मनोज सिंह ठाकुर
भोपाल। मध्य प्रदेश में एक बार फिर अफसरों और कर्मचारियों को धमकाने के मामले पर सियासत शुरू हो गई है। इस बार पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बयान पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरु हुआ है। एक दिन पहले कमलनाथ द्वारा अफसरों को दी गई चेतावनी पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पलटवार किया है। शिवराज ने कहा कि 15 महीने सरकार थी, तब क्या कर रहे थे, जो अब कर्मचारियों को धमका रहे हैं। दूेख लूंगा, मिटा दूंगा और जांच करवा दूंगा। यह धमकाने वाला अंदाज अलोकतांत्रिक है। प्रदेश के अधिकारी-कर्मचारी कर्तव्यनिष्ठ हैं।
शिवराज ने आगे कहा कि मध्यप्रदेश के नेता कह रहे हैं कि कांग्रेस में किसी की कदर नहीं है। उन्होंने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को नसीहत देते हुए कहा कि वे पहले अपने घर को संभाल लें। इनसे (कमलनाथ) घर संभल नहीं रहा और कर्मचारियों को धमकाने निकले हैं।
गौरतलब है कि कमलनाथ ने 26 अगस्त को भोपाल में 'संस्कृति बचाओ' यात्रा के समापन के मौके पर सरकारी तंत्र को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि BJP का बिल्ला जेब में रखकर काम मत करो। 2 साल बाद सरकार बदल जाएगी। यदि रिटायर हो जाओगे तो भी फाइल खुल सकती है। पुलिस महकमे की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि पुलिस को वर्दी की इज्जत रखनी चाहिए।
कमलनाथ ने यह भी कहा था कि मंदिर-मस्जिद को लेकर सड़क पर उतरने से रोज़गार नहीं बनते हैं। रोजगार निवेश से आएगा। मेरा लक्ष्य मध्यप्रदेश को विकास की राह पर लाना था। कांगेस की सरकार गिराने के लिए प्रदेश में सौदेबाजी हुई, लेकिन मैंने सौदा नहीं किया, क्योंकि मैं विकास का पक्षधर हूं। उन्होंने कहा -प्रदेश की जनता मुझे बताए कि मेरा क्या दोष है, मैंने कौन सा पाप किया।
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