सोमवार, 27 दिसंबर 2021

कोरोना 'महामारी' ने नागरिकों को संकट में डाला

कोरोना 'महामारी' ने नागरिकों को संकट में डाला
मनोज सिंह ठाकुर        
भोपाल। कोरोना की दूसरी लहर की कड़वी यादों के बीच साल 2021 मध्यप्रदेश में कई अहम घटनाओं के लिए भी याद रखा जाएगा। वर्ष के मध्य में कोरोना के कारण घोर अनिश्चितताओं के दौर से गुजरने के बाद लोगों के साथ ही सरकार ने भी जीवन पटरी पर लाने के लिए भरसक प्रयास किए और इसके असर भी दिखायी दिए, लेकिन वर्ष के जाते जाते तीसरी लहर की आशंका ने एक बार फिर लोगों के मन में अनेक आशंकाओं को जन्म दे दिया है।
अप्रैल और मई में कोरोना की दूसरी लहर ने सभी नागरिकों को अभूतपूर्व संकट में डाल दिया। देश के विभिन्न हिस्सों की तरह मध्यप्रदेश में भी एक बड़ी आबादी ऑक्सीजन, दवाओं और इलाज के लिए अस्पतालों में भटकती रही और असहाय नजर आई। इन स्थितियों में अनेक प्रिय लोगों को कोरोना ने छीन लिया।
ऐसे भी कई मामले प्रकाश में आए, जहां परिवार के अनेक सदस्य अपनों से हमेशा के लिए बिछड़ गए। साल के अंत तक पंचायत चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण ज्यादातर मुद्दों पर भारी पड़ गया, हालांकि लंबी राजनीति के बाद राज्य सरकार की ओर से पंचायत चुनाव संबंधित अध्यादेश वापस लेने के बाद एक बार फिर इन त्रिस्तरीय चुनावों का भविष्य अधर में लटक गया। इसके पहले भी सरकारी नौकरियों और अन्य स्थानों में ओबीसी आरक्षण की अनुगूंज सुनायी दी, लेकिन कानूनी झमेलों के कारण इसका लाभ संबंधित वर्ग को नहीं के बराबर मिल पाया।
वर्ष 2021 की शुरूआत में नजर डालें, तो नए वर्ष की शुरूआत लोगों ने इस उम्मीद के साथ की थी कि कोरोना की पहली लहर के बाद अब लोगों को इस महामारी से छुटकारा मिल जाएगा। इसके साथ ही जनवरी माह में कोरोना वैक्सीनेशन का कार्य भी प्रारंभ हो गया था। फरवरी मार्च माह में जीवन पटरी पर लौटता हुआ दिखने लगा था, लेकिन मार्च माह के अंत में राज्य में कोरोना के केस बढ़ने लगे और इस महामारी की दूसरी लहर देश भर की तरह मध्यप्रदेश पर भी भारी पड़ी।
कोरोना ने एक सांसद और तीन विधायकों को छीन लिया। कोराेना की दूसरी लहर का सबसे पहले शिकार बने खंडवा सांसद नंदकुमार सिंह चौहान। उसके बाद 26 अप्रैल को कांग्रेस विधायक कलावती भूरिया का कोराेना के चलते देहांत हो गया। दो मई को कांग्रेस विधायक बृजेन्द्र सिंह राठौर और इसके आठ दिन बाद कोविड संक्रमित भाजपा विधायक जुगल किशोर बागरी ने भी दम तोड़ दिया।
बागरी हालांकि कोरोना से उबर गए थे, लेकिन कोविड के बाद अचानक हुए हृदयाघात के चलते उनकी जान नहीं बच सकी। पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता लक्ष्मीकांत शर्मा, पार्टी के उपाध्यक्ष विजेश लूनावत और कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा को भी कोरोना की दूसरी लहर लील गई। अनेक चिकित्सक, अस्पताल कर्मचारी, पुलिस अधिकारी कर्मचारी, पत्रकार और मीडिया से जुड़े अनेक कर्मचारी परिवार भी इसकी चपेट में आ गए और वे या परिजन हमारे बीच से चले गए।
