3 दिसंबर को इनफिनिटी फोरम का उद्घाटन: पीएम
अकांशु उपाध्याय नई दिल्ली। प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी 3 दिसंबर, 2021 को सुबह 10 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से फिनटेक पर एक विचारशील नेतृत्व फोरम, इनफिनिटी फोरम का उद्घाटन करेंगे। यह आयोजन 3 और 4 दिसंबर, 2021 को गिफ्ट सिटी और ब्लूमबर्ग के सहयोग से भारत सरकार के तत्वावधान में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण द्वारा आयोजित किया जा रहा है। इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका और यूके पहले भागीदार देश हैं। फोरम नीति, व्यापार और प्रौद्योगिकी में दुनिया के अग्रणी देशों को एक साथ लाएगा और चर्चा करेगा कि कैसे समावेशी विकास और बड़े पैमाने पर मानवता की सेवा के लिए फिनटेक उद्योग द्वारा प्रौद्योगिकी और नवाचार का लाभ उठाया जा सकता है।
फोरम का एजेंडा ‘बियॉन्ड’ की थीम पर केंद्रित होगा; वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक स्टैक के विकास में भौगोलिक सीमाओं से परे सरकारों और व्यवसायों के साथ सीमाओं से परे फिनटेक सहित विभिन्न उप विषयों के साथ; वित्त से परे फिनटेक, सतत विकास को चलाने के लिए स्पेसटेक, ग्रीनटेक और एग्रीटेक जैसे उभरते क्षेत्रों के साथ अभिसरण करके; और फिनटेक बियॉन्ड नेक्स्ट, इस पर ध्यान देने के साथ कि क्वांटम कंप्यूटिंग भविष्य में फिनटेक उद्योग की प्रकृति को कैसे प्रभावित कर सकती है और नए अवसरों को बढ़ावा दे सकती है।
फोरम में 70 से अधिक देशों की भागीदारी होगी। फोरम में मुख्य वक्ताओं में मलेशिया के वित्त मंत्री टेंगकू श्री जफरुल अजीज, इंडोनेशिया के वित्त मंत्री सुश्री मुलयानी इंद्रावती, रचनात्मक अर्थव्यवस्था इंडोनेशिया के मंत्री श्री सैंडियागा एस ऊनो, रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष और एमडी श्री मुकेश अंबानी, अध्यक्ष और सीईओ शामिल हैं। सॉफ्टबैंक ग्रुप कॉर्प श्री मासायोशी सोन, अध्यक्ष और सीईओ, आईबीएम कॉर्पोरेशन श्री अरविंद कृष्णा, एमडी और सीईओ कोटक महिंद्रा बैंक लिमिटेड श्री उदय कोटक, अन्य। नीति आयोग, इन्वेस्ट इंडिया, फिक्की और नैसकॉम इस साल के फोरम के कुछ प्रमुख भागीदार हैं।
अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण, जिसका मुख्यालय गिफ्ट सिटी, गांधीनगर गुजरात में है, को अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण अधिनियम, 2019 के तहत स्थापित किया गया है। यह वित्तीय उत्पादों, वित्तीय सेवाओं के विकास और विनियमन के लिए एक एकीकृत प्राधिकरण के रूप में काम करता है। भारत में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र में वित्तीय संस्थान। वर्तमान में, गिफ्ट आईएफएससी भारत में पहला अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र है।
वरिष्ठ नेता चिदंबरम ने सरकार पर साधा निशाना
अकांशु उपाध्याय नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक को संसद में बिना चर्चा के पारित किए जाने को लेकर मंगलवार को सरकार पर निशाना साधा और यह कहते हुए कटाक्ष किया कि ‘चर्चा रहित’ संसदीय लोकतंत्र जिंदाबाद है।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘चर्चा से इनकार करने का कृषि मंत्री का तर्क समझ से परे है। उन्होंने कहा कि सरकार और विपक्ष सहमत होते हैं तो चर्चा की जरूरत नहीं होती है।’’ पूर्व गृह मंत्री ने कटाक्ष किया, ‘‘चर्चा रहित संसदीय लोकतंत्र जिंदाबाद। पिछले करीब एक वर्ष से विवादों में घिरे और किसानों के आंदोलन का प्रमुख कारण बने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी इस विधेयक को बिना चर्चा के, संसद के दोनों सदनों में सोमवार को पारित कर दिया गया। इस विधेयक को बिना चर्चा के पारित किया जाने का कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने भारी विरोध किया। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इन कानूनों को निरस्त करने पर औपचारिक मुहर लग जाएगी।
