काबूल। अफगानिस्तान में पंजशीर की सेना के खिलाफ तालिबान का समर्थन करने वाले पाकिस्तान के खिलाफ ताजिकिस्तान के लोगों ने मोर्चा खोल दिया है। प्रदर्शनकारी ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन के आगामी शिखर सम्मेलन के दौरान इमरान खान के बहिष्कार की मांग कर रहे हैं। तालिबान का पंजशीर को छोड़कर पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा था, इसे लेकर उसने अपने सरकार की घोषणा को भी दो बार टाल दिया था।
इसके बाद पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के चीफ फैज हमीद काबुल पहुंचे थे। इसके दूसरे दिन ही तालिबान ने पंजशीर पर हमले किए थे। पंजशीर के लड़ाकों ने आरोप लगाया कि उस पर पाकिस्तानी वायु सेना के विमानों ने हमला किया है। इसमें उसके दो बड़े नेता मारे गए। इस हमले के विरोध में राजधानी काबुल समेत ताजिकिस्तान में भी विरोध हुए।
रूस ने पंजशीर के सहयोगी ताजिकिस्तान को 12 बख्तरबंद वाहन और सैन्य उपकरणों का जखीरा भेजा है। रक्षा मंत्रालय के एक बयान में मेजर जनरल येवगेनी सिंडाइकिन ने कहा कि तजाकिस्तान की दक्षिणी सीमा के पास बढ़ती अस्थिरता को देखते हुए हम अपने राज्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। तालिबान के साथ लड़ाई में पंजशीर के लड़ाकों को ताजिकिस्तान समर्थन देता आया है। अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह और नॉर्दर्न अलायंस के प्रमुख अहमद मसूद के ताजिकिस्तान में शरण लेने की खबरें थीं। तालिबान शरिया कानून को लागू करने को लेकर किस कदर हावी है, इसका नजारा काबुल यूनिवर्सिटी में देखने को मिला। तालिबान के नेताओं ने यहां शरिया को लेकर एक लेक्चर का आयोजन किया। कार्यक्रम में यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली 300 युवतियां शामिल हुईं। सभी युवतियां सर से पांव तक बुर्के से ढंकी हुई थीं।
युवतियों को शरिया कानून मानने के लिए शपथ भी दिलाई गई। इस दौरान हर युवती के हाथ में तालिबान का झंडा भी था। तालिबान ने अपने शासन में महिलाओं के लिए विशेष तौर पर ये ड्रेस कोड जारी किया है। इससे पहले कॉलेज और यूनिवर्सिटी में क्लास के दौरान भी लड़कों और लड़कियों को अलग-अलग बैठने का फरमान जारी किया है। यूनिवर्सिटी में लेक्चर दे रही महिला भी सिर से पांव तक बुर्के से ढंकी हुई थी। उसके सामने ही तालिबानी खड़े थे। पॉडियम के पास और हॉल के गेट पर भी तालिबानियों का पहरा था।
अफगानिस्तान में तालिबानी राज के बीच पाकिस्तान और चीन को अपने यहां मौजूद विद्रेाही संगठनों से खतरा महसूस होने लगा है। दोनों देशों ने तालिबान से इन संगठनों को पनाह न देने की अपील की है। इस संगठनों में पाकिस्तान स्थित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP), बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) और चीन में उइगर और पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ETIM) शामिल हैं। पाकिस्तान सरकार की पहल पर पाकिस्तान, चीन, ईरान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्रियों ने 8 सितंबर को वर्चुअल मीटिंग के जरिए अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों के बीच अफगान मुद्दे पर बैठक की थी। जहां TTP और बीएलए को पाकिस्तान में आतंकवादी संगठनों के रूप में प्रतिबंधित किया गया है, वहीं ईटीआईएम चीन के लिए खतरा है।
तालिबान के लड़ाकों ने पंजशीर में एक युवक को उसके घर से निकालकर सड़क पर दिनदहाड़े गोलियों से भून डाला। अफगानिस्तान के न्यूज पोर्टल के मुताबिक तालिबान का आरोप है कि यह युवक पंजशीर के नॉर्दर्न अलायंस की सेना में शामिल था। हालांकि, मृतक का दूसरा साथी तालिबानियों को उसका आईडी कार्ड दिखाता रह गया, लेकिन वे नहीं माने और उसकी जान ले ली। इससे पहले तालिबानियों ने पंजशीर पर कब्जे का दावा किया था। उन्होंने कहा था कि अहमद मसूद और अमरुल्लाह सालेह पंजशीर छोड़ कर भाग गए हैं। वहीं पंजशीर के लड़ाकों ने कहा था कि अभी लड़ाई खत्म नहीं हुई है। नॉर्दर्न अलायंस और रेजिस्टेंस फोर्स के मुखिया अहमद मसूद ने कहा था कि पंजशीर पर तालिबान के कब्जे का दावा झूठा है। हमारे लड़ाके अभी भी उनका सामना कर रहे हैं।
अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने भी एक हफ्ते पहले एक वीडियो जारी कर पंजशीर से भागने की बात का खंडन किया था। उन्होंने कहा था कि वे आखिरी सांस तक तालिबान के खिलाफ लड़ते रहेंगे। इससे पहले तालिबानियों ने उनके बड़े भाई की पंजशीर में हत्या कर दी थी। तालिबानियों ने उनके परिवार को शव देने से भी मना कर दिया। तालिबान ने कहा कि उसका शव सड़ जाना चाहिए।
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