एफटीए पर बातचीत शुरू करने का फैसला किया
येरूशलम। इजरायल ने भारत के साथ अपने रिश्तों को आगे बढ़ाते हुए अंतरराष्ट्रीय सौर गठजोड़ (आईएसए) में शामिल होने तथा भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर बातचीत पुन: शुरू करने का फैसला किया है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर और इजरायल के वैकल्पिक प्रधानमंत्री एवं विदेश मंत्री याइर लैपिड के साथ आज द्विपक्षीय बैठक में ये निर्णय लिये गये। इस बैठक में दोनों देशों के बीच लोगों के आवागमन को बहाल करने के लिए एक-दूसरे के वैक्सीन प्रमाणपत्र को मान्यता देने का भी फैसला लिया गया।
डॉ. जयशंकर ने बैठक के बाद अपने वक्तव्य में इजरायल के आईएसए में शामिल होने के फैसले पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि कोप-26 बैठक के करीब आने के मद्देनज़र हरित प्रगति हरित अर्थव्यवस्था के हमारे एजेंडा में प्रगति बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इजरायल के कारोबारी प्रतिनिधियों के साथ उनकी बैठक काफी सफल रही है और इसमें दोनों देशों के बीच नवान्वेषण, डिजीटल, हरित प्रगति एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की संभावनाओं पर चर्चा हुई।
विदेश मंत्री ने भारत इजरायल राजनयिक संबंधों के 30वें वर्ष में प्रवेश को याद करते हुए कहा कि हमारे अधिकारी भारत इजरायल एफटीए पर बातचीत शुरू करने पर सहमत हो गये हैं। नवंबर में पहली बैठक होगी और जून 2022 तक बातचीत पूरी होने की संभावना है।
डॉ. जयशंकर ने कहा कि कोविड काल में यात्रा की सुविधा बहाल करने के लिए हम दोनों देश काम कर रहे थे। इस बारे में सैद्धांतिक रूप से हमने एक दूसरे के वैक्सीन प्रमाणन की प्रक्रिया को परस्पर मान्यता देने पर सहमति जतायी है। अभी अंतरिम व्यवस्था में इजरायल कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को इजरायल आने की अनुमति देगा।
विदेश मंत्री इजरायल की पांच दिन की यात्रा पर रविवार को यहां पहुंचे हैं। आज उन्होंने याद वाशेम मेमोरियल में हॉलोकास्ट के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और 1960 में भूदान आंदोलन में शरीक हुए सर्वोदय कार्यकर्ताओं की याद में एक शिलापट्ट का विमोचन किया।
विशेष दूत खलीलजाद ने पद से 'इस्तीफा' दिया
वाशिंगटन डीसी। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने बताया कि अफगानिस्तान के लिए अमेरिका के विशेष दूत जलमय खलीलजाद ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है और अब उनकी जगह राजनयिक थॉमस वेस्ट लेंगे। अमेरिका और तालिबान के बीच शांति वार्ता में खलीलजाद की अहम भूमिका रही है। ब्लिंकन ने कहा कि जलमय खलीलजाद ने अफगानिस्तान के लिए विशेष दूत के पद से इस्तीफा दे दिया है। मैं दशकों तक अमेरिकी लोगों की सेवा करने के लिए उनका आभार व्यक्त करता हूं। उन्होंने बताया कि थॉमस वेस्ट अब अफगानिस्तान के लिए अमेरिका के विशेष दूत होंगे। वेस्ट पहले, उप राष्ट्रपति की राष्ट्रीय सुरक्षा टीम और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का हिस्सा रह चुके हैं। अब वह, राजनयिक प्रयासों का नेतृत्व करेंगे, दक्षिण एवं मध्य एशियाई मामलों के ब्यूरो के सचिव तथा सहायक सचिव को सलाह देंगे औरअमेरिका के साथ निकटता से समन्वय करेंगे।
‘पोलिटिको’ के अनुसार, खलीलजाद ने अपने इस्तीफे में लिखा कि अफगानिस्तान सरकार और तालिबान के बीच राजनीतिक व्यवस्था उस प्रकार से नहीं बनी जैसे कि सोचा गया था। इसके कारण बहुत जटिल हैं और मैं आने वाले दिनों या हफ्तों में इस पर अपने विचार साझा करूंगा। उन्होंने कहा कि इससे आगे अब मैं न सिर्फ इसपर चर्चा करूंगा की क्या हुआ बल्कि आगे क्या किया जाना चाहिए।
कई सेलेब्स की शाहरुख को मुश्किल में सपोर्ट
