हरिओम उपाध्याय
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था और लखीमपुर खीरी की निंदनीय घटना को देखते हुए यूपी की भाजपा सरकार को बर्खास्त किया जाए। साथ ही केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र को भी मंत्री पद से बर्खास्त किया जाए। लखीमपुर की घटना की वर्तमान सुप्रीम कोर्ट के जजों से जांच की जाए। दोषियों को फांसी की सजा दी जाए।
बहुजन मुक्ति पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी आर डी गादरे ने लखीमपुर खीरी में हुई घटना को बड़ी निंदनीय करार देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार हर तरह से नाकाम हो चुकी है। ना व्यवस्था कानून की रही न सुरक्षा की रही ना रोजगार के रही ना स्वास्थ्य विभाग की रही किसी काम की नहीं है और देश में प्रदेश में जंगलराज महसूस हो रहा है। माननीय राष्ट्रपति महोदय को तत्काल प्रभाव से उत्तर प्रदेश के हालत को मद्देनजर रखते हुए बर्खास्त कर देना चाहिए। चारों और किसान सड़कों पर बेहाल जिससे देश में काले कानून की व्यवस्था को खत्म किया जाए। किसानों ही नहीं देश में हर तबके की बहाली के लिए गौर किया जाए। देश की स्थिति हर तरह से डामाडोल हो चुकी है। देश में गुंडागर्दी आतंकवाद पनप रहा है। जिसमें देखने को मिलता है और उत्तर प्रदेश शासन और केंद्र शासन के सह पर हो रहे अत्याचार अधिकार चोरी सीनाजोरी गुंडागर्दी चरम सीमा पर है तो हम बहुजन मुक्ति पार्टी से ऐसे कार्यों की कड़ी शब्दों में निंदा करते हैं। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे पर हत्या का मुकदमा चलाया जाए और पिड़ीतों को 5-5- करोड़ रुपयों का मुआवजा दिया जाए। बहुजनों की सरकार आएगी तो बहुजनों को किसानों को मजदूरों को मजदूरों को न्याय मिल पाएगा। इस निरंकुश वादी फासीवादी सरकार ने देश को बेच डाला और किसान मजदूर मजलूम किसी की नहीं सुन रही है। अपनी मन मन मन मर्जी तानाशाही चला कर देश को गुलामी की ओर ले जा रही है। जिससे देश में चारों ओर हाहाकार मचा हुआ है और भुखमरी की सीमाएं लांघ ने पर तैयार हैं लोग और आत्महत्या कर रहे हैं। विभिन्न तरीके से किसानों को मारा गया यह कोई हल्के में लेने की बात नहीं है। 11 महीनों से किसान मजदूर सड़क पर चिल्ला रहे हैं। लेकिन सरकार अपनी मनमानी कर रही है। इससे साबित हो जाता है कि इन्हें वोटों की नहीं चिंता। क्योंकि ईवीएम मशीन से घोटाला करने पर विश्वास है। शायद यदि ऐसा नहीं है तो ईवीएम को हटा देना चाहिए था अब तक और बैलेट पेपर से चुनाव कराने के लिए मंजूरी दे देनी चाहिए थी। यदि दिन सरकार के मन में कोई खोट नहीं ईवीएम मशीन को तुरंत हटाने का भी निर्णय लिया जाए। जिससे देश में बैलेट पेपर से आने वाले चुनाव हो और जनता को उनका हक मिल सके नहीं तो ईवीएम जब तक रहेगी। किसान, मजदूर, मजलूम और मूल निवासियों के हक और अधिकार सब खत्म होते रहेंगे।
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