5 नवंबर को रिलीज होगीं फिल्म 'सूर्यवंशी'
कविता गर्ग
मुंबई। अक्षय कुमार, रणवीर सिंह और कटरीना कैफ स्टार फिल्म सूर्यवंशी 5 नवंबर को रिलीज होने वाली है। मूवी का गाना 'आइला रे आइला' हाल ही में रिलीज हुआ है। अब अक्षय कुमार ने इस पर मजेदार बिहाइंड दा सीन वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो में वह रणवीर के साथ 'बाला' स्टेप कर रहे हैं। रणवीर खुद को गलत जगह मार लेते हैं। इस पर अक्षय ने पोस्ट के साथ स्टेप गलत करने पर वॉर्निंग भी लिखी है।
अक्षय ने वीडियो शेयर किया है। इसमें वह और रणवीर पुलिस की यूनिफॉर्म में हैं। रणवीर अक्षय के हाथ पकड़कर डांस के लिए खींचते दिख रहे हैं। इसके बाद अक्षय 'बाला' स्टेप करते हैं और रणवीर उनको फॉलो करते हैं। वीडियो के लास्ट में रणवीर के एक्सप्रेशंस से ऐसा लगता है कि उन्होंने खुद को हर्ट कर लिया। अक्षय ने वीडियो के साथ लिखा है, यह रणवीर सिंह और मेरा आइला रे आइला स्टेप है। अपना भी क्रेजी डांस कीजिए और मुझे दिखाइए। वॉर्निंग यह स्टेप गलत करना फ्यूचर प्लानिंग के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
परिणीती ने अपना 33वां जन्मदिन सेलिब्रेट किया
कविता गर्ग
मुंबई। बॉलीवुड की चुलबुली अभिनेत्री परिणीति चोपड़ा आज शुक्रवार को अपना 33वां जन्मदिन सेलिब्रेट कर रही हैं। फिल्म 'लेडीज वर्सेज रिकी बहल' से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत करने वाली परिणीति चोपड़ा अब फिल्म इंडस्ट्री की पसंदीदा अभिनेत्रियों में शुमार हैं।2011 में डेब्यू कर बॉलीवुड पर छाने वाली परिणीति को इंडस्ट्री में दो दशक हो गए हैं। इस दौरान उन्होंने एक से एक फिल्में हिंदी सिनेमा को दीं। जिनमें 'इश्कबाज', 'संदीप और पिंकी फरार', 'द गर्ल ऑन द ट्रेन', 'साइना' और 'गोलमाल अगेन' जैसी कई शानदार फिल्में शामिल हैं।
इन दो दशकों में अपनी फिल्मों के जरिए परिणीति ने लोकप्रियता तो हासिल की ही है। लेकिन साथ ही उनके बैंक बैलेंस भी उछाल आया है। आज परिणीति के जन्मदिन के मौके पर जानते हैं कि एक्ट्रेस की नेट वर्थ कितनी है। ऑनलाइन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, परिणीति चोपड़ा की कुल संपत्ति 60 करोड़ रुपये है।परिणीति की कमाई का जरिया उनकी फिल्में, उनकी सिंगिंग और उन्हें मिलने वाले ब्रैंड एंडोर्समेंट्स हैं।
परिणीति का मुंबई में एक सी-फेसिंग अपार्टमेंट है, जिसकी कीमत लगभग 22 करोड़ रुपये बताई जाती है।परिणीति के पास कई लग्जरी गाड़ियां भी हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, उनके पास ऑडी ए6, जगुआर का न्यू मॉडल है। इसके अलावा उनके पास एक ऑडी और है। बताया जाता है कि परिणीति साल में एक फिल्म ही साइन करती हैं और उसके लिए वह तकरीबन पांच करोड़ रुपये चार्ज करती हैं।
17 अक्टूबर को रिलीज़ हुई थीं नागर की फिल्म
कविता गर्ग
नई दिल्ली। 17 अक्टूबर को रिलीज़ हुई थी निर्देशक अरुण नागर की फिल्म "गुर्जर आन्दोलन"। जिसमे कई बाधाऐ आई, अनेक मुसीबतों का सामना किया।
