रायपुर। बस्तर में आयोजित भाजपा के चिंतन शिविर के अंतिम दिन जबकि चिंतन शिविर बस्तर के संभागीय सम्मेलन में परिवर्तित हो गया था और प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी ने विवादित बयान दे दिया था। उस बयान पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तीखा पलटवार करते हुए उस बयान को छत्तीसगढ़ी अस्मिता से जोड़ते हुए बयान को छत्तीसगढ़ से नफ़रत का प्रमाण बताया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजीव भवन में पत्रकारों से कहा "पुरंदरेश्वरी ने कहा था कि थूक देंगे तो मंत्रिमंडल बह जाएगा,छत्तीसगढ़ माता कौशल्या की ज़मीन है। यहाँ महिलाएं पूजी जाती हैं। इसलिए मैं उनके बारे में कुछ नहीं कहना चाह रहा लेकिन मैं ये जरुर कहना चाहता हूँ मैं मुख्यमंत्री बाद में हूँ पहले किसान हूँ। इसलिए उन्होने हम पर नहीं किसानों पर थूकने की बात कही है। ये किसानों से कैसी घृणा करते हैं ये उजागर करता है।अनुसूचित जाति जनजाति से कैसी घृणा करते हैं यह बयान इसे उजागर करता है" मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा "यह बयान छत्तीसगढ़ से नफ़रत को ज़ाहिर करता है,हम इसे बर्दाश्त न
हीं कर सकते, इस बयान का तीन दिन बाद भी भाजपा की ओर से कोई खंडन नहीं आया है, इससे साफ़ है कि पूरी भाजपा किसानों से नफ़रत करती है,समूचे छत्तीसगढ से घृणा करती है, मैं इस बयान का विरोध करता हूँ" इसके पहले मुख्यमंत्री बघेल ने भाजपा के बस्तर में आयोजित चिंतन शिविर को लेकर यह कहते हुए सवाल उठाया "बस्तर में चिंतन शिविर आयोजित हुआ लेकिन उनके ऐजेंडे में नक्सल समस्या शिक्षा रोजगार जैसे मुद्दे नहीं थे,उनके शिविर में ऐजेंडा था कि ओबीसी वर्ग को कैसे साधना है सत्ता में कैसे आना है।
हीं कर सकते, इस बयान का तीन दिन बाद भी भाजपा की ओर से कोई खंडन नहीं आया है, इससे साफ़ है कि पूरी भाजपा किसानों से नफ़रत करती है,समूचे छत्तीसगढ से घृणा करती है, मैं इस बयान का विरोध करता हूँ" इसके पहले मुख्यमंत्री बघेल ने भाजपा के बस्तर में आयोजित चिंतन शिविर को लेकर यह कहते हुए सवाल उठाया "बस्तर में चिंतन शिविर आयोजित हुआ लेकिन उनके ऐजेंडे में नक्सल समस्या शिक्षा रोजगार जैसे मुद्दे नहीं थे,उनके शिविर में ऐजेंडा था कि ओबीसी वर्ग को कैसे साधना है सत्ता में कैसे आना है।
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