अगरतला। बंगलादेश के साथ त्रिपुरा की पूर्वी सीमा पर उग्रवादियों की गोली लगने से मंगलवार को दो जवान शहीद हो गये। प्रतिबंधित संगठन एनएलएफटी के उग्रवादी दोनों शहीद जवानों से अत्याधुनिक हथियार छीन कर ले गए। इस घटना के लिए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की खुफिया एजेंसी की विफलता को भी जिम्मेदार ठहराया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार निगरानी को सक्रिय करने और अन्य नेटवर्क उपकरण लगाने की बार-बार चेतावनी के बावजूद बीएसएफ त्रिपुरा के पूर्वी हिस्से के विभिन्न हिस्सों में एनएलएफटी उग्रवादियों और उनके सहयोगियों के सीमा पार आने से रोकने में विफल रही है। इससे पहले उग्रवादियों ने गंडाचार्रा और लोंगतराई घाटी के गांवों में जबरन वसूली के नोटिस लगाए थे।
सूत्रों ने दावा किया है कि उग्रवादी पिछले कुछ दिनों से इन स्थानों पर सक्रिय थे और सीमा पर बीएसएफ की गतिविधियों पर नजर रखे हुए थे और कल वे घटनास्थल के पास एक पुलिया के नीचे से सीमा पार कर आए थे। उन्होंने तार की बाड़ की ओर जंगल में घात लगाकर हमला किया था और जब जवान मौके पर पहुंचे, तो उग्रवादियों ने चावमानू के आर सी नाथ सीमा चौकी रेंज में जवानों पर गोलियां चला दीं।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि उग्रवादियों ने कर्नाटक के कलाबुर्गी जिले के आलंद के कांस्टेबल राजकुमार के कब्जे से गोला-बारूद के साथ एके-47 छीन लिया और शहीद सब-इंस्पेक्टर भूरू सिंह के लोडेड कारतूसों के साथ एक बरेटा (पिस्तौल) छीन लिया। शहीद सिंह हरियाणा के पानीपत जिले के रहने वाले थे। सीमा पार से उग्रवादी गतिविधियों या तस्करों की गतिविधियों के बारे में जानकारी प्राप्त करने में बीएसएफ पूरी तरह से विफल रही है।
पुलिस सूत्रों ने आशंका जताई है कि त्रिपुरा की पूर्वी सीमा हाल ही में सीमापार उग्रवादी आंदोलन की जानकारी के संबंध में बीएसएफ की भूमिका पूरी तरह से निष्क्रिय रही। सूत्रों ने कहा कि सीमा की रखवाली को छोड़कर, बीएसएफ त्रिपुरा फ्रंटियर ने नशीला पदार्थ भांग लाने ले जाने वालों पर और नशीले पदार्थों पर नकेल कसने में प्रमुख भूमिका निभाई है।
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