गुर्जर समाज मे एक अलग नाम करने वाले फिल्मी जगत मे एक सितारे की तरह चमकने वाले फिल्म डायरेक्टर अरुण नागर ने बताया कि ये बात उन दिनों की है। जब नागर पुणे, महाराष्ट्र में एक सीरियल की शूटिंग कर रहे थे। तब ठंडी का वक्त था और राजस्थान में वीर गुर्जरों ने एक बार फिर पटरियां रोक दी थी। तब इन्होंने इसके बारे में पढ़ा और फिर गहराई से सोचा कि कितनी यातनाएं सही है मेरे समाज ने। उसी दिन ठान लिया था कि मैं अपनी फिल्म इसी मुद्दे पर बनाऊंगा। जिसमे हमारा समाज पिछले 50 सालों से अपने हक़ की लड़ाई लड़ रहा था।
अरुण नागर ने खुद ही इस फिल्म की कहानी लिखना शुरू की और मुंबई में प्रोड्यूसर्स को ये कहानी सुनानी शुरू कर दी। कुछ प्रोड्यूसर्स को ये कहानी पसंद भी आई, लेकिन बात अटक गई फिल्म के टाइटल (नाम) पर, उनका मानना था कि इस फिल्म का नाम सिर्फ आंदोलन होना चाहिए। लेकिन वो जिद पर अड़े था कि ये फिल्म बनेगी तो गुर्जर नाम से ही बनेगी। मतलब फिल्म का नाम होगा गुर्जर आंदोलन, बिलकुल वैसा ही जैसे आजकल मिहिरभोज बाबा के नाम के आगे से कुछ लोग गुर्जर शब्द को हटाने का प्रयास कर रहे है। खैर बात नही बनी और प्रोड्यूसर्स ने मेरी फिल्म में पैसे लगाने से हाथ पीछे खींच लिए, उनका मानना था कि गुर्जर शब्द के लगने से ये सिर्फ जातिवाद पर आधारित फिल्म बन जायेगी। लेकिन उन्होने कुछ उदाहरण दिए.
खैर बात नही बनी और अंत में उनके सामने दो रास्ते बचे थे, एक या तो इस प्रोजेक्ट को बनाने का ख्याल छोड़ दे, या फिर अपने दम पर इस प्रोजेक्ट को बनाए। पहला वाला ऑप्शन ज्यादा आसान था लेकिन उन्होने मुश्किल वाले ऑप्शन को चुना और खुद ही इस महान फिल्म को बनाने का निश्चय लिया।
ये काम सुनने में आसान लग रहा था। लेकिन इसे करने में लाख मुसीबतें आई, अपने और परायों का बोध हुआ। नागर ने बताया की जिन लोगों, महासभा, समाज के धन्ना सेठ और गुर्जर नेताओं से मैने मदद की उम्मीदें लगाकर ये बीड़ा उठाया था। उन्होंने उन्हे सिर्फ झूठे दिलासे ही दिए, लेकिन जिन लोगो से बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी, उन्होंने उनकी बहुत मदद की और वो लोग थे समाज का निम्न, मध्यम वर्ग, जिनके पास उनको देने के लिए ढेर सारा आशीर्वाद था, सहयोग था, लाड था, प्यार था, जिसकी उन्हे उस वक्त सबसे ज्यादा जरूरत थी।
नागर ने कहा की इस फिल्म को बनाने की लड़ाई बहुत लंबी थी और लगभग 2 से 3 साल की कड़ी मेहनत के बाद यह फिल्म कंप्लीट हो सकी।
लेकिन मुसीबतें खत्म नहीं हुई थी बल्कि शुरू हुई थी । रिलीज से पहले ही इस फिल्म पर उस वक्त की राजस्थान सरकार ने बैन लगा दिया, सिनेमा से इसके पोस्टर हटा दिए गए, सिनेमा मालिकों को सख्त हिदायत दी गई कि इस फिल्म को रिलीज नही किया जाए।
लेकिन मन में एक सवाल था कि क्या हमारे समाज के लोग इस फिल्म को वाकई देखना चाहते है, फिर उन्होने फरीदाबाद में फिर से इसे रिलीज किया। समाज ने इस फिल्म को हाउसफुल करार दे दिया, लोगों ने खूब दिल से 7 दिनों तक फरीदाबाद में मल्टीप्लेक्स सिनेमा में अपार भीड़ के साथ इस फिल्म को देखा।
उनकी जो उम्मीदें टूट चुकी थी, उन्हे लोगो ने फिर से रोशन कर दिया। इससे उत्साहित होकर फिर उन्होने इसे यूट्यूब पर रिलीज किया। वहां भी कई बार स्ट्राइक मारकर इस फिल्म को डिलीट कराने के प्रयास हुए, लगभग 6 बार यह फिल्म यूट्यूब से डिलीट हुई। लेकिन हर बार लोगो ने इस फिल्म को बढ़ चढ़कर देखा।
आज 7 साल बाद भी लोग उन्हे इसी गुर्जर आंदोलन फिल्म के नाम से ही जानते है।
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