अविनाश श्रीवास्तव
पटना। बिहार में लगातार वायरल फीवर के केस बढ़ रहें है। दिक्कत इस बात की है कि इसमें सबसे ज्यादा बच्चे बीमार हो रहे हैं। बिहार और पड़ोसी राज्य यूपी में अस्पतालों में जगह नहीं है। बिहार के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार भागलपुर,मुजफ्फरनगर, वैशाली, गोपालगंज, सीवान, छपरा सहित कई जिलों में इलाज के लिए मेडिकल टीमें चौकस हैं।
पटना के एनएमसीएच में बड़ी संख्या में बच्चे भर्ती हो रहे हैं। ज्यादातर बच्चे वायरल फ्लू और निमोनिया से पीड़ित हैं। शिशु रोग विभाग में 75 बच्चे भर्ती हैं जिनमें से 23 बच्चे निमोनिया से पीड़ित हैं। बताया जा रहा है कि अस्पताल में दवा की घोर किल्लत है। हालांकि अधीक्षक दवा कि किल्लत को सिरे से खारिज कर रहे हैं।
मुजफ्फरपुर के केजरीवाल अस्पताल में ब्रोकोलाइटिस्ट वायरल से पहली मौत हुई है। अस्पताल के केयर टेकर ने इसकी पुष्टि की है। दो साल का सुदर्शन सीतामढ़ी का रहने वाला था। उसे 12 सितंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने बताया कि बीते पांच सितंबर से अब तक केजरीवाल अस्पताल में वायरल फीवर और ब्रोकोलाइटिस्ट से पीड़ित 247 बच्चे भर्ती हुए हैं। जिसमें से 170 बच्चे ठीक होकर घर जा चुके हैं। वहीं 64 बच्चे अभी भी भर्ती हैं।
गोपालगंज जिले में वायरल फीवर और एईएस के मरीज मिले हैं। बताया जा रहा है कि जिले में एईएस से एक बच्ची की मौत हुई है। संक्रमण के बढ़ते दायरे को देखते हुए गोपालगंज सदर अस्पताल में बच्चों के इलाज के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। पीके वार्ड में दस बेड लगाए गए हैं। डीएम ने लोगों से अपील की है कि बीमार पड़ने पर बच्चों का विशेषज्ञ डॉक्टर से इलाज कराएं।
पश्चिम चंपारण के सबसे बड़े अस्पताल जीएमसीएच की व्यवस्था में कोई सुधार होता नहीं दिख रहा हैं. यहां अस्पताल में मरीज बेड के लिए भटक रहें हैं और बेड रहने के बाद भी मरीजों को फर्श पर इलाज किया जा रहा हैं। जब इसकी शिकायत लोगों ने अस्पताल के उपाधीक्षक से की तो उन्होंने बेड मुहैया कराने का निर्देश दिया। सुपौल सदर अस्पताल में बच्चों के लिए आईसीयू यानि पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट(पीआईसीयू) बनाने की तैयारी जोङो पर है। सदर अस्पताल में पीआईसीयू का निर्माण करवाने का निर्णय कोरोना की तीसरी लहर के मद्देनजर लिया गया था।
भागलपुर के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल के इमरजेंसी शिशु वार्ड के सभी बेड फुल हो चुके हैं। हालत यह है कि एक बेड पर तीन-तीन बच्चों का इलाज हो रहा है। जबकि इंडोर में भी सभी बेड भर चुके हैं। अधिकतर बच्चों को सर्दी खांसी बुखार है और उनको सांस लेने में तकलीफ हो रही है, जिससे लोग काफी भयभीत हैं।
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