देहरादून। भले ही दिल्ली में बिजली, पानी एवं अन्य जरूर सुविधाएं मुफ्त में देकर आम आदमी पार्टी के मुखिया एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री राष्ट्रीय राजधानी पर राज कर रहे हों। मगर उत्तराखंड में 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के ऐलान और उसके बाद प्रत्येक उत्तराखंड वासी को 300 यूनिट बिजली मुफ्त में देने का वादा कितना कारगर सिद्ध हो पाएगा। यह तो आने वाले चुनाव परिणामों में ही सिद्ध हो पाएगा। लेकिन, उत्तराखंड की बात करें तो यहां के वाशिंदे मेहनतकश के रूप में जाने जाते हैं।
साक्षर राज्य होने के साथ ही उत्तराखंड एक संपन्न राज्य भी है यदि तराई और बाबर एवं राजधानी के कुछ भाग छोड़ दें तो अधिकांश लोग संपन्न मिल जाएंगे ऐसे में 300 यूनिट बिजली मुफ्त में देने की बात करने वाली आम आदमी पार्टी अपने इस लुभावने वादे से जनता को कितना रिझा पाएगी यह तो सभी जानते हैं। फिलहाल उत्तराखंड की बात करें तो पलायन, बेरोजगारी, स्वास्थ्य सुविधाएं यहां सबसे बड़ी समस्या है। राज्य बनने के बाद से लेकर अभी तक इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर कोई ठोस रणनीति ना तो कांग्रेस की सरकार बना पाई और ना ही भाजपा की। तीसरे विकल्प के रूप में प्रदेश में उत्तराखंड क्रांति दल एक मजबूत स्तंभ थी मगर समय की धारा के साथ-साथ उत्तराखंड क्रांति दल भी कहीं गुम सी हो गई और अब आम आदमी पार्टी प्रदेश में अपने आप को स्थापित करने की तैयारी कर रही है ऐसा माना जाने लगा है कि भाजपा और कांग्रेस के बाद अब तीसरे विकल्प के रूप में आम आदमी पार्टी उभर रही है। जनता की मांग प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं, पलायन रोकने और बेरोजगारी खत्म करने की है इस पर सभी पार्टियां बड़े-बड़े दावे और वादे करती रहीं हैं मगर आज तक हो कुछ नहीं पाया।
रोजगार के अभाव में पहाड़ से युवा पलायन कर के अन्य राज्यों में जाने को मजबूर है तो वही बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल कोरोना काल में खुलकर सामने आ चुकी है,।कभी पहाड़ो पर डोलियों की मदद से बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं को अस्पतालों तक पहुंचाना पड़ता है तो वहीं जिले के छोटे अस्पताल हो या फिर सुशीला तिवारी जैसे बड़े अस्पताल बेहतर इलाज के अभाव में अक्सर लोक दम तोड़ देते हैं, कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों में बने अस्पताल सिर्फ प्राथमिक उपचार के बाद रेफर सेंटर के रूप में अपना काम बखूबी निभाते हैं। नजदीकी बरेली में स्थित राममूर्ति चिकित्सालय इसका जीता जागता उदाहरण है कि इस अस्पताल में उत्तराखंड के अलावा नेपाल से भी लोग इलाज कराने पहुंचते हैं अंदाजा लगाया जा सकता है कि उत्तराखंड के की हालत स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर कैसी है। राज्य गठन से लेकर अब तक की बात करें तो मुख्यमंत्री जरूर बदले गए मगर जिन महत्वपूर्ण समस्याओं एवं जरूरी मांगों को लेकर पहाड़ के लोगों ने पहाड़ जैसी जटिल समस्याओं से निपटने के लिए आस लगाई थी वह आज और उम्मीद आज आज भी बरकरार है।
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