गुरुवार, 28 अक्तूबर 2021

आंदोलन की भूख 'संपादकीय'

आंदोलन की भूख    'संपादकीय'  

विद्या सीख सब, खूब की चतुराई और सोने की लंका बनाई। 
अति कारण कर में पराजय, सूर-नृप, समजन बल से कमताई।  

सत्तारूढ़ दल नीतियों का समुचित आकलन करने में लापरवाही बरतने लगता है, किए गए कार्यों और क्रियाओं का समुचित विश्लेषण करने में कोताही बरतने लगता है, तब स्वभाविक तौर पर परिणाम आंकड़ों के प्रतिकूल फलीभूत होने लगते हैं। जनता असंतुलित और अनियंत्रित होकर बिना नाद के बैल की भांति हो जाती है। सभी एक-दूसरे को विभिन्न अपेक्षाओं और आशाओं से देखने लगते हैं। स्वयमेव आंखों के भाव में विवशता का समावेश होने लगता है। समावेशी नीतियों का अनुपूरक परिणाम सामान्य जीवन शैली को प्रभावित करने लगता है। आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति की दर और सरकार की कानों को कष्ट देने वाली वाहवाही से अनायास ही विक्षोभ उत्पन्न होता है। विचारों की तरंगों में उसका अस्तित्व पनपने लगता है। उसे उखेरने की तमन्ना तो हर कोई रखता है। लेकिन सभी रंगबाज नहीं हुआ करते हैं। जरूरत और समय के अनुसार अनुसरण करने वाला ही उस आक्रोश के अंकुरण को सींचता है।  
लोकसभा चुनाव 2009 में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी की रह गुजर से जनता हलकान हो चुकी थी। लेकिन कोई अन्य विकल्प सामने नहीं दिखता था। जनता ने अनमने मन से कांग्रेस के पक्ष में ही मतदान किया और पुनः कांग्रेस एवं सहयोगी संगठनों की सरकार का गठन हो गया। परिवर्तन की कोई रेखा तब तक खींची हुई नजर नहीं आती थी। लेकिन समाज सेवक के रूप में किशन बाबूराव हजारे जिन्हें अधिकांश लोग अन्ना हजारे के नाम से जानते हैं, के द्वारा 16 अगस्त 2011 से कांग्रेस सरकार के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में धरना-प्रदर्शन और आमरण अनशन प्रारंभ कर दिया। सूचना का अधिकार और जनलोकपाल विधेयक पारित नहीं होने तक धरना-प्रदर्शन निरंतर जारी रहा। अंततः सरकार के द्वारा दोनों विधेयक पारित किए गए। परंतु जनमानस की विचार गति सरकार के एकदम विरुध हो गई थी। परिणाम स्वरूप लोकसभा चुनाव 2014 में कांग्रेसी एवं सहयोगी दलों को मुंह की खानी पड़ी और नाम मात्र के रूप में बैठे विपक्ष ने सत्ता हासिल कर ली। 
भाजपा सरकार के गठन के बाद सत्ता पक्ष के उसी रवैया की पुनरावृति का वही अध्याय प्रारंभ हो गया। विकासशील राष्ट्र को विकसित करने के उतावलेपन और किसान मजदूर की अनदेखी धीरे-धीरे बड़ी लापरवाही का रूप धारण कर चुकी है। भाजपा नेतृत्व यदि आज मजदूर की दिहाड़ी ₹1000 प्रतिदिन भी कर दें तो उसके विभित्सव अतीत से उसका पीछा छूटने वाला नहीं है। यदि अति आवश्यक वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि की जा सकती है तो मजदूरों को समतुल्य करने में क्या हर्ज है ? हालांकि, सरकार का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। धर्म और जातिवाद के मुद्दों में भूख और बेरोजगारी कोई मुद्दा ही नहीं रह पाता है। 
लेकिन धरनारत किसान और तीन कृषि कानून संसद और सरकार से जुड़ा हुआ एक जीवित मुद्दा है। किसानों की इतनी लंबी लड़ाई का कोई ना कोई मतलब जनता के जेहन में अपना घर कर चुका है। राकेश टिकैत के नेतृत्व में 11 महीने से अनरावत धरना-प्रदर्शन अपना काम कर चुका है। जनता विरोध की भावना की मूल तह लक नहीं भी पहुंच सकी हो, किंतु इतना अवश्य समझती है कि सरकार के विरुद्ध धरना-प्रदर्शन सरकार की नीति का पारितोषक हैं। यदि सरकार अब तीनों कृषि कानूनों को रद्द भी कर दे, तो भी परिणाम में परिवर्तन की संभावना कम नहीं आंकी जा सकती है। धरने में शामिल एक किसान का एक मजदूर से कैसा संबंध रहता है। यह सभी लोग आसानी से समझ सकते हैं। यह बात भी सही है कि सत्ता के दोषों का एकमात्र साधन विरोध है। विरोध करने के तरीके अलग हो सकते हैं, परंतु प्रत्येक दशा में सरकार के विरुद्ध आवाज बुलंद करना ही धरना-प्रदर्शन का मात्र एक उद्देश्य होता है। वहीं, लोकतंत्र में विरोध एक रामबाण शस्त्र है और विरोध जब आंदोलन बन जाता है तो उसकी भूख केवल सत्ता को निगलकर ही शांत होती है। 

