बृजेश केसरवानी
प्रयागराज। माहे मोहर्रम की नवीं को बख्शी बाज़ार, अहमदगंज, रानीमण्डी,दरियाबाद,करैली,शाहगंज,घंटाघर सहित विभिन्न इमामबाड़ो मे दस रोज़ के अशरे की नवीं मजलिस मे मुख्तलिफ जाकिरों ने करबला के शहीदों का ज़िक्र किया। चक ज़ीरो रोड इमामबाड़ा डीप्यूटी ज़ाहिद हुसैन मे मौलाना रज़ी हैदर ने करबला के नन्हे मुजाहिद हज़रत अली असग़र की हुरमुला द्वारा तीन मुँह के तीर से गला छेद कर शहीद करने का मार्मिक अन्दाज़ मे वर्णन किया। मजलिस के बाद हज़रत अली असग़र का झूला व ताबूत हज़रत अली अकबर निकाला गया।अन्जुमन हुसैनिया कदीम के बुज़ुर्ग नौहाख्वान शाह बहादर ने ग़मगीन नौहा पढ़ा तो हर ओर से आहो बुका की सदा गूँजने लगी।
अक़ीदतमन्दों ने झूला अली असग़र व ताबूत अली अकबर पर फूल माला चढ़ाते हुए मन्नत व मुरादें मांगी।झूले व ताबूत को इमामबाड़े के अन्दूरीनी हिस्से मे गश्त कराकर महिलाओं के बीच भी ले जाया गया। जहा महिलाओं ने नौहा और मातम किया। अन्जुमन हैदरिया रानी मण्डी के हसन रिज़वी,सज्जाद अली सहित अन्य नौहाख्वानो ने शहर भर के इमामबाड़ो मे गश्ती करते हुए नौहे और मातम का नज़राना पेश किया।मजलिस व मातम मे गौहर काज़मी,मंज़र कर्रार,नजीब इलाहाबादी,अरशद नक़वी,ताशू अल्वी, सै.मो.अस्करी, ज़ामिन हसन,मुन्तज़िर रिज़वी,तय्याबैन आब्दी,अल्मास हसन,माहे आलम,शजीह अब्बा,रौनक़ सफीपुरी,हसन नक़वी आदि शामिल रहे।
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