विपक्षी दलों का हंगामा, कार्यवाही स्थगित की
अकांशु उपाध्याय नई दिल्ली। कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण मंगलवार को लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने के करीब 10 मिनट बाद अपराह्न 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। विपक्षी सदस्य केंद्र के तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक को बिना चर्चा के पारित कराने का मुद्दा उठा रहे थे।
आज सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने पर अध्यक्ष ओम बिरला ने हाल में हुए उपचुनाव में दादरा नगर हवेली एवं दमन दीव से निर्वाचित सदस्य कलाबेन डेलकर से सदन की सदस्यता लेने का आग्रह किया। इसके बाद, अध्यक्ष ने जैसे ही प्रश्नकाल शुरू करने को कहा, वैसे ही विपक्षी सदस्य अपनी बात रखते हुए शोर-शराबा करने लगे। प्रश्नकाल में भाजपा सदस्य पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल ने देशी गौवंश से संबंधित प्रश्न पूछा और कहा कि विपक्ष किसानों से बात से नहीं करने दे रहा। वहीं, विपक्ष सदस्यों से प्रश्नकाल चलने देने की अपील करते हुए लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने कहा कि यह प्रश्नकाल है, इसमें इतने महत्वपूर्ण सवाल हैं, ऐसे में ‘‘आप प्रश्न पूछिए’’।
उन्होंने कहा कि आप यहां चर्चा करने के लिये आए हैं। चर्चा करें तथा अच्छा वातावरण बनाये रखें।’’ बिरला ने शोर-शराबा कर रहे कुछ सदस्यों से कहा, ‘‘आप सदन में आंध्र प्रदेश पुनर्गठन से जुड़ा मुद्दा उठाते हैं और अब इस पर सवाल आ रहा है, ऐसे में सवाल पूछें। इस बीच, विपक्षी सदस्यों का शोर-शराबा जारी रहा। व्यवस्था बनते नहीं देख अध्यक्ष ओम बिरला ने कार्यवाही शुरू होने के करीब 10 मिनट बाद 2 बजे तक के लिये स्थगित कर दी। गौरतलब है कि संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सोमवार को लोकसभा में विपक्षी दलों ने किसानों के मुद्दे पर शोर-शराबा किया था। सदन में हंगामे के बीच ही तीन विवादित कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी कृषि विधि निरसन विधेयक 2021 को बिना चर्चा के मंजूरी प्रदान कर दी गई थी।
3 हवाई अड्डों पर 'हेल्पडेस्क' स्थापित, आदेश
दुष्यंत टीकम रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने सोमवार को राज्य के तीन हवाई अड्डों पर ‘हेल्प डेस्क’ स्थापित करने का आदेश दिया, ताकि कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रोन के मद्देनजर विदेश से आने वाले यात्रियों की प्रभावी जांच की जा सके। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।जनसंपर्क विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलाधिकारियों को लिखे पत्र में यह भी निर्देश दिया है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा कोविड-19 के नये संस्करण से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के वास्ते जारी किये गये नए दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए।
पत्र में सूचित किया गया है कि नए दिशानिर्देशों में ‘जोखिम वाले’ देशों से भारत आने वाले यात्रियों की प्रभावी निगरानी और स्क्रीनिंग पर जोर दिया गया है। अधिकारी ने कहा, ‘‘राज्य सरकार ने संबंधित जिलाधिकारियों को विदेश से आने वाले यात्रियों की जांच के लिए रायपुर, बिलासपुर और जगदलपुर नाम के तीन हवाई अड्डों पर हेल्प डेस्क स्थापित करने का निर्देश दिया है।’
'एमएसपी' कानून बनने की प्रक्रिया, मांग की