अस्पताल में जगह पाने, ऑक्सीजन, दवाइयों, इंजेक्शन और सीटी स्केन कराने के लिए ऐसी जद्दोजहद इस दौर की पीढ़ी ने इसके पहले कभी नहीं देखी। केंद्र सरकार की ओर से सभी को कोरोना के निशुल्क टीके की शुरुआत इस वर्ष की शुरूआत यानी जनवरी माह में ही की गयी थी और साल के अंत तक मध्यप्रदेश में 10 करोड़ 15 लाख से अधिक कोरोना वैक्सीन नागरिकों को दी जा चुकी हैं। पहला डोज लगभग सभी नागरिकों को और 82 प्रतिशत से अधिक को दूसरा डोज भी दिया जा चुका है।
इस बची 21 जून के दिन राज्य ने टीकाकरण का नया कीर्तिमान बनाया। इस दिन करीब 10 लाख टीकाकरण डोज का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन करीब 15 लाख डोज के साथ मध्यप्रदेश ने पूरे देश में एक रिकॉर्ड बनाया। इस दिन को खास बनाने के लिए राज्य सरकार ने इसे महाअभियान का रूप दिया था। स्थान-स्थान पर मतदान की तरह तैयारियां की गईं और प्रभावशाली लोगों को इस अभियान से जोड़ा गया। ग्रीष्मकाल के बाद मानसून के दौरान इस बार ग्वालियर चंबल अंचल में बाढ़ ने खूब कहर ढाया। सैकड़ों गांव पानी से घिर गए। बाढ़ का असर राज्य के अन्य स्थानों पर भी रहा।
हालांकि राहत एवं बचाव कार्य और सेना की मदद के कारण जनहानि नहीं के बराबर हुयी। हालाकि फसलों और संपत्ति आदि का काफी नुकसान हुआ। प्रदेश में इस साल अप्रैल में हुए दमोह विधानसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को तगड़ा झटका लगा, जब उसके उम्मीदवार राहुल सिंह कांग्रेस के अजय कुमार टंडन से पराजित हो गए। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में राहुल सिंह दमोह से कांग्रेस के टिकट पर विजयी हुए थे, लेकिन बाद में वे त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल हो गए।
उपचुनाव में भाजपा ने राहुल सिंह पर ही दाव खेला, लेकिन वो कथित भितरघात संबंधी खबरों के बीच उल्टा पड़ गया। उपचुनाव के दौरान ही कोरोना के प्रकोप के कारण कई कर्मचारियों और नेताओं को भी इसकी कीमत चुकानी पड़ी। इसके बाद इस वर्ष एक लोकसभा और तीन विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव हुए, जिनमें भाजपा ने लोकसभा और दो विधानसभा सीट अपने खाते में डाल लीं। भाजपा ने खंडवा लोकसभा सीट के अलावा पृथ्वीपुर और जोबट (अनुसूचित जनजाति) जीत ली। ये दोनों ही विधानसभा सीटें कांग्रेस की परंपरागत सीटें रही हैं।
वहीं, भाजपा को सतना जिले की रैगांव (अनुसूचित जाति) सीट पर पराजय झेलना पड़ी। ओबीसी आरक्षण के मुद्दे ने इस साल पंचायत चुनावों को चर्चाओं में बनाए रखा। लंबे इंतजार के बाद इस साल त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की घोषणा हुई, लेकिन इस मुद्दे को लेकर कई विवादों के बाद कांग्रेस ने उच्च और बाद में उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसला सुनाते हुए पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण रद्द कर दिया, जिसके बाद राज्य में इस मुद्दे पर जमकर राजनीति हुई। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भी ये मुद्दा जम कर गूंजा। पक्ष-विपक्ष के बीच खासी बहस हुई। स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विधानसभा में एक संकल्प लेकर आए, जिसमें कहा गया कि ओबीसी आरक्षण के बिना राज्य में पंचायत चुनाव नहीं होंगे। ये संकल्प सदन में सर्वसम्मति से पारित हुआ।
