अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महिला को चिकित्सीय तरीके से 22 हफ्ते का गर्भ गिराने की इजाजत दे दी। क्योंकि भ्रूण में गंभीर विकृतियां थीं और जन्म के बाद बच्चे की जीवित रहने की संभावना कम थी। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने एम्स के चिकित्सा बोर्ड की रिपोर्ट पर विचार किया। जो विकृतियों की वजह से गर्भपात कराने के दंपति के फैसले से सहमत था।न्यायाधीश ने कहा, “विशेषज्ञों की रिपोर्ट के अवलोकन के बाद, मेरा विचार है कि याचिका को स्वीकार कर लिया जाए। याचिकाकर्ता (महिला) को गर्भ समाप्त करने की इजाजत दी जाती है।”
अदालत ने दंपति को उनकी पसंद के लेडी हार्डिंग अस्पताल में गर्भपात कराने की इजाजत दे दी और कहा कि संबंधित प्रसूति रोग विशेषज्ञ को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी की जाए। अदालत ने 32 वर्षीय महिला की याचिका को स्वीकार किया था। महिला की गर्भावस्था के 22 हफ्ते हो चुके थे और उसने इस आधार पर चिकित्सीय तरीके से गर्भपात कराने की इजाजत मांगी थी कि भ्रूण विभिन्न विकृतियों से ग्रस्त है।
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