अकांशु उपाध्याय नई दिल्ली। कृषि कानून वापस हो चुका है। लेकिन अभी भी किसान आंदोलन स्थल से वापस नहीं गए हैं। अब तक संगठनों ने यह निर्णय लिया है कि एमएसपी कानून बनने की प्रक्रिया में समय लगेगा। इसलिए सरकार को एक समय सीमा देकर वापस लौट जाना चाहिए। अब इस प्रस्ताव पर बुधवार को 40 नेताओं की बैठक होगी। यह नेता सरकार के साथ बातचीत में शामिल भी थे।
कृषि कानूनों की वापसी के बाद आंदोलन खत्म करने या घर वापस लौटने को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा की 5 मांगों हैं। किसानों के अनुसार एमएसपी कानून, आंदोलन के दौरान मृत किसानों के परिवारों को मुआवजा, मुकदमा वापसी पराली जलाने के मुद्दे और गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा की बर्खास्तगी की मांग को सरकार के सामने पेश करेंगे।
सांसदों के निलंबन को असंवैधानिक करार दिया
अकांशु उपाध्याय नई दिल्ली। कांग्रेस समेत 16 राजनीतिक दलों के नेताओं ने राज्यसभा के 12 विपक्षी सदस्यों को संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किए जाने के मुद्दे को लेकर मंगलवार को उच्च सदन के सभापति एम वेंकैया नायडू से मुलाकात की और इन सदस्यों का निलंबन रद्द करने का आग्रह किया।
इससे पहले, इन नेताओं ने राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के संसद भवन स्थित कक्ष में बैठक की और निलंबन रद्द किए जाने पर जोर दिया। विपक्षी दलों के नेताओं ने सांसदों के निलंबन को असंवैधानिक करार दिया और जोर देकर कहा कि इनका निलंबन रद्द किया जाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि विपक्षी नेताओं की बैठक में तृणमूल कांग्रेस शामिल नहीं हुई, जबकि निलंबित सांसदों में उसके भी दो सांसद शामिल हैं। पिछले कुछ दिनों में कांग्रेस की अगुवाई में हुई विपक्ष की किसी भी पहल से तृणमूल कांग्रेस दूरी बनाती नजर आई है।
आज की बैठक में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, मुख्य सचेतक के. सुरेश, राज्यसभा में कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा और मुख्य सचेतक जयराम रमेश शामिल हुए। बैठक में द्रमुक के टीआर बालू, शिवसेना के विनायक राउत एवं प्रियंका चतुर्वेदी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, आम आदमी पार्टी, माकपा, भाकपा और कई अन्य दलों के नेता भी शामिल हुए।
कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने लोकसभा और राज्यसभा, दोनों सदनों में भी इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की और सदन से वाकआउट किया। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि इस सरकार ने जो रास्ता अपनाया है, उसका हमने विरोध किया है। सदन का सदस्य होने के नाते यह जरूरी है कि हमें अपनी बात रखने का मौका मिले। लेकिन सरकार निलंबन के जरिये विपक्ष को डराना चाहती है, जुबान बंद करना चाहती है।’
उन्होंने कहा कि राज्यसभा में जो हुआ है उसका विरोध करते हुए हमने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में सदन से वाकआउट किया। यह मामला राज्यसभा का है, लेकिन दूसरे सदन के सदस्यों के साथ जो हुआ है उसके विरोध में हमने यह कदम उठाया है।’’ कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने 12 सांसदों के निलंबन के मुद्दे को लेकर संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष प्रदर्शन किया और सरकार पर तानाशाहीपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप भी लगाया। संसद के सोमवार को आरंभ हुए शीतकालीन सत्र के पहले दिन कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को पिछले मॉनसून सत्र के दौरान अशोभनीय आचरण करने की वजह से, वर्तमान सत्र की शेष अवधि तक के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया।