राधेश्याम 'निर्भयपुत्र'

 कार अभी सपना, उड़ने वाली मोटरसाइकिल सच

टोक्यो। फ्लाइंग कार का सपना जल्द सच होने वाला है। लेकिन इससे पहले हमलोग फ्लाइंग मोटरसाइकिल (उड़ने वाली बाइक) के गवाह बन गए हैं। ड्रोन बनाने के लिए मशहूर जापान के एक स्टार्टअप A.L.I. Technologies ने दुनिया के पहले Hoverbike (फ्लाइंग बाइक) को पेश किया है। इस फ्लाइंग बाइक का नाम Xturismo Limited Edition (एक्सटूरिज्मो लिमिटेड एडिशन) रखा गया है। काले और लाल रंग की इस Hoverbike की बॉडी काफी हद तक मोटरसाइकिल जैसी ही है। कंपनी ने हाल ही में इस बाइक की रफ्तार का प्रदर्शन करने के लिए टोक्यो रेसट्रैक पर इसका प्रदर्शन किया था। कंपनी ने Xturismo Limited Edition होवरबाइक की बुकिंग शुरू कर दी है। कंपनी के मुताबिक वह इसकी डिलीवरी साल 2022 की पहली छमाही में शुरू कर देगी।

कितनी है कीमत-दुनिया की पहली होवरबाइक, Xturismo Limited Edition की कीमत 5.1 करोड़ रुपये तय की गई है। जाहिर तौर पर कंपनी इस कीमत पर इसे सिर्फ अमीरों और बड़ी हस्तियों को बेचने का लक्ष्य रखती है। सॉकर खिलाड़ी कीसुके होंडा द्वारा समर्थित, कंपनी ने 2017 से Xturismo लिमिटेड एडिशन के प्रोटोटाइप पर काम किया है। कंपनी का दावा है कि यह मोबिलिटी का नेक्स्ट जेनरेशन होगा, जो 3D स्पेस में कहीं भी आनेजाने की आजादी देता है।

स्टार्ट-अप का कहना है कि XTurismo लिमिटेड एडिशन न सिर्फ परिवहन का एक नया जरिया होगा, बल्कि एयर मोबिलिटी का भी प्रतीक होगा। क्योंकि यह 40 मिनट तक 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरने का वादा करता है। इसमें एक पारंपरिक इंजन और चार बैटरी से चलने वाले मोटर मिलते हैं।

XTurismo लिमिटेड एडिशन होवरबाइक में प्रोपेलर के टॉप पर एक मोटरसाइकिल जैसी बॉडी दी गई है और बंद होने पर लैंडिंग स्किड पर टिकी होती है। कंपनी ने माउंट फूजी के पास कुछ चुनिंदा सदस्यों को रेस ट्रैक पर जमीन से कुछ मीटर की ऊंचाई पर एक छोटी उड़ान का भी प्रदर्शन किया। किसी साइंस फिक्शन फिल्म के सीन की तरह एक रेसिंग ट्रैक पर इस होवरबाइक का प्रदर्शन किया गया था।


