काफिला कार्यक्रम के लिये रवाना हुए सीएम
हरिओम उपाध्याय
कानपुर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज कानपुर मेट्रो के ट्रायल रन को हरी झंडी दिखाएंगे और मेट्रो में सफर कर सुविधाओं का निरीक्षण भी करेंगे। आसमान में छायी धुंध के चलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विमान अपने पूर्व निर्धारित समय से करीब आधा घंटा देरी से चकेरी हवाई अड्डे उतरा। हवाई अड्डे से मुख्यमंत्री योगी का काफिला कार्यक्रम स्थल के लिये रवाना हो गया।
मुख्यमंत्री मेट्रो कोच में उपलब्ध सुविधाओं के साथ ही प्लेटफार्मों की व्यवस्थाओं का भी निरीक्षण करेंगे। कानपुर मेट्रो रेल परियोजना के निर्माण कार्य की शुरुआत 15 नवंबर 2019 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की थी। कानपुर मेट्रो रेल परियोजना दो साल से भी कम समय में बन कर तैयार हुई है जो कि एक रिकार्ड है। बुधवार को 9 किलोमीटर लंबे प्राथमिक सेक्सन पर ट्रायल रन की शुरुआत होगी।
कानपुर मेट्रो परियोजना के अंतर्गत लगभग 32.5 किमी लंबे दो मेट्रो कॉरिडोर प्रस्तावित हैं। पहला आईआईटी से नौबस्ता जो कि 23.8 किमी है। चंद्रशेखर आज़ाद कृषि विश्वविद्यालय से बर्रा तक 8.6 किमी लंबा कारीडोर है। पहले कॉरिडोर के अंतर्गत आईआईटी कानपुर से मोतीझील तक पहला सेक्शन बनकर तैयार हो गया है। इस सेक्शन में कुल 9 मेट्रो स्टेशन बने हैं।
विधानसभा चुनाव न लड़ने का ऐलान किया
हरिओम उपाध्याय
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि साढ़े चार साल तक राजमहल से ट्विटर की सियासत तक सीमित रहे अखिलेश यादव अब चुनावी मौसम में बाहर निकले हैं तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार का विकास देखकर चौंधिया कर आंख पर काली पट्टी बाँध लिये हैं। काली पट्टी हटाकर अपनी अंतरआत्मा में झांक लें तो उन्हें पता चलेगा कि योगी सरकार में जनता विकास, शांति और सौहार्द के साथ आगे बढ़ रही है।
सिद्धार्थनाथ सिंह ने बीते दिन कहा कि जनता अब दंगा, माफियाराज और गुंडागर्दी के चंगुल से मुक्त होकर उत्तर प्रदेश की तरक्की में भागीदार बन रही है और उत्तर प्रदेश हर क्षेत्र में नये-नये कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। यह सब देखकर सपा अध्यक्ष अपनी हार तय मान चुके है। यूपी विधान सभा चुनाव न लड़ने का ऐलान कर अखिलेश पहले ही यह आभास करा चुके हैं। इसलिए अब वह खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे की तर्ज़ पर अपनी कुंठा जाहिर करने लगे हैं। इसी हताशा में अब वह चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे मतदाता पुनरीक्षण अभियान के तहत फर्जी वोटरों को निकालने की प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं। ऐसे लोग चुनाव हारने पर एक बार ईवीएम को दोषी ठहराएंगे।
51वें सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे 'राष्ट्रपति'
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बृहस्पतिवार को राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों और उप राज्यपालों के 51वें सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बुधवार को बताया कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के राज्यपाल और उप राज्यपाल के अलावा, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी सम्मेलन में भाग लेंगे।
राज्यपालों, उपराज्यपालों का यह सम्मेलन एक परंपरा है, जो 1949 से चली आ रही है। पहला सम्मेलन 1949 में राष्ट्रपति भवन में आयोजित किया गया था। इसकी अध्यक्षता भारत के अंतिम गवर्नर-जनरल सी राजगोपालाचारी ने की थी। अधिकारियों ने कहा कि बृहस्पतिवार को कोविंद की अध्यक्षता में यह चौथा सम्मेलन होगा।
मलिक के खिलाफ लगाएं आरोपों का विरोध किया
कविता गर्ग
मुंबई। महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता नवाब मलिक ने नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े के पिता ध्यानदेव वानखेड़े की ओर से दायर मानहानि के मुकदमे में मलिक के खिलाफ लगाए गए आरोपों का विरोध किया है।
मलिक ने न्यायमूर्ति माधव जे जामदार की एकल अवकाशकालीन पीठ के सोमवार के निर्देश के अनुसार जवाबी हलफनामा दायर किया। मलिक ने अपने जवाब में कहा कि ध्यानदेव वानखेड़े यह साबित करने में विफल रहे हैं कि मेरा बयान कैसे मानहानिकारक, बदनाम करने वाला या अपमानजनक था।
उन्होंने आरोप लगाया कि मानहानि का मुकदमा और कुछ नहीं बल्कि उनके बेटे के अवैध कार्यों को कवर करने का प्रयास है। बॉम्बे हाईकोर्ट में ध्यानदेव वानखेड़े द्वारा दायर मुकदमे में श्री मलिक से 1.25 करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग की गयी है। राकांपा नेता ने कहा कि याचिका में दम नहीं है क्योंकि वादी अदालत की अनुमति के बिना अपने परिवार के सदस्यों की ओर से प्रतिनिधि मुकदमा दायर नहीं कर सकता है।
मलिक ने अक्टूबर में कथित तौर पर समीर वानखेड़े का एक जन्म प्रमाण पत्र साझा किया था, जिसमें उनके पिता की दाऊद वानखेड़े का नाम अंकित था। राकांपा नेता ने कहा था कि इस जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर उन्हें आरक्षण का अधिकार नहीं था। श्री समीर वानखेड़े ने तब एक बयान जारी कर स्पष्ट किया कि उनके पिता हिंदू हैं जबकि उनकी मां मुस्लिम थीं।
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