हालांकि इस पूरे मामले में अंतत: सरकार ने पंचायत चुनाव संबंधित अध्यादेश वापस लेने का फैसला कर लिया। राज्य में इस साल भोपाल और इंदौर में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने की बहुप्रतीक्षित मांग भी पूरी की गयी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नवंबर माह में इसकी अचानक घोषणा की और दिसंबर के प्रथम सप्ताह में इसे लागू कर दिया गया। दिसंबर के तीसरे सप्ताह में मध्यप्रदेश की ठंड ने भी देश भर में सुर्खियां बटोरीं। उत्तर भारत की हाड़ कंपा देेने वाली ठंड के बीच सूबे के कई कस्बे और शहर देश के सबसे ठंडे स्थानों में दर्ज हुए। पचमढ़ी में पारा शून्य से नीचे पहुंच गया।
वहीं छतरपुर का नौगांव कस्बा भी कई दिन तक देश के सबसे ठंडे 10 स्थानों में अपनी जगह बनाए रखा। मध्यप्रदेश के इतिहास में ये साल नाम परिवर्तन के लिए भी याद रखा जाएगा। देश के पहले विश्वस्तरीय स्टेशन राजधानी भोपाल के हबीबगंज स्टेशन को इस साल भोपाल की रानी ‘रानी कमलापति’ का नाम दिया गया।
वहीं भोपाल के ऐतिहासिक मिंटो हॉल को भाजपा के पितृ पुरुष कुशाभाऊ ठाकरे का नाम दिया गया। मिंटो हॉल का नाम बदले जाने की लंबे समय से मांग की जा रही थी, जिसके बाद 26 नवंबर को इसी हॉल में हुई भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में मुख्यमंत्री चौहान ने इसका नाम बदले जाने की घोषणा की। इसी तरह इंदौर के पातालपानी स्टेशन को आदिवासी जननायक ‘टंट्या मामा’ का नाम दिए जाने की भी मुख्यमंत्री ने घोषणा की।
इसी साल 15 नवंबर को जनजातीय नायक बिरसा मुंडा जयंती पर राजधानी भोपाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में ‘जनजातीय गौरव दिवस’ का भव्य आयोजन हुआ। इस आयोजन में राजधानी भोपाल में करीब ढाई लाख आदिवासियों ने शिरकत की और सरकार की ओर से आदिवासियों के हित में अनेक घोषणाएं की गयीं। वर्ष के दौरान आदिवासियों के हितों को लेकर भी सत्तारूढ़ दल और विपक्षी नेताओं में राजनैतिक बयानबाजी देखी गयी।
इस वर्ष सितंबर अक्टूबर में राज्य सरकार ने कोरोना संबंधी प्रतिबंध धीरे धीरे हटाने प्रारंभ किए थे और ये पूरी तरह हट भी गए थे, लेकिन दिसंबर माह में कोरोना खासतौर से नए वेरिएंट ओमिक्रोन की उपस्थिति के साथ ही तीसरी लहर की आशंका के चलते प्रतिबंध फिर से लगाना प्रारंभ कर दिए गए हैं। अब नागरिक तीसरी लहर की आशंका के बीच इस वर्ष को विदा करते हुए दिख रहे हैं। हालाकि वैक्सीनेशन के कारण उम्मीद जतायी जा रही है कि अब शायद हमें पूर्व की तरह नुकसान नहीं होगा।

