राकेश ने मूल्य 485 से 500 रुपये प्रति शेयर रखा
अकांशु उपाध्याय नई दिल्ली। राकेश झुनझुनवाला के समर्थन वाली मेट्रो ब्रांड्स लिमिटेड ने दस दिसंबर को खुलने वाले अपने 1,368 करोड़ रुपये के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के लिए मूल्य दायरा 485 से 500 रुपये प्रति शेयर रखा है। फुटवेयर खुदरा विक्रेता कंपनी ने मंगलवार को बताया कि उसका आईपीओ दस दिसंबर से शुरू होकर 14 दिसंबर तक खुला रहेगा। हालांकि, एंकर निवेशकों के लिए बोली नौ दिसंबर को खुल जाएगी। इस आईपीओ के तहत 295 करोड़ रुपये के नए शेयर जारी किए जाएंगे। इसके अलावा प्रवर्तक तथा अन्य शेयरधारक 2.14 करोड़ शेयरों की बिक्री पेशकश (ओएफएस) करेंगे। इस आईपीओ के जरिये कंपनी के प्रवर्तक अपनी करीब 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचेंगे। वर्तमान में कंपनी में प्रवर्तकों और प्रवर्तक समूह की 84 फीसदी हिस्सेदारी है।
अकांशु उपाध्याय नई दिल्ली। रंगभेद विरोध के प्रतीक रहे भारतीय मूल के इस्माइल इब्राहिम का निधन हो गया है। वह 84 वर्ष के थे। दक्षिण अफ्रीका की सत्तारूढ़ पार्टी ‘अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस’ (एएनसी) ने यह जानकारी दी। एएनसी ने एक बयान में बताया कि इब्राहिम का लंबी बीमारी के बाद सोमवार को घर पर ही निधन हो गया।
ट्विटर पर साझा किए गए बयान में पार्टी ने कहा, ” एएनसी को इब्राहिम इस्माइल इब्राहिम के निधन के बारे में पता चला है। हम उनकी पत्नी, बच्चों, परिवार, दोस्तों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं। कॉमरेड एबी, लंबे समय तक एएनसी के सदस्य रहे, एक देशभक्त जिन्होंने विनम्रता, समर्पण तथा उत्कृष्टता के साथ अपने देश की सेवा की।” इब्राहिम को कॉमरेड एबी भी कहा जाता था। इब्राहिम ने नेल्सन मंडेला और अहमद कथराडा के साथ राजनीतिक बंदी के रूप में रोबेन द्वीप पर कई साल जेल में बिताए थे। दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के आंदोलन पर रोक लगाने वाले कानूनों का उल्लंघन करने पर पिता को दो बार गिरफ्तार किए जाने के बाद, इब्राहिम 13 साल की उम्र में ही मुक्ति संग्राम का हिस्सा बन गए थे।
वह अक्सर इस बात का जिक्र करते थे कि कैसे वह महात्मा गांधी की सत्याग्रह शैली से प्रेरित हुए, जिसका इस्तेमाल उन्होंने श्रीलंका, फलस्तीन, रवांडा, कोसोवो, बोलीविया और नेपाल में वैश्विक संघर्ष की स्थितियों में एएनसी का प्रतिनिधित्व करते हुए किया। ‘कांग्रेस ऑफ बिजनेस एंड इकोनॉमिक्स’ (पूर्ववर्ती ट्रांसवाल भारतीय कांग्रेस की एक शाखा) ने इब्राहिम को 2018 में ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’ से सम्मानित किया था। इब्राहिम के परिवार में उनकी पत्नी शैनन और दो बच्चे हैं। शैनन ‘इंडिपेंडेंट मीडिया’ समूह की एक जानी-मानी विदेशी समाचार लेखक हैं।
7 वर्षों में पहली बार लकड़बग्घा देखा, घनी आबादी
अकांशु उपाध्याय नई दिल्ली। दिल्ली में लगभग सात वर्षों में पहली बार धारीदार लकड़बग्घा देखा गया है। जिनकी दुनियाभर में आबादी 10,000 से भी कम है और इन्हें विलुप्त होने की कगार पर खड़ी प्रजातियों में गिना जाता है। वन और वन्यजीव विभाग के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य में लगे कैमरों के फुटेज में इस जंगली पशु की मौजूदगी की पुष्टि हुई है। उप वन संरक्षक (डीसीएफ), दक्षिण मंडल, अमित आनंद ने कहा कि यह पहली बार है जब किसी धारीदार लकड़बग्घे को दिल्ली में कैमरे में देखा गया है। रिपोर्ट के मुताबिक 2015 में डेरा मंडी क्षेत्र में एक धारीदार लकड़बग्घे को आखिरी बार देखा गया था, जिसकी सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी।
असोला अभयारण्य में एक वन्यजीव संरक्षक ने कहा कि कर्मचारियों को 2017-18 में कुछ मौकों पर लकड़बग्धे के पैरों के निशान मिले थे। धारीदार लकड़बग्घा दिन का अधिकांश समय अपनी मांद में बिताता है। यह अकेले ही शिकार की ताक में रहता है और यह समूहों में बहुत कम दिखता है। एमिटी यूनिवर्सिटी के वन्यजीव विशेषज्ञ प्रोफेसर रणदीप सिंह ने कहा कि यह शिकार का कोई अवशेष नहीं छोड़ता बल्कि यह पुराना सड़ा-गला मांस भी खा जाता है, इसी वजह से यह वन पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। असोला में धारीदार लकड़बग्घा की उपस्थिति असोला वन में सुधार का संकेत देती है। उन्होंने कहा कि हालांकि गुरुग्राम, फरीदाबाद और दिल्ली के अरावली वनक्षेत्र में कई मौकों पर इसके पदचिह्न देखे गए हैं।
यह पहली बार हो सकता है जब इसे कैमरे में कैद किया गया हो, लेकिन मैं हैरान नहीं हूं। आनंद ने कहा कि उन्हें आयानगर और डेरा मंडी गांव के पास धारीदार लकड़बग्घे की मौजूदगी की उम्मीद थी, लेकिन ”हमने जितना सोचा था, यह उससे कहीं ज्यादा करीब हमें देवली में मिला। उन्होंने कहा कि विभाग के कैमरों से मिली तस्वीरों में अभयारण्य में दो तेंदुओं एक शावक (नर) और एक वयस्क तेंदुए की उपस्थिति की पुष्टि हुई है। डीसीएफ ने कहा कि तेंदुआ इन दिनों सक्रिय हैं, और हमें लगता है कि उनके द्वारा किए गए शिकार से धारीदार लकड़बग्घा आकर्षित हुआ होगा।
‘इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर’ ने धारीदार लकड़बग्घे को ‘संकटग्रस्त’ प्रजातियों के रूप में चिह्नित किया है और उनकी वैश्विक आबादी 10,000 से कम होने का अनुमान है। इस साल की शुरुआत में वन और वन्यजीव विभाग ने पशुओं की गणना के लिए अभयारण्य में लगभग 20 कैमरे लगाए थे।दिल्ली-हरियाणा सीमा पर अरावली पर्वत श्रृंखला के दक्षिणी दिल्ली रिज पर 32.71 वर्ग किमी क्षेत्र को कवर करता वन्यजीव अभयारण्य दक्षिणी दिल्ली और हरियाणा के फरीदाबाद के उत्तरी भागों और गुरुग्राम जिलों में स्थित है। यह उत्तरी अरावली तेंदुआ वन्यजीव गलियारे का हिस्सा है, जो राजस्थान के सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान से दिल्ली रिज तक फैला हुआ है।
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