मंत्रालय: एक 'किसान' की मौंत का रिकॉर्ड नहीं
अकांशु उपाध्याय नई दिल्ली। लोकसभा में केंद्र सरकार ने बुधवार को दावा किया कि किसान आंदोलन की वजह से कृषि मंत्रालय के पास किसी किसान की मौत का कोई रिकॉर्ड नहीं है। केंद्र सरकार के इस बयान पर किसान नेताओं ने नाराजगी जताई है। उधर, किसानों की मौत के मामले में कांग्रेस ने भी सरकार पर निशाना साधा है। दोआबा किसान कमेटी के स्टेट चीफ जंगवीर सिंह चौहान ने कहा, सरकार के पास आईबी से लेकर दिल्ली पुलिस तक हर तरह के डाटा हैं। अगर वे कह रहे हैं कि किसानों की मौत का डाटा नहीं है, तो ये गलत है। इसके बावजूद अगर सरकार कहती है तो हम उन्हें मुआवजे के लिए किसानों की मौत का आंकड़ा देंगे।
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी और कुछ अन्य सदस्यों ने आंदोलनकारी किसानों की मांगों से जुड़ा मुद्दा बुधवार को लोकसभा में उठाया और कहा कि सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने समेत अन्य मांगें स्वीकार करनी चाहिए। सदन में शून्यकाल के दौरान विभिन्न सदस्यों ने जनहित के अलग-अलग मुद्दे उठाए। कांग्रेस के मणिकम टैगोर ने मांग उठाई कि कि कोराना वायरस महामारी में जान गंवाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के परिवार को चार लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए।
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने किसान आंदोलन का मुद्दा उठाते हुए कहा, ‘‘700 से अधिक किसान काले कानूनों के खिलाफ आंदोलन करते हुए शहीद हुए हैं। इनके परिवारों को मुआवजा दिया जाना चाहिए। किसानों के साथ न्याय करना चाहिए और उनकी दूसरी मांगें स्वीकार की जानी चाहिए।’’ राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल और एआईएमआईएम के इम्तियाज जलील ने भी कहा कि एमएसपी की कानूनी गारंटी समेत किसानों की अन्य मांगें सरकार को माननी चाहिए।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सांसद दानिश अली ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान बंद हुए विश्वविद्यालयों को खोला जाना चाहिए। भाजपा के मनोज कोटक ने पिछले दिनों महाराष्ट्र के अमरावती में हुई हिंसा का मुद्दा सदन में उठाया और दावा किया कि इस घटना में पुलिस की भूमिका संदिग्ध है। उन्होंने मांग की कि रजा अकादमी और पीएफआई जैसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाया जाए, वहीं पुलिस और प्रशासन की भूमिका की भी जांच हो।
बसपा की संगीता आजाद ने ‘यूपीटेट’ परीक्षा का पेपर लीक होने का मुद्दा उठाया और कहा कि इसकी उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और आगे इस तरह से पेपर लीक होने से रोका जाए। आदमी पार्टी के भगवंत मान ने कहा कि पंजाब में सेना की भर्ती की लिखित परीक्षा कराई जाए। तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा, भाजपा के रमेश बिधूड़ी, तीरथ सिंह रावत, रामकृपाल यादव, सुनीता दुग्गल एवं विजय कुमार दुबे और कुछ अन्य दलों के सदस्यों ने भी विभिन्न मुद्दे उठाए।
बांदा से पार्टी का 'प्रचार' अभियान शुरु: चुनाव
संदीप मिश्र बांदा। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में आगामी संभावित विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आज बुधवार काे बुंदेलखंड में बांदा से पार्टी का प्रचार अभियान शुरु।सपा के मीडिया प्रकोष्ठ से मिली जानकारी के अनुसार अखिलेश बुंदेलखंड में तीन दिवसीय दौरे की शुरुआत बांदा में समाजवादी विजय रथ यात्रा के माध्यम से करेंगे। उनके यात्रा कार्यक्रम के अनुसार वह आज हेलीकॉप्टर से सुबह 11 बजे बांदा स्थित पुलिस लाइन पहुंचेंगे। यहाँ विजय रथ यात्रा में शामिल होकर जनसंपर्क करते हुये वह बांदा में राजकीय इंटर कालेज मैदान में एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे।
