चीन की नाराजगी बढ़ने की आशंका: ताइवान
सुनील श्रीवास्तव
बीजिंग/ ताइपे। ताइवान ने लिथुआनिया की राजधानी विलनियस में गुरूवार को एक प्रतिनिधित्व कार्यालय खोला। जिससे बीजिंग की नाराजगी बढ़ने की आशंका है। स्वशासित द्वीप और लिथुआनिया, जुलाई में इस बात पर सहमत हुए थे कि विलनियस के कार्यालय को चीनी ताइपे के बजाय ताइवान के नाम से संबोधित किया जाएगा।
कई देश चीन को नाराज ना करने के लिए ताइवान को चीनी ताइपे कहते हैं। चीन, ताइवान को अपना क्षेत्र बताता है। लिथुआनिया के विदेश मंत्री गेब्रियल लैंडसबर्गिस ने बृहस्पतिवार को पत्रकारों से कहा कि हम पूरे एशियाई और हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में सभी के साथ करीबी संबंध चाहते हैं। लिथुआनिया ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में एक दूतावास खोला था, एक अन्य दक्षिण कोरिया में भी खोला जाएगा और भविष्य में ताइपे में भी प्रतिनिधि कार्यालय खोल सकता है।
लैंडसबर्गिस के अनुसार, चीन ने इस संबंध में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। इस ग्रीष्मकाल में, विलनियस में ताइवान कार्यालय खोलने की योजना तय होने के बाद चीन ने विलनियस से अपने राजदूत को वापस बुला लिया था और मांग की थी कि लिथुआनिया भी बीजिंग से अपने दूत को वापस बुला ले।
'कंट्रीज़ ऑफ़ पर्टीकुलर कंसर्न' की सूची जारी की
अखिलेश पांंडेय
वाशिंगटन डीसी। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने बुधवार को धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वाले देशों के लिए 'कंट्रीज़ ऑफ़ पर्टीकुलर कंसर्न' यानी सीपीसी की सूची जारी की है।
धार्मिक आज़ादी का आकलन करने वाले एक अमेरिकी पैनल 'यूएस कमिशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ़्रीडम' के इस लिस्ट में भारत का नाम शामिल करने का सुझाव दिया था लेकिन इसके बावजूद बाइडन प्रशासन ने भारत का नाम सूची में शामिल नहीं किया।
इस सूची में पाकिस्तान, चीन, तालिबान, ईरान, रूस, सऊदी अरब, एरिट्रिया, ताज़िकिस्तान, तुर्केमेनिस्तान और बर्मा सहित 10 देशों को शामिल किया गया है।
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