सोमवार, 27 दिसंबर 2021

10 अफ्रीकी देशों पर लगें प्रतिबंध हटें, सीमा संबंध

10 अफ्रीकी देशों पर लगें प्रतिबंध हटें, सीमा संबंध

अखिलेश पांडेय      सिंगापुर। सिंगापुर ने कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रोन के कारण 10 अफ्रीकी देशों पर लगाए प्रतिबंध हटा दिए हैं। जबकि प्राधिकारियों को आने वाले दिनों में संक्रमण के मामलों के तेजी से दोगुना होने की आशंका है। अब, जो यात्री पिछले 14 दिन में बोत्सवाना, इस्वातिनी, घाना, लेसोथो, मलावी, मोजाम्बिक, नामीबिया, नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका और जिम्बाब्वे होते हुए सिंगापुर लौटेंगे, वे रविवार रात 11 बजकर 59 मिनट से देश के ‘श्रेणी चार’ सीमा संबंधी नियमों के दायरे में आएंगे। इन देशों से आने वाले यात्रियों को सिंगापुर के लिए रवाना होने से दो दिन पहले पीसीआर जांच करानी होगी और उनके यहां पहुंचने के बाद भी उनकी पीसीआर जांच की जाएगी। उन्हें 10 दिन पृथक-वास में रहना होगा। पृथक-वास की अवधि पूरी होने के बाद एक बार फिर पीसीआर जांच की जाएगी।

इससे पहले, इन देशों से आने वाले दीर्घावधि के पासधारकों और कम अवधि के लिए आने वाले लोगों को प्रवेश की अनुमति नहीं थी। वहीं, इन देशों से आने वाले सिंगापुर के नागरिकों और स्थायी निवासियों के लिए 10 दिन तक निर्धारित केंद्रों में पृथक रहना अनिवार्य था। इस बीच, स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि ओमीक्रोन स्वरूप की अधिक संक्रामकता को देखते हुए स्थानीय मामलों के फिर से बढ़ने की आशंका है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘आगामी दिनों और सप्ताहों में, हमें सामुदायिक स्तर पर (स्थानीय) मामले बढ़ने और इनके दोगुने होने की आशंका है।’’

इस बीच, समाचार पत्र ‘द स्ट्रेट्स टाइम्स’ ने कोविड-19 संबंधी कई मंत्रालयों के कार्य बल (एमएमटीएफ) के हवाले से बताया कि सिंगापुर ने कार्य पास, दीर्घकालीन पास और स्थायी निवास के आवेदनों की मंजूरी के लिए टीकाकरण को अगले साल एक फरवरी से अनिवार्य बना दिया है। ‘चैनल न्यूज एशिया’ ने मंत्रालय के हवाले से बताया कि यदि हर व्यक्ति टीकाकरण कराए, ‘बूस्टर’ खुराक ले, नियमित रूप से अपनी जांच कराए और संक्रमित पाए जाने पर स्वयं पृथक-वास में रहे, तो संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है।सिंगापुर में शनिवार तक ओमीक्रोन स्वरूप के 546 मामलों की पुष्टि हुई, जिनमें से 443 लोग विदेशों से आए हैं। सिंगापुर में रविवार को कोविड-19 के 209 नए मामले सामने आए। देश में संक्रमण से अभी तक 822 लोगों की मौत हो चुकी है और कुल 2,77,764 लोग संक्रमित पाए गए हैं।

पाकिस्तानी सियासत में बदलाव, स्क्रिप्ट तैयारी हुईं

सुनील श्रीवास्तव      इस्लामाबाद। पाकिस्तान की सियासत में एक बार फिर बड़े बदलाव की स्क्रिप्ट तैयार हो चुकी है। खबरों के मुताबिक, नवंबर 2019 से लंदन में रह रहे पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ नए साल 2022 के पहले महीने में मुल्क लौट रहे हैं। पाकिस्तान में फौज के समर्थन के बिना किसी सरकार का सत्ता में रहना नामुमकिन है। फौज ही तब्दीली के नाम पर इमरान को सत्ता में लाई, लेकिन वो पूरी तरह नाकाम रहे। मुल्क में उनके खिलाफ नफरत पैदा हो चुकी है। इमरान की कारगुजारियों की वजह से फौज की भी फजीहत हो रही थी। लिहाजा, बीच का रास्ता खोजा गया है। तीन साल से चुप पाकिस्तान का मेन मीडिया भी अब खुलकर नवाज की वापसी और इमरान के दिन लदने की खबरें देने लगा है। आइए इस पूरे मामले की तह तक चलते हैं।

