अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने अपराधिक छवि वाले नेताओं पर सख्ती बरतते हुए ऐसे लोगों की राजनीति में हिस्सेदारी कम करने की दिशा में कदम बढ़ाने वाला एक बड़ा फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सभी राजनीतिक दलों को अपने उम्मीदवारों का चयन करने के 48 घंटे के भीतर उनका आपराधिक रिकॉर्ड आम जनमानस के सामने उजागर करना होगा।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक याचिका की सुनवाई के दौरान दिये आदेशों के मुताबिक देश की सभी राजनीतिक पार्टियों को अब अपने सभी उम्मीदवारों की जानकारी अपनी वेबसाइट के माध्यम से बतानी होगी। इसके अलावा दो अखबारों के माध्यम से भी उम्मीदवार चुने गए लोगों के आपराधिक रिकॉर्ड प्रकाशित कराते हुए इसका ब्यौरा आम जनमानस के सामने रखना होगा। उम्मीदवार के चयन के 72 घंटे के अंदर इस आदेश की पालना रिपोर्ट चुनाव आयोग को भी सौंपनी होगी। न्यायालय ने यह आदेश जारी करने के साथ अपने फैसले में बदलाव किया है। वर्ष 2020 के फरवरी माह में सुप्रीम कोर्ट की ओर से आदेश दिया गया था कि उम्मीदवार के चयन के 48 घंटे के अंदर या फिर नामांकन दाखिल करने की तारीख से 2 हफ्ते पहले उम्मीदवारों की पूरी जानकारी देनी होगी। इसके अलावा पिछले महीने ही कोर्ट की ओर से कहा गया था कि इसकी संभावना कम है कि अपराधियों को राजनीति में आने और चुनाव लड़ने से रोकने के लिए विधानमंडल कुछ करेगा। दरअसल इस मामले को लेकर वर्ष 2020 के नवंबर माह के दौरान अधिवक्ता बृजेश सिंह ने उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की थी। उन्होंने विधानसभा चुनाव के दौरान उन पार्टियों के खिलाफ मानहानि की अर्जी दी थी, जिन्होंने अपने उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड का ब्यौरा नहीं दिया था।
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