रविवार, 22 अगस्त 2021

पशुओं की खरीद करने वालों को टैक्स देना पड़ेगा

राणा ओबराय                    
चंडीगढ़। हरियाणा में लगने वाले पशु मेलों में पशुओं की खरीदो-फरोख्त करने वालों को अब टैक्स देना पड़ेगा। यही नहीं, पशु मेले में प्रवेश करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को 10 रुपये एंट्री फीस भी देनी होगी, जिसे पंजीकरण फीस का नाम दिया गया है। विधानसभा में कांग्रेस विधायक किरण चौधरी द्वारा यह मुद्दा उठाए जाने पर डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने यह जानकारी दी।
बेशक, सदन में इस मुद्दे पर चर्चा नहीं हो सकी, लेकिन किरण चौधरी ने सरकार के इस फैसले को पशु पालक विरोधी बताया है। कांग्रेस विधायक किरण चौधरी ने पशु मेलों के आयोजन को निजी हाथों में सौंपने, पशुओं की खरीदो-फरोख्त पर कर लगाने के मामले सरकार से स्टैंड स्पष्ट करने की मांग की थी।
दुष्यंत ने बताया कि पशु मेले में प्रवेश करने वाला प्रत्येक व्यक्ति प्रवेश द्वार पर ही दस रुपये एंट्री फीस देकर अपना पंजीकरण करवाएगा। पशु मेले में पशु बेचने वाला प्रत्येक व्यक्ति सौ रुपये की अदायगी करके पंजीकरण प्रमाण-पत्र हासिल करेगा।
दुष्यंत चौटाला ने बताया कि पशु मेले में पशुओं को खरीदने और बेचने वाले व्यक्ति का ब्योरा दर्ज किया जाएगा। संबंधित व्यक्ति को 2 साल से अधिक आयु के पशु जिनमें गाय, भैंस, ऊंट, गधा, घोड़ा और खच्चर की बिक्री पर 4 प्रतिशत अथवा एक हजार रुपये अदा करना होगा। इनमें से जो राशि अधिक बनेगी वह सरकार के खजाने में जमा होगी।
इसके अलावा भेड़, बकरी, गाय, भैंस, ऊंट, गधा, घोड़ा तथा खच्चर के बच्चों जिनकी उम्र छह से 24 माह के बीच होगी उनकी खरीदो-फरोख्त पर 4 प्रतिशत कर अथवा तीन सौ रुपये फीस अदा करनी होगी। सरकार के नियम के अनुसार, खरीदार को 75 प्रतिशत तथा बेचने वाले को 25 प्रतिशत अनुपात में फीस का भुगतान करने पर पंजीकरण प्रमाण-पत्र जारी होगा।
दुष्यंत ने साफ किया कि बड़े पशुओं के साथ उनके बच्चे जिनकी आयु 6 माह से कम होगी उनके लिए कोई फीस नहीं लागू की गई है।
उन्होंने साफ किया कि हरियाणा में पशुओं की खरीदो-फरोख्त के काम को सुचारू ढंग से चलाने तथा पशु मेला स्थलों पर आने वाले लोगों की सुविधा के लिए सरकार अपनी तरफ नियम व शर्तों को ड्राफ्ट करवा रही है।
इसे बाद में मेलों का आयोजन व प्रबंधन ई-नीलामी के माध्यम से निजी एजेंसियों को सौंपा जा सकता है। सरकार के इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए कांग्रेस विधायक किरण चौधरी ने कहा कि यह सरकार किसानों व पशु पालकों के विरोध में फैसले ले रही है। राज्य में पशुपालन का धंधा पहले ही समाप्त होता जा रहा है। अब सरकार छोटे-छोटे पशु पालकों से यह कर लेकर उन्हें नुकसान पहुंचा रही है।

 

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