हरिओम उपाध्याय
लखनऊ। लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन कर दिया गया है। हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज प्रदीप कुमार श्रीवास्तव इसकी जांच करेंगे। एक सदस्यीय यह जांच आयोग दो महीने में अपनी रिपोर्ट देगा। आयोग का मुख्यालय लखीमपुर खीरी में ही होगा।
उत्तर प्रदेश के गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी की तरफ से न्यायिक आयोग के गठन किए जाने की अधिसूचना भी जारी की गई है। इसमें कहा गया है कि 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में हुई घटना में 8 लोगों की मौत मामले की संपूर्ण तथ्यों की जांच कराया जाना आवश्यक है। ऐसे में अब राज्यपाल की अनुमति के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त जज प्रदीप कुमार श्रीवास्तव को एकल सदस्यीय जांच आयोग में नामित किया गया है। इस जांच आयोग का मुख्यालय लखीमपुर खीरी में होगा। जांच आयोग को 2 महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट देने की बात कही गई है। अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि जांच अवधि और रिपोर्ट सम्मिलित करने की अवधि में किसी प्रकार का कोई परिवर्तन शासन की ओर से किया जाएगा।
पूरी घटना के पीछे किसान केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी और उनके बेटे आशीष मिश्रा का हाथ मानते हैं। वह केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी और उनके बेटे अाशीष मिश्रा की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। किसान नेता राकेश टिकैत ने भी कहा है कि हमारा समझौता केंद्रीय गृह राज्यमंत्री की बर्खास्तगी और पिता-पुत्र की गिरफ्तारी पर हुआ है न कि किसानों को मिले मुआवजे पर। यदि कोई मंत्री यह समझ रहा है कि समझौता मुआवजे पर हुआ है तो वह अपनी जुबान को लगाम देकर इस तरह की बयानबाजी कदापि न करें। अपना अकाउंट नंबर दे दें, जो पैसा किसानों को दिया गया उतना पैसा ट्रांसफर करा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हालात देखते हुए सरकार ने सात दिन का समय मांगा है। निश्चित समय में गिरफ्तारी और बर्खास्तगी न होने पर पगड़ी रस्म के दिन देशव्यापी आंदोलन का निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन स्थगित नहीं हुआ है। जब तक तीनों बिल और एमएसपी की गारंटी नहीं ली जाती तब तक निरंतर जारी रहेगा।
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