राज्य मंत्रिमंडल की सिफारिशों को स्वीकार किया

कविता गर्ग      मुंबई। शिवसेना सांसद संजय राउत ने सोमवार को कहा कि राज्यपाल के लिए राज्य मंत्रिमंडल की सिफारिशों को स्वीकार करना अनिवार्य है। उन्होंने यह टिप्पणी तब की है, जब एक दिन पहले महाराष्ट्र सरकार के एक प्रतिनिधिमंडल ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान सदन के अध्यक्ष पद का चुनाव कराने की अनुमति मांगने के लिए राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की। राउत ने यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा, ”राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पढ़ते बहुत हैं। लोकतंत्र में बहुत ज्यादा पढ़ना अच्छा नहीं है। मायने यह रखता है कि लोगों की आवाज सुनी जाए। राज्यपाल के लिए मंत्रिमंडल की सिफारिशों को स्वीकार करना अनिवार्य है।” राज्य के शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे (शिवसेना), राजस्व मंत्री बालासाहेब थोराट (कांग्रेस) और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) ने रविवार की शाम को यहां राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात की थी।

बाद में थोराट ने कहा था कि उन्होंने कोश्यारी को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का लिखा एक पत्र सौंपा है जिसमें विधानसभा अध्यक्ष पद का चुनाव करने के लिए उनकी अनुमति मांगी गयी है। कांग्रेस नेता ने कहा, ”राज्यपाल ने मतदान के बजाय ध्वनि मत से चुनाव कराने को लेकर विधायिका के नियमों में संशोधन की जानकारियां मांगी हैं। उन्होंने कहा कि वह कानूनी विशेषज्ञों से चर्चा करेंगे, उनसे और अधिक जानकारी लेंगे तथा कल तक अपने फैसले के बारे में बताएंगे।” शिंदे ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव कराने की प्रक्रिया में बदलाव नियमों के अनुसार किया गया है और उन्हें विश्वास है कि राज्यपाल जल्द ही अपनी मंजूरी दे देंगे। राज्य विधानसभा का शीतकालीन सत्र 22 दिसंबर को शुरू हुआ और यह 28 दिसंबर को खत्म होगा। इस साल फरवरी में नाना पटोले के कांग्रेस प्रमुख का पदभार संभालने के लिए विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद यह पद खाली पड़ा है।

ब्राह्मण नेताओं ने जेपी नड्डा से मुलाकात की: भाजपा

संदीप मिश्र      लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के ब्राह्मण नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा से सोमवार को मुलाकात की। इससे एक दिन पहले इन नेताओं ने राज्य में इस समुदाय के मतों को अपने पक्ष में करने के लिए विचार-विमर्श किया था। उत्तर प्रदेश में अगले साल के शुरू में विधानसभा चुनाव होने हैं। नड्डा के साथ हुई बैठक में इस समुदाय संबंधी विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई। इससे पहले, उत्तर प्रदेश से भाजपा के एक दर्जन से अधिक ब्राह्मण नेताओं ने समुदाय के सदस्यों तक पहुंचने की रणनीति बनाने के लिए राज्य में पार्टी के चुनाव प्रभारी एवं केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के आवास पर रविवार को एक बैठक की थी।

सूत्रों के अनुसार, पार्टी ने समुदाय के ब्राह्मण सदस्यों तक पहुंचने के लिए एक समिति बनाई है, जिसके सदस्य राज्यसभा में भाजपा के मुख्य सचेतक शिव प्रताप शुक्ला, पार्टी नेता अभिजीत मिश्रा, पूर्व राष्ट्रीय सचिव एवं गुजरात से सांसद राम भाई मोकारिया और महेश शर्मा हैं। केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा समेत ब्राह्मण नेता राज्य के अपने-अपने क्षेत्रों में समुदाय के सदस्यों तक पहुंचेंगे। मिश्रा के बेटे को लखीमपुर खीरी हिंसा में गिरफ्तार किया गया है। उत्तर प्रदेश में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं।

दिग्विजय के विवादित बयान पर प्रतिक्रिया जताईं

मनोज सिंह ठाकुर        इंदौर। मध्यप्रदेश भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह पर हमला बोलते हुए कहा है कि अगर वह गो मांस खाना उचित मानते हैं, तो उन्हें अपना नाम बदलकर “दिग्विजय खान” रख लेना चाहिए। गोमांस के बारे में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विनायक दामोदर सावरकर के कथित विचारों को लेकर दिग्विजय सिंह के विवादित बयान पर प्रतिक्रिया जताते हुए विजयवर्गीय ने इंदौर में रविवार रात संवाददाताओं से कहा, “सिंह कुछ भी कह सकते हैं। क्योंकि वह अब राजनीति से सेवानिवृत्त होने वाले हैं।