उच्च सदन में उपसभापति हरिवंश की अनुमति से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कल इस सिलसिले में एक प्रस्ताव रखा, जिसे विपक्षी दलों के हंगामे के बीच सदन ने मंजूरी दे दी। जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलों देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं।
विधानसभा परिसर में गोली-गलौज हुईं: राजनीति
अविनाश श्रीवास्तव पटना। विधानसभा के अंदर कई बार सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों के बीच तीखी नोकझोंक आपने देखी होगी। लेकिन आज विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने के पहले बीजेपी और आरजेडी विधायक के बीच सदन के बाहर परिसर में जो कुछ हुआ वह वाकई राजनीति को शर्मसार करता है। आरजेडी और बीजेपी के विधायक के बीच विधानसभा परिसर में जमकर गाली-गलौज हुई। दरअसल, आरजेडी के विधायक भाई वीरेंद्र और बीजेपी विधायक संजय सरावगी के बीच गाली गलौज उस वक्त हो गई, जब सदन की कार्यवाही शुरू होने के पहले वह मीडिया से बातचीत कर रहे थे।
किसी बात को लेकर कहासुनी शुरू हुई और फिर जो कुछ हुआ वह आज के पहले बिहार विधानसभा परिसर में शायद ही कभी हुआ हो। आरजेडी विधायक ने तो बीजेपी विधायक को यहां तक कह डाला कि संभलकर रहो वरना यही पटक कर ठीक कर देंगे।बीजेपी विधायक संजय सरावगी भी कहां मानने वाले थे। उन्होंने आरजेडी विधायक को होश में रहने के लिए कह डाला। दोनों के बीच हाथापाई की नौबत आ चुकी थी। लेकिन वहां मौजूद मीडिया कर्मियों ने समझदारी दिखाते हुए बीच-बचाव किया। किसी तरह दोनों विधायकों को अलग किया गया। लेकिन थोड़ी देर के लिए विधानसभा परिसर में जो कुछ हुआ, उससे हर कोई सन्न रह गया।
निलंबन रद्द करने के प्रस्ताव पर विचार करेंगीं सरकार
अकांशु उपाध्याय नई दिल्ली। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मंगलवार को कहा कि संसद के शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किए गए राज्यसभा के 12 विपक्षी सदस्यों को ‘दुर्व्यवहार’ के लिए उच्च सदन के भीतर माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर ये सदस्य सभापति और सदन से माफी मांग लेते हैं तो फिर सरकार उनके (निलंबन रद्द करने के) प्रस्ताव पर संकरात्मक रूप से विचार करने के लिए तैयार है। जोशी ने ट्वीट किया, ‘‘ विपक्ष के लोग बार-बार सुषमा स्वराज और अरुण जेटली जी के एक बयान का उल्लेख करते हैं कि व्यवधान भी लोकतंत्र का हिस्सा है। लेकिन मेज पर चढ़ना और सुरक्षा में लगे लोगों को मारना, असहनीय है। इसे माफ नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने यह भी कहा, ‘‘सदन की गरिमा बनाए रखने के लिए सरकार को मजबूरी में निलंबन का यह प्रस्ताव सदन के सामने रखना पड़ा। लेकिन यदि ये 12 सांसद अभी भी अपने दुर्व्यवहार के लिए सभापति और सदन से माफी मांग लें, तो सरकार भी उनके प्रस्ताव पर खुले दिल से सकारात्मक रूप से विचार करने को तैयार है।’’ संसद के सोमवार को आरंभ हुए शीतकालीन सत्र के पहले दिन कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को पिछले मॉनसून सत्र के दौरान ‘‘अशोभनीय आचरण’’ करने की वजह से, वर्तमान सत्र की शेष अवधि तक के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया।
उच्च सदन में उपसभापति हरिवंश की अनुमति से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कल इस सिलसिले में एक प्रस्ताव रखा, जिसे विपक्षी दलों के हंगामे के बीच सदन ने मंजूरी दे दी। जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलों देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं।
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