अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। विधानसभा चुनाव आते ही राजनीति दलों की हलचल तेज हो गई है। सबसे ज्यादा चिंता सता रही सत्ताधारी दल भाजपा को, जो इस बार अपनी सत्ता बचाने के लिए तैयारी में जुटा है। साथ ही पार्टी में गुटबाजी की खबरें भी खूब आयी है। अब खबर है कि इस बार भाजपा में कई विधायकों के टिकट कर सकते है। सूत्रों के हवाले से बड़ी खबर है कि एक दर्जन से ज्यादा विधायकों के टिकट कट सकते है। जिसके बाद पार्टी में हलचल बढ़ गई है।
हां, पार्टी इन्हें खुद को साबित करने का एक मौका जरूर दे रही हैद्व। लेकिन यह तय माना जा रहा है कि भाजपा कई सीटों पर इस बार नए चेहरों पर दांव खेलने का मन बना चुकी है। पार्टी की रणनीति का असर आने वाले दिनों में दिखने लगेगा। क्योंकि भाजपा अंतिम समय में अपने पत्ते खोलती है। पांच साल के अंदर भाजपा ने प्रदेश में तीन मुख्यमंत्री बदल दिये। लेकिन अंतिम समय तक कोई बोलने को तैयार नहीं था कि मुख्यमंत्री बदल रहे है। छोटा राज्य होने के बावजूद उत्तराखंड को खासी देता आया है। पार्टी के राष्टृीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दो दिन उत्तराखंड में प्रवास किया तो उन्होंने न केवल प्रदेश इकाई को जीत का मंत्र दिया, बल्कि कमजोर कडिय़ों को भी चिह्नित कर दिया।
भाजपा चुनावी राज्यों में लगातार सर्वे करा रही है। अब पार्टी सूत्रों के सर्वे में यह खबर सामने आयी है कि एक दर्जन से ज्यादा विधायक ऐसे हैं, जो अलग-अलग कारणों से पार्टी के निर्धारित मापदंड पर खरा नहीं उतर रहे हैं। ऐसे विधायकों को छह-सात महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में मौका मिलना मुश्किल है। लिहाजा ऐसी सीटों पर भाजपा नए चेहरों के साथ मैदान में उतरेगी। हालांकि ऐसे विधायकों को कुछ वक्त दिया जा रहा है ताकि वे खुद को साबित करें। साफ है कि भाजपा सिटिंग-गेटिंग नहीं, विनिंग-गेटिंग फार्मूले को टिकट बंटवारे का फैसला करेंगी।
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