शिव कल्याणकारी और पालनहार हैं। वह कलयुग में भी अपने भक्तों की हर कदम पर रक्षा करते हैं। शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत मंगलकारी माना गया है। सायं काल को प्रदोष काल कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि शिव प्रदोष काल में कैलाश पर्वत के रजत भवन में इस समय नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों की स्तुति करते हैं। इस समय वह प्रसन्न मुद्रा में होते हैं और इस वक्त भक्तों द्वारा की गई उनकी पूजा और मनोकामना वह आसनी से टाल नहीं पाते हैं। ऐसे में अगर प्रदोष व्रत किसी खास दिन और किसी खास योग में पड़ता है तो उसका महत्व बढ़ जाता है।
ज्योतिषाचार्य पं. मुकेश मिश्रा ने बताया कि हर महीने में प्रदोष व्रत शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 20 अगस्त को रखा जाएगा। प्रदोष व्रत का तिथि, योग, और वार के संगम से महत्व बढ़ जाता है। कुल 27 योग होते हैं। 20 तारीख को शुक्रवार के दिन आयुष्मान योग पड़ रहा है जो इस व्रत को खास बनाता है। इस दिन व्रत रखने से यश, आयु और वैभव प्राप्त होता है। इसी प्रकार हर दिन के हिसाब से व्रत के बाद मिलने वाले वरदान कुछ खास हो जाते हैं।
पं. मिश्रा ने बताया कि कलयुग में मानसिक शांति की समस्या आम होती जा रही है। सोमवार को चन्द्रमा प्रधान होता है। जब प्रदोष व्रत इस दिन पड़ता है तो अभिषेक करने से मन को शांति मिलती है और मनोस्थिति मजबूत होती है। इस दिन व्यक्ति को ध्यान मुद्रा में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
मंगलवार का दिन शरीर और रक्त का कारक माना जाता है। चिकित्सक द्वारा दी गई दवाओं के साथ शिव की पूजा अर्चना करने से रक्त संबंधी बीमारियों से आराम मिलता है। इस दिन शिव मंगलकारी वरदान देते हैं इसलिए किसी के घर में काफी दिनों से मांगलिक कार्य न हुए हो या घर में किसी की शादी नहीं हो रही हो तो मंगवार को पड़ने वाला प्रदोष यह सारी समस्याओं को दूर कर देता है।
बुधवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने से व्यापार कार्यों में आश्चर्य जनक लाभ होते देखा जा सकता है। इस दिन प्रदोष व्रत और अभिषेक करने से बुद्धि कुशार्ग होती है और व्यक्ति सद्मार्ग पर चलता है। परिवार में सभी सदस्यों का कल्याण होता है।
गुरूवार को पड़ने वाले कल्याणकारी प्रदोष व्रत का फल जातक को अध्यात्म की ओर ले जाता है। कलयुग में लोग भगवान से थोड़ा दूर होते जा रहे हैं। इस दिन की जाने वाली शिव की पूजा से भगवान विष्णु की कृपा भी प्राप्त होती है। लोगों में सकरात्मकता का संचार होता है।
शुक्र प्रतिष्ठा और सौन्द्रर्य का कारक होता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा से दाम्पत्य जीवन में सुधार आता है। परिवार में परस्पर प्रेम बढ़ता है। समाज में मान-सम्मान की वृद्धी होती है। शुक्र ग्रह पेट की बीमारियों से संबंध रखता है इसलिए इस दिन भगवान शिव का ध्यान और पूजा-अर्चना पेट की समस्याओं से राहत मिलती है।
शनि शिव के परम भक्तों में से एक हैं। इसलिए शनिवार को प्रदोष व्रत पड़ने से जो भक्त शिव की पूजा करता है उसे शनि भगवान कुदृष्टि का कोपभाजन नहीं बनना पड़ता है। रोगों से मुक्ति का भी वरदान मिलता है। यह व्रत सबके लिए कल्याणकारी होता है।
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