वजन कम करने के लिए आजमाएं अजवाइन  

अजवाइन भारतीय घरों में सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले मसालों में से एक है। अजवाइन के बीज हमारे पराठों और करी में एक अद्भुत स्वाद जोड़ते हैं। क्या आप जानते हैं वजन कम करने के लिए भी अजवाइन का इस्तेमाल किया जा सकता है? जी हां वजन कम करने के लिए आप अजवाइन का सेवन कर सकते हैं।

इसके कई और स्वास्थ्य लाभ भी हैं। अजवाइन में थाइमोल नामक एक आवश्यक तेल होता है जिसमें सूजन-रोधी गुण होते हैं। ये आवश्यक तेल गैस्ट्रिक रस के स्राव में मदद करता है जो पाचन तंत्र में सुधार करता है। अजवाइन शरीर की मेटाबॉलिज्म दर में सुधार करने में भी मदद करता है। तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आप किस तरहं अजवाइन का पानी बनाकर पी सकते हैं।

ऐसे बनाएं अजवाइन का पानी

1. सबसे पहले आपको बता दें कि घर पर अजवाइन का पानी बनाना बहुत ही आसान है। अजवाइन का पानी बनाने के लिए पहले तो एक गिलास पानी उबालें।
2. अब एक तवे पर तोड़ी सी अजवाइन भून लें।
3. जब अजवाइन भून जाए तब इसको पानी में डाल दें और उबलने रख दें।
4. अब जैसे ही इसका रंग बदल जाए, आंच बंद कर दें, छान लें और इसे पी लें।


खोजः 24 घंटे के भीतर मशरूम का उत्पादन

पंकज कपूर   

ऊना। मशरूम के उत्पादन के लिए अभी तक अपनाई जा रही परंपरागत विधि को अलविदा कहने का समय आ गया है। ऊना जिला के अग्रणी मशरूम उत्पादक युसूफ खान ने कई दिनों की मेहनत के बाद मशरूम उत्पादन के लिए तैयार होने वाली मशरूम कंपोस्ट का एक ऐसा विकल्प ढूंढ निकाला है जो महज 24 घंटे के भीतर मशरूम उत्पादन के लिए अब तैयार रहेगा। इसके अलावा मशरूम उत्पादन के लिए परंपरागत विधि के अनुसार तकरीबन चार से पांच अनिवार्य चीजों की जरूरत पड़ती थी लेकिन अब उनकी जगह केवल मात्र एक कंटेंट गेहूं का भूसा लेने वाला है।

आज तक एक भ्रम था की मशरूम को सिर्फ मशरूम कंपोस्ट पर की उगाया जा सकता है। इसके लिए ना केवल 5 अनिवार्य चीजों की जरूरत रहती थी, बल्कि इसके साथ-साथ इस खाद को तैयार करने के लिए एक पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर और करीब 15 से 16 दिन का इंतजार भी बेहद जरूरी रहता था। लेकिन अब जिला ऊना के अग्रणी मशरूम उत्पादक युसूफ खान द्वारा किया गया एक प्रयोग इन तमाम चीजों को गौण साबित कर रहा है। युसूफ खान के प्राथमिक प्रयोग से यह पता चला है जो पिछले 70 सालों से एक कंपोस्ट बनाने की विधि का प्रयोग किया जा रहा है, उसकी जरूरत नहीं रहेगी। उन्होंने सिर्फ गेहूं के भूसे को हाइड्रोपोनिक न्यूट्रिएंट्स के माध्यम से 24 घंटे के भीतर भीतर मशरूम उगाने के लिए प्रयोग किया और यह पाया जो हम अतीत में करते आ रहे हैं, उसकी जरूरत ही नहीं थी। केवल मात्र गेहूं के भूसे की हाइड्रोपोनिक न्यूट्रिएंट्स के माध्यम से तैयार की गई खाद में बढ़िया मशरूम का बीज फैलाया गया। जो परिणाम सामने आए हैं आश्चर्यजनक हैं। मशरूम की खेती में इस नए प्रयोग को सिरे चढ़ाने वाले अग्रणी मशरूम उत्पादक युसूफ खान कहते हैं कि अगर आने वाले समय में कमर्शियल का ट्रायल कामयाब रहा तो यह मशरूम के इतिहास में बहुत बड़ी सफलता होगी।

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