लगाया जाएगा। केसों को वापस लिया जा सकेगा। जिस वाहन में शराब पकड़ी गई है उसे जब्त नहीं किया जाएगा और यदि किया जाता है तो जुर्माना वसूलने के बाद उसे छोड़ दिया जाएगा। तत्काल गिरफ्तारी से संबंधित खंड को हटाया जा सकता है। वहीं अवैध तरीके से शराब बनाने, बेचने या वितरित करने वालों को कानून की सख्ती का सामना करना पड़ेगा। कानून में ये नवीनतम संशोधन करने का प्रस्ताव ऐसे समय पर लाया गया है। जब शराबबंदी को लागू करने के सरकार के तरीके की जमकर आलोचना हो रही है। भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना ने पिछले महीने इसे ‘दूरदर्शिता की कमी’ के उदाहरण के तौर पर चिह्नित किया था। उन्होंने कहा कि इसका परिणाम यह है कि उच्च न्यायालय ‘जमानत आवेदनों से भरा हुआ है। एक साधारण जमानत आवेदन को निपटाने में एक वर्ष का समय लगता है।’ बिहार मद्य निषेध और उत्पाद शुल्क मंत्री सुनील कुमार, जिनके मंत्रालय ने प्रस्तावों के मसौदे को तैयार किया है उन्होंने इसपर कुछ नहीं कहा। लेकिन सूत्रों ने कहा कि राज्य सरकार विधानसभा के आगामी बजट सत्र में इसे पेश कर सकती है।

धारा 37 के तहत शराब पीने पर पांच साल से लेकर 10 साल तक की जेल और आजीवन कारावास तक का प्रावधान है। संशोधन राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित जुर्माना लगाने और जुर्माना ना देने की स्थिति में एक महीना कारावास की सजा देने को कहता है। यह आगे कहता है कि आदतन अपराधियों को राज्य सरकार की अधिसूचना के तहत अतिरिक्त जुर्माना या निर्धारित कारावास या दोनों दिए जा सकते हैं। वर्तमान में सभी अपराधों की सुनवाई निचली अदालतों द्वारा की जाती है। संशोधन के तहत, अपराधों को ‘एक कार्यकारी मजिस्ट्रेट द्वारा सारांश परीक्षण के माध्यम से निपटाया जाएगा, जो डिप्टी कलेक्टर के पद से नीचे का नहीं होगा।’ इससे प्रक्रिया में तेजी आएगी और अदालतों पर भार कम होगा। धारा 55 को हटाया जाएगा। इसे हटाने पर मामलों को वापस लिया जा सकेगा। अदालतों के अंदर या बाहर दो पक्षों के बीच समझौता हो सकता है। धारा 57 को शामिल किया जाएगा ताकि शराब ले जाने के लिए जब्त किए गए वाहनों को जुर्माने के भुगतान पर छोड़ने की अनुमति दी जा सके। अधिनियम के अध्याय वीआईआई को हटाया जाएगा, जो अभियुक्तों के नजरबंदी और बंदी से संबंधित है, इसके तहत उनकी गतिविधियों पर प्रतिबंध था। इसमें इसके प्रमुख खंडों को भी हटाना शामिल होगा, जैसे धारा 67 (बाहरीकरण की अवधि का विस्तार), धारा 68 (अस्थायी रूप से लौटने की अनुमति), धारा 70 (तत्काल गिरफ्तारी)।

छोटे, व्यक्तिगत उल्लंघनों के बजाय आपराधिक नेटवर्क पर ध्यान केंद्रित करने के लिए, एक नई उप-धारा 50 ए जोड़ने की योजना है। जो बूटलेगिंग (आदतन अपराधी) को संगठित अपराध के रूप में परिभाषित करती है। सूत्रों ने बताया कि प्रस्तावित संशोधनों को लाने की मुख्य वजह हाल ही में जहरीली शराब पीने से हुई मौतें हैं। नालंदा, सारण, पश्चिमी चंपारण और गोपालगंज में नवंबर 2021 और मध्य जनवरी 2022 के बीच 50 से अधिक लोगों की मौत हुई है। जदयू अपने गठबंधन सहयोगी भाजपा के भी दबाव में है जो शराबबंदी कानून को लेकर सीएम नीतीश पर हमला करता रहता है।

'डीएसएलएसए' की याचिका पर 3 को सुनवाई: एचसी   

अकांशु उपाध्याय          नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह 5जी प्रौद्योगिकी के खिलाफ एक मुकदमें को लेकर अदालत खर्च के तौर पर 20 लाख रुपये जमा करने के लिए अभिनेत्री जूही चावला और दो अन्य को जारी आदेश के क्रियान्वयन के लिए दिल्ली राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकार (डीएसएलएसए) की याचिका पर तीन फरवरी को सुनवाई करेगा। बॉलीवुड अभिनेत्री के वकील ने न्यायमूर्ति अमित बंसल से कहा कि एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ अपील खंडपीठ में लंबित है, जिस पर 25 जनवरी को विचार किया जाएगा। उन्होंने अदालत से क्रियान्वयन याचिका पर सुनवाई फिलहाल टालने का अनुरोध किया। डीएसएलएसए की ओर से पेश हुए वकील सौरभ कंसल ने दलील दी कि अदालत खर्च लगाने का आदेश पिछले साल जून में जारी किया गया था और इसका अनुपालन अभी होना है। उन्होंने दावा किया कि रकम जमा करने के लिए डीएसएलएसए के नोटिस भेजने के बाद ही एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ अपील दायर की गई है और खंडपीठ ने कोई स्थगन आदेश जारी नहीं किया है।

अदालत ने याचिका के क्रियान्वयन पर सुनवाई टालते हुए कहा, ”देखा जाए कि खंडपीठ के समक्ष क्या होता है। ” चावला और अन्य प्रतिवादियों की ओर से पेश हुए अधिवक्ता दीपक खोसला ने कहा कि एकल न्यायाधीश के पास अदालत खर्च लगाने का क्षेत्राधिकार नहीं है। अधिवक्ता सौरभ कंसल और पल्लवी एस. कंसल के मार्फत दायर क्रियान्वयन याचिका में, डीएसएलएसए ने रकम की वसूली के लिए चल व अचल संपत्ति की कुर्की और बिक्री को लेकर वारंट जारी करने या चावला तथा अन्य की दीवानी कैद के लिए निर्देश जारी करने के संबंध में अदालत से सहयोग मांगा है। याचिका में कहा गया है, ”चावला और अन्य पर माननीय अदालत द्वारा अदालत खर्च लगाए सात महीने बीत गये हैं। जिसे (रकम) डीएसएलएसए को सात दिनों को अंदर अदा करने का निर्देश दिया गया था। लेकिन वे लोग इसे जमा करने में नाकाम रहे हैं।  उल्लेखनीय है कि पिछले साल जून में एकल न्यायाधीश ने चावला और दो अन्य लोगों द्वारा 5जी की शुरूआत के खिलाफ दायर वाद खारिज करते हुए कहा था कि यह त्रुटिपूर्ण और कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग है तथा प्रचार पाने के लिए यह दायर किया गया है। अदालत ने इसके साथ ही, एक हफ्ते के अंदर डीएसएलएसए के पास अदालत खर्च के तौर पर 20 लाख रुपये जमा करने का भी निर्देश दिया था।



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