शुक्रवार, 7 जनवरी 2022

पेट्रोलिंग गश्त अभियान के तहत 2 आरोपी अरेस्ट

पेट्रोलिंग गश्त अभियान के तहत 2 आरोपी अरेस्ट

दुष्यंत टीकम        जगदलपुर। बस्तर पुलिस के द्वारा लगातार अपराधो की रोकथाम व नियंत्रण के लिये पेट्रोलिंग गश्त का अभियान चलाया जा रहा है। मामले की जानकारी देते हुए कोतवाली टीआई ऐमन साहू ने बताया कि गुरुवार को रात्रि लगभग 08ः00 बजे गणपति रिसाॅर्ट गोरिया बहार नाला पुल के पास आपसी रंजिश को लेकर दो पक्षो में हुये विवाद के संबंध में प्रार्थी राज कौशिक ने आरेापीगण पिंटु, शुभम सेट्ठी, शाहिल दास और सौरभ दास के खिलाफ मारपीट लड़ाई झगड़ा का रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट की सूचना मिलने पर कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची और घायलों को उपचार हेतु महारानी अस्पताल भेजा गया। घटना की पुरी जानकारी के बाद आरोपियों के धर पकड़ हेतु वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जीतेन्द्र सिंह मीणा एवं अति पुलिस अधीक्षक ओमप्रकाश शर्मा के मार्गदर्शन में नगर पुलिस अधीक्षक किरण चण्हाण के पर्यवेक्षण में निरीक्षक एमन साहू के नेतृत्व में टीम गठित कि गयी थी। 

घटनास्थल में जाकर आरोपियों का पता तलाश किया जा रहा था। तभी आरोपी शुभम सेट्ठी व पिंटु कश्यप संजय बाजार में कहीं छुपे होने की सूचना मिली जिन्हे पुलिस पार्टी के द्वारा घेराबंदी करके पकड़ा गया। आरोपी पिंटु कश्यप के कब्जे से धारदार चाकू बरामद किया गया। दोनो आरोपियों के द्वारा प्रार्थियों के साथ आपसी विवाद होने पर चाकु तथा डंडे से हमला करके चोट पहुंचाना स्वीकार किया गया। अपराध स्वीकार करने पर दोनो आरोपियों 1. प्रशांत उर्फ पिंटु कश्यप पिता विजय कश्यप उम्र 22 साल नि0 आमागुड़ा लालबाग गैस गोदाम के पास जगदलपुर 2. शुभम सेट्ठी पिता दुर्गासन सेट्ठी उम्र 21 निवासी ईतवारी बाजार संजय मार्केट पुलिस चैकी के पीछे जगदलपुर के खिलाफ थाना कोतवाली जगदलपुर के अप0क्र0-07/2022 धारा 294,324,506-बी,34 भादवि0 25 आम्र्स एक्ट के तहत् कार्यवाही कर, गिरफ्तार कर, माननीय न्यायालय न्यायिक रिमांड पर भेजा गया।मामले के अनुसंधान में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले पुलिस अधिकारी:निरीक्षक एमन साहू, उपनिरीक्षक होरीलाल नाविक, पीयुष बघेल एवं बी0पी0 जोशी, सउनि0 सुधराम नेताम व प्रआर0 पुनीत शुक्ला।

दुष्कर्म मामलें में 4 वर्ष के कठोर कारावास की सजा

बृजेश केसरवानी        प्रयागराज। दुष्कर्म पीड़िता की अकेली गवाही सजा के लिए पर्याप्त आधार हैं। दुष्कर्म के एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया। जस्टिस राजेंद्र कुमार चतुर्थ की एकल पीठ ने कहा कि कोर्ट ने कहा कि पीड़िता के बयान की अन्य सुसंगत साक्ष्यों से समानता होना भी जरूरी नहीं है, जब तक कि ऐसा करना बेहद जरूरी न हो। कोर्ट ने कहा कि यह बात भी मायने नहीं रखती कि पीड़िता के बयान में मामूली विरोधाभास है।

कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है कि पीड़िता के बयान पर समर्थित साक्ष्यों के अभाव में विश्वास न किया जाए। कोर्ट के इस फैसले के बाद दुष्कर्म पीड़िता को 34 साल बाद न्याय मिला। शाहजहांपुर के मुस्तकीम ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसकी सुनवाई करते हुए जस्टिस राजेंद्र कुमार चतुर्थ ने कहा कि पीड़िता ने अभियोजन की कहानी का पूरी तरह से समर्थन किया है। बचाव पक्ष द्वारा किये गए काउंटर में ऐसा कोई बिंदु उजागर नहीं हुआ जिससे पीड़िता के बयान पर अविश्वास किया जा सके।

न्यायलय ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट द्वारा प्रतिपादित दर्जनों न्यायिक सिद्धांतों का हवाला देते हुए कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है कि सुसंगत साक्ष्य के अभाव में पीड़िता पर विश्वास न किया जाए। कोर्ट ने बचाव पक्ष की उस दलील को भी खारिज कर दिया कि पीड़िता के अलावा अन्य कोई चश्मदीद गवाह घटना का नहीं है। यह दलील भी अस्वीकार कर दी कि पीड़ि‍ता के शरीर पर चोट के कोई निशान नहीं है, इसलिए मामला आपसी सहमति का भी हो सकता है। कोर्ट ने अपील खारिज करते हुए अभियुक्त को 15 दिन के भीतर न्यायलय में समर्पण करने का आदेश दिया है। गौरतलब है कि ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में अभियुक्त को चार वर्ष के सश्रम कारावास और पांच सौ रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।

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