भाजपा महासचिव ने कहा कि यदि सिंह गोमांस खाना उचित मानते हैं, तो उन्हें अपना नाम बदलकर दिग्विजय खान रख लेना चाहिए। सिंह ने शनिवार को भोपाल में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान विवादित बयान में कहा था। स्वयं सावरकर ने अपनी किताब में कहा है कि हिंदू धर्म का हिंदुत्व से कोई संबंध नहीं है। खुद सावरकर ने यह भी कहा है कि गोमांस खाने में कुछ भी खराबी नहीं है।

राजस्थान: सर्द हवाओं से जनजीवन प्रभावित हुआ

नरेश राघानी       जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर सहित राज्य के कई इलाकों में बीते 24 घंटे में बारिश दर्ज की गई तथा कोहरे एवं सर्द हवाओं से जनजीवन प्रभावित हुआ। मौसम विभाग के अनुसार, बीते 24 घंटे में जयपुर, अजमेर, अलवर, सीकर और नागौर सहित अनेक जिलों में बारिश हुई। इस दौरान राजधानी जयपुर में 4.9 मिमी., अलवर में 3.2 मिमी., संगरिया में 2.0 मिमी., नागौर में 2.0 मिमी., बीकानेर में 1.8 मिमी., अजमेर में 1.6 मिमी., सीकर में 1.0 मिमी., चुरू में 0.4 मिमी. बारिश दर्ज की गई। 

इसके अलावा गंगानगर, करौली और पिलानी आदि इलाकों में बूंदा-बांदी हुई। इसके साथ ही सर्द हवाएं चलने से आम जनजीवन और धुंध छाने से आवागमन प्रभावित हुआ। वहीं राज्य में रात का न्यूनतम तापमान संगरिया में 8.5 डिग्री सेल्सियस और गंगानगर 9.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

धार्मिक नेता कालीचरण के खिलाफ मामला दर्ज किया 

दुष्यंत टीकम       रायपुर। छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले की पुलिस ने महात्मा गांधी के खिलाफ ‘अपमानजनक’ टिप्पणी करने और उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे की प्रशंसा करने के आरोप में हिंदू धार्मिक नेता कालीचरण महाराज के खिलाफ मामला दर्ज किया है। राजधानी रायपुर के रावणभाठा मैदान में रविवार शाम को दो दिवसीय ‘धर्म संसद’ के अंतिम दिन कालीचरण महाराज ने अपने भाषण के दौरान राष्ट्रपिता के खिलाफ ‘अपमानजनक’ टिप्पणी की थी और उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे की प्रशंसा की थी।

इस दौरान कालीचरण महाराज ने लोगों से कहा था कि उन्हें धर्म की रक्षा के लिए एक कट्टर हिंदू नेता को सरकार के मुखिया के तौर पर चुनना चाहिए। उनके इस बयान पर राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस के नेताओं ने आपत्ति जताई थी। रायपुर जिले के पुलिस अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि कांग्रेस नेता प्रमोद दुबे की शिकायत पर पुलिस ने शहर के टिकरापारा थाने में कालीचरण महाराज के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि कालीचरण महाराज के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 505 (2)(विभिन्न वर्गों के बीच शत्रुता, घृणा या द्वेष पैदा करने या बढ़ावा देने वाले बयान) और 294 (अश्लील कृत्य) के तहत मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने बताया कि मामले की जांच जारी है।कालीचरण महाराज के बयान की निंदा करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संचार विभाग के प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने रविवार को कहा था कि महात्मा गांधी के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल बेहद आपत्तिजनक है और कालीचरण को पहले यह साबित करना चाहिए कि वह एक संत हैं।