सबसे पहले ये जान लेते हैं कि नवाज का जिक्र अचानक क्यों होने लगा? 3 दिन पहले पाकिस्तान के बड़े और गंभीर पत्रकार सलीम साफी ने एक ट्वीट किया। कहा- नवाज जनवरी 2022 में पाकिस्तान लौट रहे हैं। मुल्क की सियासत में बदलाव का वक्त है। इस ट्वीट को हर किसी ने गंभीरता से लिया, क्योंकि हालात भी कुछ इसी तरफ इशारा कर रहे थे। बाद में एक और सीनियर जर्नलिस्ट नजम सेठी ने कहा- सलीम साफी बिल्कुल सही कह रहे हैं। नवाज के मुल्क लौटने की स्क्रिप्ट पर काम 3 महीने से चल रहा हैं। दुनिया के ज्यादातर मुल्कों में फौज चुनी हुई सरकार के मातहत काम करती है। पाकिस्तान में बिल्कुल उल्टी गंगा बहती है। यहां फौज और आईएसआई सरकार बनाने और गिराने में सबसे अहम रोल प्ले करते हैं। नवाज को फौज के विरोध की वजह से कुर्सी गंवानी पड़ी थी। बदलाव के तौर पर इमरान को लाया गया। उन्हें यूटर्न और सिलेक्टेड प्राइम मिनिस्टर कहा जाता है। थक-हारकर फौज को फिर नवाज की तरफ ही देखना पड़ा।

अब इशारे समझें। सिर्फ तीन महीने पहले तक नवाज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अवाम से बात करते थे। इस दौरान फौज-ISI के अफसरों का नाम लेकर उनकी कारगुजारियां उजागर करते थे। फौज के सामने दोहरी मुसीबत आ गई। पहली- इमरान हर मोर्चे पर नाकाम हो गए। दूसरा- नवाज सीधा नाम ले-लेकर फौज पर हमले कर रहे थे। मुल्क में आर्मी और आईएसआई विलेन के तौर पर देखे जाने लगे। पाकिस्तान में दो ही बड़ी सियासी पार्टियां हैं। पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी। अब इस फेहरिस्त में आप इमरान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ को भी गिन सकते हैं। लेकिन, सच्चाई ये है कि इमरान की पार्टी में 80% नेता वही हैं, जो पहले पीपीपी या पीएमएल-एन में रह चुके हैं। पीपीपी को सिर्फ सिंध प्रांत की पार्टी माना जाता है। बाकी सूबों में उसका असर-ओ-रसूख या फिर कहें जनाधार बेहद कम है। बेनजीर भुट्टो जैसा करिश्मा न तो आसिफ अली जरदारी में है और न उनके बेटे बिलावल भुट्टो जरदारी में। आसिफ अली जरदारी 66 साल के हैं, लेकिन काफी बीमार रहते हैं। बिलावल को मुल्क की सियासत में नौसिखिया समझा जाता है। लिहाजा, मुल्क हैंडल करने के लिहाज से मिसफिट माने जाते हैं।