इस्लामाबाद। बॉलीवुुुड सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को अब तक जमानत नहीं मिल पाई है। चार अक्टूबर से आर्यन खान नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की हिरासत में हैं। आर्यन खान की बेल का एनसीबी ने पुरजोर विरोध किया था। एनसीबी ने अपनी तरफ से मजबूत दलीलें पेश कीं। ड्रग्स चैट, इंटरनेशनल ड्रग पेडलर संग कनेक्शन और ड्रग ट्रैफिकिंग जैसे कई गंभीर आरोप आर्यन खान पर लगाए गए। वहीं, आर्यन के वकील ने अदालत में दलील दी कि उनके पास से कोई ड्रग्स नहीं मिला है और आर्यन इस मामले में अपनी तरफ से सहयोग करते रहेंगे। ऐसे में उनसे जमानत का अधिकार नहीं छीना जा सकता है। अब इस मामले में 20 अक्टूबर को सुनवाई होगी। इस बीच पाकिस्तानी मीडिया में भी आर्यन खान के केस को लेकर काफी चर्चा है।
पाकिस्तान के प्रमुख अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने एक लेख छापा है जिसका शीर्षक है। आर्यन खान की गिरफ्तारी भारत के सबसे बड़े मुस्लिम हीरो को निशाना बनाने की कोशिश है। इस आर्टिकल में लिखा है, शाहरुख खान ना केवल एक सफल बॉलीवुड स्टार हैं।बल्कि अपने चार्म, एटीट्यूड और हेल्पिंग नेचर के चलते इंडस्ट्री के सबसे मददगार लोगों में भी शुमार किया जाता है। यही कारण है कि ऋतिक रोशन, सुनील शेट्टी, अली फजल, सलमान खान, पूजा भट्ट, फराह अली, संजय गुप्ता, स्वरा भास्कर, जोया अख्तर, रवीना टंडन, सोमी अली जैसे कई सेलेब्स ने शाहरुख को इस मुश्किल घड़ी में सपोर्ट किया।
इस आर्टिकल में आर्यन खान के सपोर्ट में खड़े तमाम बॉलीवुड स्टार के बयान का जिक्र किया गया है। ट्रिब्यून ने लिखा, यहां तक कि स्वरा भास्कर ने लिखा कि आर्यन भले ही एक स्टार का बेटा है, पर इसका मतलब ये नहीं कि उसकी लाइफ में तांक-झांक करने का सबको हक है। उसे ना तो जनता ने चुना है और ना ही उस पर पब्लिक का रोलमॉडल बनने की जिम्मेदारी है। अगर उसने ड्रग्स किया भी है तो इससे उसकी हेल्थ, उसके पिता का पैसा और रेपोटेशन दांव पर है और एनसीबी के अलावा किसी को भी इस मसले को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है। आप उसकी फिल्में बॉयकॉट करना चाहो तो कर सकते हो लेकिन प्लीज आर्यन ड्रग्स केस को नेशनल मुद्दा बताकर जरूरी मुद्दों से भटकाने की जरूरत नहीं है।
इस आर्टिकल में ये भी कहा गया कि एक लोकप्रिय मुस्लिम एक्टर के बेटे होने के चलते भी आर्यन के केस को ज्यादा तूल दिया जा रहा है। पूर्व एक्टर शत्रुघ्न सिन्हा कहते हैं कि इसमें कोई दो राय नहीं कि शाहरुख का बेटा होने के चलते आर्यन को टारगेट किया जा रहा है। इस केस में अरबाज और मुनमुन नाम के लोगों को भी पकड़ा गया है लेकिन हर तरफ सिर्फ आर्यन का ही नाम है। शाहरुख के बेटे के बहाने बीजेपी अपना पुराना स्कोर सेटल करना चाहती है।
आर्टिकल के मुताबिक, 'आर्यन का केस एक बार फिर साफ करता है कि भारत में मुस्लिमों के साथ भेदभाव में काफी वृद्धि देखने को मिली है। कई पार्टियों के कई नेताओं मसलन उदित राज, महबूबा मुफ्ती और नवाब मलिक के बयानों ने भी साफ किया कि चूंकि आर्यन एक मुस्लिम सुपरस्टार का बेटा है, इसलिए उसकी हरकत को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है वहीं लखीमपुर खीरी केस में बीजेपी के नेता के बेटे द्वारा कथित रूप से किसानों पर गाड़ियां चढ़ा देने वाले मामले को सरकार खास तवज्जो नहीं दे रही है।
इस एडिटोरियल में लिखा है, "बॉलीवुड के खान भले ही भारत की एंटरटेन्मेन्ट इंडस्ट्री के सबसे बड़ सुपरस्टार्स हों लेकिन इस शोहरत के साथ ही उन्हें कई प्रकार की मुसीबतों को भी झेलना पड़ा है। पिछले साल सैफ अली खान की वेबसीरीज तांडव को काफी विवाद झेलना पड़ा था। सैफ की इस वेबसीरीज पर आरोप था कि इससे हिंदू लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। सोशल मीडिया पर 'कैंसल कल्चर' का प्रभाव इतना ज्यादा बढ़ चुका है कि तांडव को भी बॉयकॉट करने की मांग उठी थी। इसके अलावा पिछले साल जब आमिर खान अपनी फिल्म की शूटिंग के सिलसिले में तुर्की गए थे और तुर्की के राष्ट्रपति की पत्नी से मिले थे, तब भी भारत में सोशल मीडिया पर राइट विंग ग्रुप्स ने आमिर की जमकर आलोचना की थी। आर्यन का केस इस मामले में उदाहरण है कि भारत में अगर मुस्लिम हस्तियां सत्तारुढ़ बीजेपी पार्टी के साथ सहयोग नहीं करती हैं तो उन्हें बड़ी परेशानी झेलनी पड़ सकती है।
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