इसके बाद विजय रथ से ही वह महोबा के लिये रवाना होंगे। महोबा में वह दिन में दो बजे जनसभा को संबोधित करेंगे। इसके बाद महोबा में ही वह रात्रि विश्राम करेंगे। दो दिसंबर को 11 बजे वह हेलीकाॅप्टर से ललितपुर के लिये रवाना हो जायेंगे। ललितपुर में वह गिन्नोट बाग में जनसभा को संबोधित करेंगे। ललितपुर से वह महरौनी रोड स्थित ग्राम बीर में महाराजा खेत सिंह की प्रतिमा का अनावरण करेंगे।
ललितपुर से अखिलेश हेलीकॉप्टर से शाम चार बजे झांसी पहुंचेंगे। झांसी में रात्रि विश्राम के बाद तीन दिसंबर को वह सुबह दस बजे विजय रथ के साथ जनसंपर्क करते हुये झांसी से पारीक्षा और चिरगांव होते हुये मोंठ पहुंचेंगे। मोंठ में जनसभा को संबोधित कर दिन में तीन बजे अखिलेश हेलीकॉप्टर से लखनऊ वापस लौटेंगे। गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में बुंदेलखंड की सभी 19 सीटों पर सपा की हार के बाद सपा इन इलाके अपने जनाधार को वापस पाने की कोशिश में है। बुंदेलखंड में तीन दिन के प्रवास के दौरान अखिलेश पार्टी के स्थानीय नेताओं के साथ चुनावी रणनीति पर भी मंथन करेंगे।
बूस्टर डोट के संबंध में फैसला करने की अपील
नरेश राघानी जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोरोना के नए वैरिएंट ओमीक्रोन की आशंका के मद्देनजर कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों के स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए केन्द्र सरकार से बूस्टर डोट के संबंध में जल्द फैसला करने की अपील की हैं। गहलोत ने सोशल मीडिया के जरिए कोविड के अधिक संक्रामक बताए गए वैरिएंट ‘ओमीक्रोन’ एवं इसके भारत पर पड़ने वाले संभावित असर को लेकर एक अखबार में प्रकाशित आर्टिकल का सार साझा करते हुए आज यह अपील की।
उन्होंने केन्द्र सरकार से अपील की कि वह बूस्टर डोज के संबंध में जल्द फैसला लें जिससे कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों के स्वास्थ्य का ध्यान रखा जा सके। उन्होंने कहा कि कोविड की दूसरी लहर जैसी परिस्थितियां फिर से ना बनें इसके लिए हमें सचेत रहकर समय रहते हुए जरूरी कदम उठाने ही होंगे। उन्होंने कहा कि कोविड की वर्तमान परिस्थितियों एवं भविष्य की आशंकाओं पर इस आर्टिकल में अच्छी जानकारी है। इसमें ओमीक्रोन की चर्चा करते हुए कहा गया है कि यदि यह भारत में आता है तो कोरोना के विरुद्ध् हमारी लड़ाई के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन सकता है।
सिंघु बॉर्डर पर होने वाली बैठक स्थगित: राजनीति
अकांशु उपाध्याय नई दिल्ली। किसानों की मांग को लेकर पिछले एक साल से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसान संगठनों की बुधवार को सिंघु बॉर्डर पर होने वाली बैठक स्थगित कर दी गयी। किसान नेता राकेश टिकैत ने बताया कि छोटी मोटी बैठकें चलती रहती है। लेकिन आज कोई बैठक नहीं है। टिकैत ने कहा कि किसान संगठनों की बैठक चार दिसंबर को होनी है। उन्होंने कहा कि जब तक किसानों की सभी मांगों का सामाधान नहीं होता, यह आंदोलन चलता रहेगा। किसान नेता ने कहा, “सरकार को आम सहमति से रास्ता निकालना चाहिये, किसानों से बातचीत करनी चाहिये। मंगलवार को यूनियन नेताओं की तरफ से एक संकेत दिया गया कि उनकी एक बैठक बुधवार को सिंघु बॉर्डर पर होगी, जिसमें 40 से अधिक किसान संगठन भाग लेंगे।
टिकैत ने आज सुबह कहा, “ऐसी कोई बैठक नहीं है, छोटी-मोटी बैठकें होती रहती हैं।” मंगलवार को संगठनों की तरफ से यह बात सामने आयी कि सरकार ने पंजाब के एक किसान नेता से एमएसपी और अन्य मुद्दों पर सरकार की ओर से बनायी जाने वाली विशेषज्ञों की समिति में किसानों की ओर से पांच नाम भेजें। किसान यूनियनों का कहना है कि सरकार की ओर से प्रस्तावित समिति पर उनके सामने अभी कोई ठोस प्रस्ताव नहीं आया है। समिति का स्वरूप क्या होगा, इस बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है। उनका यह भी कहना है कि सरकार की ओर से कोई ठोस प्रस्ताव आएगा तो उस पर विचार करेंगे।