पीएमएलएन के मुखिया नवाज हैं। भाई शहबाज शरीफ और बेटी मरियम नवाज दोनों पॉलिटिकली मैच्योर और एक्टिव हैं। इमरान और फौज के सामने उन्होंने घुटने नहीं टेके। दोनों के कई केसों में फंसाया भी गया। पाकिस्तान की फौज हो या सियासत, दोनों के बारे में एक बात मशहूर है कि इनमें 80 से 90% लोग पंजाब प्रांत के होते हैं सिर्फ पंजाब ही नहीं, मुल्क के दूसरे हिस्सों में ताकतवर है। नवाज तो आज भी पाकिस्तान के सबसे मशहूर नेता हैं। नजम सेठी के मुताबिक- पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन दो हिस्सों में होगा। मुमकिन है कि इमरान को फरवरी या मार्च तक कुर्सी छोड़ने पर मजबूर किया जाए। बचा हुए कार्यकाल के लिए पीटीआई का ही कोई और चेहरा लाया जाए। ये विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी हो सकते हैं। वो फौज के भी लाड़ले हैं। अगले साल वैसे भी जनरल इलेक्शन होने हैं। इसके बाद नवाज, शहबाज या मरियम में से किसी को पीएम बनाया जाए। नवाज का नाम यहां भी सबसे आगे है। इसके लिए वो मुल्क लौटकर कुछ वक्त जेल में गुजारेंगे। फौज और अदालत मिलकर उनके केस खत्म कराएंगे और फिर सत्ता में वापसी का रास्ता साफ हो जाएगा। इमरान को खतरे का अंदाजा है। पिछले हफ्ते के आखिर में इमरान ने कैबिनेट मीटिंग की। इसकी खबरें लीक हो गईं। इनके मुताबिक, मीटिंग में इमरान ने साफ कहा था कि एक करप्ट लीडर को चौथी बार मुल्क का वजीर-ए-आजम बनाने की तैयारियां हो रही हैं।

एक बात और हुई और उसका जिक्र बेहद जरूरी है। दरअसल, पिछले दिनों इमरान और पीटीआई के गढ़ खैबर-पख्तूनख्वा में लोकल बॉडी इलेक्शन हुए। पूरे राज्य में पीटीआई एक मेयर की सीट भी नहीं जीत सकी। हार से गुस्साए इमरान ने कहा- अगली बार मैं खुद कैम्पेन करने जाऊंगा। बहरहाल, सियासी जानकारों ने कहा- मुल्क के हालात इतने खराब हैं कि पीटीआई के वर्कर्स को गांव और गलियों में घुसने तक नहीं दिया जा रहा।

'ओमिक्रोन' के केस में बढ़ोतरी, भय का माहौल: यूएसए

अखिलेश पांडेय         वाशिंगटन डीसी। जब से कोरोना के नये वेरिएंट  का पता चला है। तब से लोगों के मन में इसे लेकर लगातार भय का माहौल बना ही हुआ है। अमेरिका में लगातार कोरोना के ओमिक्रोन वेरिएंट के केस में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। ओमिक्रोन वेरिएंट पर बात करते हुए व्हाइट हाउस ने बताया कि ओमिक्रोन बड़ी संख्या में बच्चों को संक्रमित कर रहा है। इसके कारण बड़ी संख्या में बच्चों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ रहा है। पिछले कुछ दिनों में न्यूयॉर्क में 18 साल से कम उम्र के बच्चों के अस्पताल में भर्ती होने की संख्या 4 गुना तक बढ़ी है।

इसके साथ ही अमेरिका के हेल्थ विभाग ने बताया कि इन भर्ती होने वाले बच्चों में 5 साल से कम उम्र के 50 प्रतिशत से ज्यादा बच्चे हैं जिन्हें फिलहाल अमेरिका (America) में वैक्सीन नहीं लगाई जा रहा है। के द्वारा जारी किए गए डेटा के अनुसार अमेरिका में करीब 1,90,000 तक रोज नये कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि क्रिसमस और न्यू ईयर के इस फेस्टिव सीजन में संक्रमण का दर और तेजी से बढ़ सकता है। अमेरिका के महामारी एक्सपर्ट डॉ. एंथनी फाउचीने कहा कि अमेरिका में टेस्टिंग की रफ्तार कम है जिसे कुछ ही दिनों में कई गुना तक बढ़ा दिया जाएगा। डॉ. एंथनी फाउची ने ओमिक्रोन वेरिएंट पर बात करते हुए कहा कि हमें इस समय बहुत ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। इसके लिए हर जरूरी कदम उठाने की आवश्यकता है। कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए अमेरिका में कई फ्लाइट्स को कैंसल किया जा रहा है क्योंकि बहुत से फलाइट अटेंडेंट अभी संक्रमित हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ओमिक्रोन वेरिएंट को डेल्टा के मुकाबले कम खतरनाक माना जा रहा है। लेकिन इसके फैलने की रफ्तार डेल्टा से कहीं ज्यादा है। अगर मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ती है तो यह हेल्थ सिस्टम पर बहुत ज्यादा दबाव बढ़ाएगा जिससे यह बड़ी परेशानी का कारण बन सकता है।



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