शांति व्यवस्था को बिगाड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई

दुष्यंत टीकम      रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने महत्वपूर्ण ऐलान किया है। शांति व्यवस्था को बिगाड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। सीएम भूपेश बघेल ने ट्वीट कर कहा - चूहों के बिल में अगर पानी डालो तो एक साथ छटपटा कर बाहर भागते हैं, अफरा तफरी मच जाती है। राहुल गांधी जी ने देश के सामने 'हिन्दू' और 'हिंदुत्ववादी' का जबसे अंतर स्पष्ट किया है, हिंदुत्ववादियों की टोली में अफरा-तफरी मच गई है। इन पाखंडियों की वर्षों की नफरत की दुकान बंद हो रही है।

बापू को गाली देकर, समाज मे विष वमन करके अगर किसी पाखंडी को लगता है कि वो अपने मंसूबों में कामयाब हो जाएंगे, तो उनका भ्रम है। उनके आका भी दोनों सुन लें। भारत और सनातन संस्कृति दोनों की आत्मा पर चोट करने की जो भी कोशिश करेगा। न संविधान उसे बख्शेगा, न जनता उन्हें स्वीकार करेगी। दरअसल, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने धर्म संसद में महात्मा गांधी पर विवादित बयान देने वाले बाबा कालीचरण के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है। उन्होंने कहा कि कानून से बढ़कर कोई नहीं है। मामले में विधिसम्मत कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने भाजपा नेताओं की चुप्पी पर सवाल उठाए। बता दें कि राजधानी के रावणभाटा ग्राउंड में आयोजित धर्म संसद में कालीचरण बाबा ने विभाजन के लिए महात्मा गांधी को जिम्मेदार ठहराते हुए नाथूराम गोड़ने का महिमामंडन किया था। इस बयान के बाद निगम सभापति प्रमोद दुबे ने एफआईआर तो पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम ने थाने में शिकायत दर्ज करवाई थी।

'केपीसीसी' ने सांसद थरूर की आलोचना की: कांग्रेस

राणा ओबरॉय        चंडीगढ़। पंजाब और उत्तराखंड के बाद अब केरल कांग्रेस में भी कलह शुरू हो गई है। पार्टी के खिलाफ जाने को लेकर केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के सुधाकरन ने सांसद शशि थरूर को चेतवनी दी है। कन्नूर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष के सुधाकरन ने पार्टी सांसद शशि थरूर की आलोचना की और कहा कि वह या तो पार्टी के फैसलों का पालन करें या पार्टी छोड़ सकते हैं। केरल कांग्रेस में शशि थरूर को लेकर उस वक्त नाराजगी बढ़ गई। जब उन्होंने सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाली राज्य सरकार की सेमी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर परियोजना के खिलाफ यूडीएफ सांसदों द्वारा केंद्र सरकार को भेजे जा रहे एक पत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। 

इतना ही नहीं कांग्रेस अध्यक्ष का पारा उस वक्त और चढ़ गया जब थरूर ने आग में घी डालते हुए, मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की 'निवेश अनुकूल' पहल के लिए खुले तौर पर उनकी प्रशंसा कर दी। हालांकि, के सुधाकरन ने हाल के घटनाक्रम पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। हर किसी की अपनी राय है। अगर वह पार्टी के नियमों का पालन करता है तो वह पार्टी में रहेगा, अन्यथा, वह इससे बाहर हो जाएगा चाहे वह शशि थरूर हो या के सुधाकरन, एक व्यक्ति जो पार्टी का सांसद है, उसे पार्टी के फैसलों को खारिज नहीं कर सकता। बता दें कि इससे पहले थरूर ने एक ट्वीट के जरिए अपने सहयोगियों की नाराजगी का जवाब दिया था। उन्होंने कहा था कि कुछ मुद्दों में राजनीतिक मतभेदों को अलग रखना जरूरी है। उन्होंने आगे कहा कि वह सिल्वर लाइन परियोजना पर अध्ययन करने के बाद अपनी राय प्रकट करेंगे।



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