बृजेश केसरवानी
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुंडा एक्ट की कार्यवाही करने में अफसरों द्वारा मनमानी किए जाने पर गहरी नाराजगी दिखाई है। वैवाहिक विवाद के मामले में दर्ज मुकदमे में आरोपी को गुंडा एक्ट के अंतर्गत नोटिस भेजे जाने पर नाराजगी जताते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि बिना किसी आधार के गुंडा एक्ट के अंतर्गत कार्यवाही किए जाने का नोटिस जारी करना प्रथम दृष्टया अधिकारियों का शरारत भरा कदम है। ऐसी कार्यवाही की पुनरावृति रोकने के लिए हाईकोर्ट की ओर से प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया गया है।
बुधवार को सोनभद्र के शिव प्रसाद गुप्ता की याचिका पर न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए कहा है कि नोटिस में कोई भी ऐसा तथ्य नहीं है। जिससे गुंडा एक्ट की धारा 2 बी के अंतर्गत याची के खिलाफ कोई मामला बनता हो। स्थिति को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि संबंधित की ओर से नोटिस बिना क्षेत्राधिकार के ही जारी कर दिया गया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि अब अधिकारी वैवाहिक विवाद में भी गुंडा एक्ट के अंतर्गत नोटिस जारी करने लगे हैं। प्रथम दृष्टया यह अधिकारियों का शरारती भरा कदम है। इसी प्रकार के एक अन्य मामले में भी जब कोर्ट की ओर से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया तो अधिकारियों की ओर से वह केस वापस ले लिया गया। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इस मामले में उठाए गए कदमों की जानकारी देने के साथ हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई आगामी 9 सितंबर को होगी।
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