इससे पहले भी प्रियंका गांधी ने पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा किया था। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने एनपीके (उर्वरक) की कीमत में 275 रुपये और एनपी (उर्वरक) की कीमत में 20 रुपये की बढ़ोतरी की है। उन्होंने ट्वीट किया था, ‘‘दैनिक बढ़ोतरी के साथ सरकार ने डीजल की कीमतों को 100 रुपये के पार कर दिया है। भाजपा शासन के तहत, कार्यकर्ता और किसान बढ़ती कीमतों के बोझ से दबे हैं, जबकि केवल मोदी के दोस्त ही अमीर हो रहे हैं।
वहीं रविवार को राहुल गांधी ने भी महंगाई को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश की थी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर लिखा था‘‘सभी के लिए विनाश’’ और ‘‘बढ़ती कीमतों’’ का विकास है। राहुल गांधी ने ट्विटर पर रिपोर्ट को टैग किया, जिसमें दावा किया गया है कि अगर सरकार ने करों में वृद्धि नहीं की होती तो पेट्रोल 66 रुपये प्रति लीटर होता और डीजल 55 रुपये प्रति लीटर होता। गांधी ने आरोप लगाया कि सरकार ‘‘कर उगाही’’ में लिप्त है। गांधी ने ‘टैक्स एक्सटॉर्शन’ हैशटैग का इस्तेमाल करते हुए हिंदी में ट्वीट किया, ‘‘सबका विनाश, महंगाई का विकास।’’
81 गांवो के किसानों का धरना, प्रशासन हलकान
सुरेंद्र भाटी गौतम बुध नगर। नोएडा में किसानों आज नोएडा-ग्रेनो एक्सप्रेस-वे (परी चौक से नोएडा की ओर आने वाले रास्ते) पर ट्रैक्टर खड़े कर जाम कर दिया। नोएडा में 81 गांवों के किसान पिछले 50 दिनों से हरौला गाँव के बारात घर में धरने पर बैठे हैं। किसान सरकार से बेहतर मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
किसान आज पहले नोएडा में महामाया फ्लाई ओवर पर एकत्र हुए और उसके बाद नोएडा-ग्रेनो एक्सप्रेसवे पर ट्रैक्टरों में सवार होकर चलने लगे। बहुत से किसान पैदल भी चल रहे थे। रास्ते में पुलिस के आला अधिकारियों ने किसानों को समझाने की कोशिश की किन्तु, वे नहीं माने। इसके बाद किसान नोएडा प्राधिकरण की सीईओ ऋतु माहेश्वरी के घर के बाहर धरने पर बैठ गए। किसानों के आंदोलन को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने बैरिकेड लगा कर नोएडा बार्डर को बंद कर दिया था। पुलिस की इस हरकत से नोएडा से दिल्ली आने वाले लोगों को बहुत परेशानी हुई और कुछ ही देर में लंबा जाम लग गया। इसके बाद यूपी पुलिस ने वाहनों को डीएनडी फ्लाईओवर की ओर डाइवर्ट कर दिया। किसानों का कहना है कि प्राधिकरण में बैठे अधिकारी खुद को कॉरपोरेट कंपनी का अधिकारी मानते हैं तथा उन्हें यह मालूम होना चाहिए कि किसानों की जमीन पर ही उनका दफ्तर बना है। किसानों का कहना है कि जब तक उनकी सारी मांगें पूरी नहीं होंगी तब तक यह प्रदर्शन जारी रहेगा।
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