3 दिन की यात्रा पर रवाना हुए 'राष्ट्रपति' कोविंद
अकांशु उपाध्याय नई दिल्ली। भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बंगलादेश की आज़ादी की 50वीं सालगिरह के मौक़े पर आयोजित समारोह में हिस्सा लेने के लिए बुधवार सुबह ढाका रवाना हो गए। राष्ट्रपति भवन से मिली जानकारी के अनुसार रामनाथ कोविंद बुधवार सुबह तीन दिन की यात्रा पर बंगलादेश के लिए रवाना हो गए। कोविड महामारी के बाद राष्ट्रपति पहली बार किसी देश की यात्रा पर गए हैं।
इस दौरान वह वार मेमोरियल में 1971 के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। वह बंगबंधु मेमोरियल भी जाएंगे। वह बंगलादेश के राष्ट्रपति अब्दुल हामिद के साथ प्रतिनिधि मंडल स्तर की बैठक में शामिल होंगे। अगले दिन वह विजय दिवस परेड के मुख्य अतिथि होंगे। राष्ट्रपति ढाका में मुक्ति योद्धाओं और भारत के पूर्व सैन्य अफ़सरों से मुलाक़ात करेंगे। भारत और बंगलादेश वर्ष 2021 को मुजीब वर्ष के रूप में भी मना रहे हैं। इसी साल मार्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बंगलादेश गए थे।
महाराष्ट्र सरकार की याचिका को खारिज किया: एससी
अकांशु उपाध्याय नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को महाराष्ट्र सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया। जिसमें केंद्र और अन्य अधिकारियों को राज्य को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के एसईसीसी 2011 के कच्चे जातिगत आंकड़े उपलब्ध कराने का निर्देश देने का आग्रह किया गया था। न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार की पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार के हलफनामे में कहा गया है कि एसईसीसी 2011 के आंकड़े ”सटीक नहीं” है और ”अनुपयोगी” हैं।
केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि एसईसीसी 2011 के आंकड़े ‘बिल्कुल विश्वसनीय नहीं’ हैं क्योंकि इसमें कई खामियां पाई गई हैं। महाराष्ट्र की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफड़े ने पीठ से कहा कि केंद्र उच्चतम न्यायालय के समक्ष यह दावा नहीं कर सकता कि आंकड़े त्रुटियों से भरे है क्योंकि सरकार ने एक संसदीय समिति को बताया था कि आंकड़े 98.87 प्रतिशत त्रुटि रहित है।
पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि राज्य कानून के तहत उपलब्ध अन्य उपायों को अपनाने के लिए स्वतंत्र है। केंद्र ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय को बताया था कि सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (एसईसीसी), 2011 ओबीसी पर डेटा “नहीं” है तथा इसे सार्वजनिक नहीं किया गया। क्योंकि इसे “त्रुटिपूर्ण” पाया गया था। सरकार ने कहा था कि वह ओबीसी के लिए आरक्षण का “पूरी तरह से समर्थन” करती है, लेकिन यह कवायद संविधान पीठ के फैसले के अनुरूप होनी चाहिए, जिसमें राज्य के भीतर स्थानीय निकायों के संबंध में पिछड़ेपन की प्रकृति और जटिलताओं की समसामयिक कठोर अनुभवजन्य जांच करने के लिए एक समर्पित आयोग की स्थापना सहित तीन शर्तों की बात कही गई थी।
मेहता ने कहा था कि न केवल आरक्षण के लिए बल्कि रोजगार, शिक्षा और अन्य के लिए भी एसईसीसी 2011 पर कोई भरोसा नहीं किया जा सकता है। केंद्र द्वारा इस साल सितंबर में दायर किए गए हलफनामे का हवाला देते हुए मेहता ने पीठ से कहा था, “मैंने इसे आपके समक्ष बहुत स्पष्ट रूप से रखा है।” केंद्र ने यह भी कहा था कि एसईसीसी 2011 सर्वेक्षण ‘ओबीसी सर्वेक्षण’ पर नहीं था जैसा कि आरोप लगाया गया था, बल्कि उनके बयान के अनुसार देश के सभी परिवारों की जाति की स्थिति को गिनने के लिए एक व्यापक कवायद थी। इस साल मार्च में, शीर्ष अदालत की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि महाराष्ट्र में संबंधित स्थानीय निकायों में ओबीसी के पक्ष में आरक्षण अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी के लिए आरक्षित कुल सीट के कुल 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता है।
वरिष्ठ सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम किया
अकांशु उपाध्याय नई दिल्ली। ट्विटर इंडिया के पूर्व प्रमुख मनीष माहेश्वरी ने एक शिक्षा प्रौद्योगिकी (एड-टेक) कंपनी के साथ काम करने के लिए कंपनी छोड़ दी है। उन्होंने बुधवार को ट्वीट कर यह जानकारी दी। सोशल मीडिया मंच ट्विटर ने इससे पहले अगस्त में माहेश्वरी को अमेरिका स्थानांतरित कर दिया था।उन्होंने ट्वीट कर कहा, ”करीब तीन साल तक काम करने के बाद मैं खुद को शिक्षा और शिक्षण की खातिर समर्पित करने के लिए भारी मन से ट्विटर छोड़ रहा हूं। साथ ही मैं उस प्रभाव को लेकर उत्साहित हूं जो शिक्षा के माध्यम से विश्व स्तर पर बनाया जा सकता है।” माहेश्वरी ने कहा कि वह तनय प्रताप के साथ साझेदारी कर रहे हैं, जिन्होंने माइक्रोसॉफ्ट के साथ एक वरिष्ठ सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम किया है।
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