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेता डॉ. दर्शन पाल ने कल कहा था कि आगामी चार दिसंबर को होने वाली किसान संगठनों की बैठक में समिति में किसानों के नाम भेजे जाने पर विचार किया जायेगा और आंदोलन की आगे की दिशा तय होगी। उन्होंने कहा कि जब तक किसानों की सभी मांगें पूरी नहीं होती, तब तक आंदोलन खत्म नहीं होगा। गौरतलब है कि तीन नये कृषि कानूनों को रद्द किये जाने की मांग को लेकर किसानों ने पिछले साल 26 नवंबर को आंदोलन किया था और इस साल 26 जनवरी को उनके दिल्ली मार्च आंदोलने के दौरान बड़े पैमाने पर राजधानी में हिंसा हुयी थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को गुरू पर्व के दिन राष्ट्र के नाम संबोधन में इन कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी और संसद के वर्तमान शीतकालीन सत्र के पहले दिन 29 नवंबर को लोकसभा और राज्यसभा में इन कानूनों को वापस लेने का विधेयक पारित करा लिया गया। प्रधानमंत्री ने एमएसपी और फसल विवधिकरण और ऐसे अन्य मुद्दों पर एक समिति बनाने की घोषणा की है। किसान नेता एमएसपी की कानूनी गारंटी, आंदोलने के दौरान मृत किसानोंं के परिजनों को मुआवजा, किसानों पर दर्ज मुकदमों की वापसी, बिजली बिल की माफी और अन्य मामलों को लेकर अभी भी अड़े हुये हैं।
विपक्षी सदस्यों ने 'भ्रष्टाचार' का आरोप लगाया
अविनाश श्रीवास्तव पटना। बिहार विधानसभा में तीसरे दिन प्रश्नकाल शुरू होने से पहले हंगामा हुआ। विपक्षी सदस्यों ने राजभवन में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। राज्यपाल को बर्खास्त करने की मांग की। विपक्षी विधायक बैनर-पोस्टर लेकर सदन पहुंचे थे। विस अध्यक्ष ने कहा कि राज्यपाल महामहिम हैं और वे इस विधायिका के अंग हैं।उन पर इस तरह के आरोप लगाना उचित नहीं। वहीं, भाजपा विधायक नीतीश मिश्रा ने श्रम संसाधन विभाग से पूछा कि जितने युवाओं को रोजगार के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा उन्हें रोजगार क्यों दिया जा रहा। जिस कंपनी पर रोजगार देने का जिम्मा है। वो इसमें विफल हो रही।
विभाग सिर्फ 20 फीसदी राशि कटौती पर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो रही। आखिर इस तरह की व्यवस्था कब तक चलेगी।बीजेपी विधायक नीतीश मिश्रा ने सवाल उठाया कि श्रम विभाग बिहार के नौजवानों को रोजगार के लिए ट्रेनिंग दिलवाती है। इसके लिए कंपनी को हायर किया गया है। ट्रेनिंग के नाम पर सरकार के पैसे खर्च होते हैं। जबकि कंपनी को प्लेसमेंट भी करना था। कंपनी ट्रेनिंग तो देती है लेकिन उन्हें रोजगार मुहैया नहीं कराती। सरकार सिर्फ 20 परसेंट राशि काट कर अपनी जिम्मेदारी खत्म कर ले रही। मकसद यह होना चाहिए कि अधिक से अधिक युवाओं को रोजगार मिले। सरकार की तरफ से श्रम संसाधन मंत्री जीवेश कुमार ने जवाब दिया। उन्होंने सदन में बताया कि कोरोना की वजह से परेशानी हुई है।
फिर भी जितने लोगों को प्रशिक्षित किया गया था उसमें 15 फीसदी युवाओं को रोजगार दिया गया है। फिर भी जो कंपनी प्रशिक्षण के बाद रोजगार नहीं देती। उसके खिलाफ सिर्फ 20 फीसदी राशि की कटौती नहीं बल्कि ग्रेडिंग की व्यवस्था की जा रही है। वैसी कंपनी जो रोजगार दिलाने में अक्षम साबित होगी उन्हें हटा दिया जायेगा। वहीं मंगलवार को विस परिसर में दो विधायकों में गाली-गलौच पर अध्यक्ष ने सदन में कहा कि पूरे देश में इसकी चर्चा हो रही है। इससे हमारी प्रतिष्ठा गिरी है। इसलिए हम सब की जिम्मेदारी है कि लोकतंत्र की गरिमा को बरकरार रखें। बता दें, मंगलवार को राजद विधायक भाई वीरेन्द्र और भाजपा विधायक संजय सरावगी के बीच विवाद हुआ था। इसके बाद भाई वीरेन्द्र ने बीजेपी विधायक को अपशब्द बोले थे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thank you, for a message universal express.